आजमगढ़ में गलाघोंटू बीमारी डिफ्थीरिया से नट समाज के 5 मासूमों की मौत, पीड़ित परिवारों के पास नहीं पहुंचे DM-किसान नेताओं ने जताया रोष

तकरीबन 77 परिवारों वाली इस बस्ती में एक एकड़ के करीब भूमि में लगभग एक हज़ार के करीब जनसंख्या गुज़र बसर करने को मजबूर हैं। एक सामुदायिक शौचालय और मुश्किल से दो-तीन लोगों के पास ही अपने निजी शौचालय हैं। करीब डेढ़ सौ दलित परिवार भी इस सामुदायिक शौचालय पर आश्रित हैं...

Update: 2024-08-17 13:21 GMT

निज़ामाबाद आज़मगढ़। निज़ामाबाद, आज़मगढ़ के सीधा सुल्तानपुर में पांच मासूम बच्चों की डिफ्थीरिया (गलाघोंटू बीमारी) से मौत के बाद तमाम किसान संगठनों के प्रतिनिधि मंडल ने नट बस्ती का दौरा किया। मासूमों की मौत की खबर राष्ट्रीय स्तर पर आने के बाद भी ज़िलाधिकारी के अब तक नट बस्ती न पहुंचने पर किसान नेताओं ने रोष प्रकट किया। किसान संगठनों के प्रतिनिधिमंडल में किसान नेता राजीव यादव, पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव, मो. अकरम, तारिक शफीक, जंगल देव, एनएपीएम से राज शेखर और सोशलिस्ट किसान सभा से श्याम सुन्दर मौर्या शामिल थे।

किसान नेताओं ने कहा कि आज़ादी के 78 साल बाद भी टीकाकरण न होने और गंदगी की वजह से मासूम बच्चों की मौत हुई है तो इसके लिए सीधे तौर पर सरकार ज़िम्मेदार है। बच्चों की मौत के बाद कहा जा रहा है कि टीकाकरण इस बस्ती के लोग नहीं कराते थे, तो सवाल है कि इस समस्या का हल करने की ज़िम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग ने क्यों नहीं लिया। नट बस्ती की नालियों और पोखरे गंदगी से बजबजा रहे हैं तो इसकी सफाई आजतक क्यों नहीं की गई। नट बस्ती की ऐसी उपेक्षा के लिए हमारी व्यवस्था और समाज की भेदभावपूर्ण मानसिकता भी ज़िम्मेदार है।

किसान नेताओं ने मांग रखी कि 5 मासूम बच्चों की डिफ्थीरिया (गलाघोंटू बीमारी) से हुई मौत पर उनके परिवारों को तत्काल आर्थिक सहायता के रूप में 10 लाख रुपए उपलब्ध कराया जाए। ग्राम सीधा सुल्तानपुर की नट बस्ती की गंदगी से पटी पड़ी नालियों और पास के पोखरे को तत्काल साफ किया जाए, जल निकासी की व्यवस्था की जाए, साफ सफाई की समुचित व्यवस्था करते हुए सभी परिवारों के लिए शौचालय की व्यवस्था की जाए।

नट बस्ती में आबादी के घनत्व को देखते हुए समाज के सबसे वंचित समुदाय के प्रत्येक परिवार को एक-एक बिस्वा आवास के लिए ज़मीन उपलब्ध कराई जाए। गांव में हर महीने होने वाली स्वास्थ्य और सफाई से जुड़ी बैठक नियमित रूप से करवाई जाए। सभी बच्चों के टीकाकरण आशा कार्यकर्ताओं द्वारा करवाया जाए और जिन परिवारों के बीच टीकाकरण को लेकर हिचक है उन्हें जागरूकता अभियान के ज़रिए इस प्रक्रिया में लाया जाए। नट, धरकार, बांसफोंड, बंजारा समेत सभी विमुक्त जातियों की बस्तियों की साफ सफाई और स्वास्थ्य के लिए विशेष अभियान चलाया जाए।

प्रतिनिधिमंडल ने प्रथम दृष्टया यह पाया कि टीकाकरण और गंदगी से हुई मासूम बच्चों की मौत के हफ्ते भर बाद भी नट बस्ती में गंदगी का आलम यह है कि सालों पुरानी नाली मिट्टी से पटी पड़ी है। लोगों के घरों का पानी घरों और सड़क पर जमा पड़ा है। पास के पोखरा में गंदगी का अंबार है। तकरीबन 77 परिवारों वाली इस बस्ती में एक एकड़ के करीब भूमि में लगभग एक हज़ार के करीब जनसंख्या गुज़र बसर करने को मजबूर हैं। एक सामुदायिक शौचालय और मुश्किल से दो-तीन लोगों के पास ही अपने निजी शौचालय हैं। करीब डेढ़ सौ दलित परिवार भी इस सामुदायिक शौचालय पर आश्रित हैं।

किसान नेताओं ने कहा कि बस्ती में लोगों के पोषण की समुचित व्यवस्था नहीं है और ज़्यादातर परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं है, जिससे उन्हें सरकार की ओर से खाद्यान नहीं मिल पा रहा है। ऐसे परिवारों को तत्काल राशन कार्ड मुहैया कराया जाए और जिन परिवारों के पास ज़रूरी दस्तावेज़ जैसे आधार कार्ड नहीं हैं, उनके कार्ड बनवाए जाएं। 

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