UP Election 2022 : केशव प्रसाद मौर्या समाज के नेता नहीं, आरएसएस के तोता हैं - स्वामी प्रसाद मौर्य
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या न के पिछडों के नेता है, न दलितों के नेता हैं, न समाज के नेता है, वह केवल आरएसएस के तोता है।
UP Election 2022 : योगी सरकार शांमिल स्वामी प्रसाद मौर्य ( Swami Prasad Maurya ) ने कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से भाजपा ( BJP ) के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। आज सुबह से ही वह लगातार नया-नया बयान दे रहे हैं। अपने ताजा बयान में उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ( Keshav Prasad Maurya ) न पिछडों के नेता है, न दलितों के नेता हैं, न समाज के नेता हैं, वह केवल आरएसएस ( RSS ) के एक तोता हैं। जो आरएसएस पढ़ाती है, वो तोता की तरह रटते हैं और बोलते हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ( Swami Prasad Maurya ) ने कहा कि इसके सिवाय वो कुछ लिख नहीं सकते, न बोल सकते हैं। इसलिए उत्तर प्रदेश का उप मुख्यमंत्री रहते हुए भी उनके पास एक भी दलित नेता तक फटकता तक नहीं है।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बेचारे हैं, मैं उन्हें अपनी बात क्यों बताऊंगा
भाजपा से नाराज स्वामी प्रसाद मौर्य ( Swami Prasad Maurya ) यही नहीं रुके। उन्होंने केशव प्रसाद मौर्य की ओर से किए गए ट्विट को लेकर उलटा डिप्टी सीएम पर ही तंज कस दिया। स्वामी प्रसाद ने कहा कि वह तो बेचारे हैं। मैं किसी बेचारे को अपनी बात क्यों बताऊंगा। उन्हें अपने हाल में रहने दीजिए। उनके लिए रोना यह है कि कहने के लिए डिप्टी सीएम हैं, लेकिन हालत बेचारे जैसी है। यह पूछे जाने पर कि भाजपा में ऐसा क्या पाया कि पार्टी छोड़ दी? इस पर स्वामी प्रसाद ने कहा कि भाजपा के लिए देश और जनता अहम नहीं है, बल्कि आरएसएस का अजेंडा जरूरी है।
RSS के सामने असहाय है भाजपा
योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है कि आरएसएस के आगे भाजपा के नेता असहाय हो जाते हैं। किसी भी भाजपा नेता की आरएसएस के सामने कुछ नहीं चलती है।
इससे पहले एनडीटीवी से बातचीत के दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या आप सपा में शामिल होंगे,उन्होंने कहा कि अभी मैंने सिर्फ श्रम मंत्री पद से इस्तीफा दिया है। मैं, फिलहाल सपा में नहीं जा रहा हूं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा ट्विट कर धन्यवाद देने और पार्टी में स्वागत करने को लेकर पूछे गए सवाल कि क्या आप सपा में शामिल होने जा रहे हैं, उन्होंने कहा कि मेरे फैसले पर उन्होंने बधाई दी है। मैंने भी उन्हें धन्यवाद दिया हैं लेकिन, मैं सपा में शामिल नहीं होने जा रहा हूं।
BJP सत्ता के उन्माद में चूड़ है
उन्होंने बातचीत में कहा कि भाजपा सत्ता के उन्माद में चूड़ है। भाजपा ने तवज्जो नहीं दिया। मैंने भाजपा को ठोकर मार दी है। भाजपा में वापस जाने का सवाल नहीं भाजपा मुझे मनाने की कोशिश जरूर कर रही है। जहां केशव प्रसाद मौर्य जी के ट्विट की बात है तो वो मेरे छोटे भाई हैं। पांच साल से बेचारे बने हुए हैं। मैं, उस स्थिति में अब और नहीं रह सकता। मैं आज और कल अपने लोगों से बात करूंगा। मैं 14 तारीख़ को बताऊंगा कि मैं राजनीतिक तौर पर क्या करूंगा।
सत्ता में हिस्सेदारी मांगने पर हम हो जाते हैं अछूत
एक अन्य न्यूज चैनल से बातचीत में कहा था कि मैंने अपने कार्यकाल के दौरान कई बार राष्ट्रीय नेताओं के सामने अपनी बात रखी। अभी तक उसका कोई हल नहीं निकला। उन्होंने कहा कि केवल वोट लेने के लिए दलित पिछड़ा बहुत अच्छा लगता है, लेकिन जब सरकार में हिस्सेदारी की बात आती है तो दलित पिछड़ा समाज का नेता इनके लिए अछूत हो जाते हैं। हिस्सेदारी की बात करने पर दलित और पिछड़ा इनकी आंख की किरकिरी बन जाते हैं।
दलितों के हित में लिया भाजपा छोड़ने का फैसला
मैंने, भाजपा छोड़ने का फैसला दलितों और पिछड़ों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि 14 जनवरी को कुछ बड़ा होने वाला है। लेकिन बड़ा क्या होने वाला है, इसका जवाब तत्काल देने से इनकार किया। इस बारे में कहा कि इंतजार कीजिए। उन्होंने बातचीत के क्रम में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर की खुलकर प्रशंसा की। उन्होंने सुभासपा नेता राजभर को एक संघर्षशील नेता बताया। उनका मैं सम्मान करता हूं। स्वावाभिक रूप से दलितों के उत्थान के लिए किए संघर्ष में उनका अहम स्थान है।
बता दें कि भाजपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को भाजपा नेतृत्व द्वारा बात न माने जाने पर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद से भाजपा डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। भाजपा की ओर से स्वामी प्रसाद मौर्य को मनाने का सिलसिला जारी है, लेकिन उन्होंने कहा है कि मैं भाजपा को ठोकर मार चुका हूं, वापस जाने का सवाल नहीं है।
स्वामी के खिलाफ गिफ्तारी वारंट जारी
दूसरी तरफ आज स्वामी प्रसाद मौर्य को 2014 में दिए विवादित बयान के मामले में सुलतानपुर की अदालत में पेश होना था। लेकिन वह कोर्ट में पेश नहीं हुए तो फिर उनके खिलाफ यह वारंट जारी किया गया। हालांकि, वारंट की टाइमिंग को लेकर सवाल उठ सकते हैं क्योंकि मंगलवार को ही उन्होंने यूपी सरकार की कैबिनेट से इस्तीफा दिया था। उनका कहना था कि दलितों और पिछड़ों की सरकार में उपेक्षा होने के चलते मैं पद से इस्तीफा दे रहा हूं।