काल के मुंह में हाथ डालकर अपने 15 माह के मासूम को खींच लाई मां, वाकया जानकर आप भी करेंगे सलाम

बच्चे को मौत के मुंह में फसा देख मां एकदम से घबरा गई और अपने बच्चे को बाघ के मुंह से निकालने की जद्दोजहद करने लगी। साथ ही साथ जोर जोर से चिल्लाने लगी....

Update: 2022-09-06 16:23 GMT

Pilibhit News: पीलीभीत में बाघ ने किया खेत से निकलकर मजदूर पर हमला

'मां' ये शब्द सुनते ही हमारे जेहन में ममता से लबरेज अलग ही स्मृति बनती है। पूरे ब्रह्माण्ड में मां और बच्चे के रिश्ते को सबसे पवित्र और अनमोल रिश्ते का नाम दिया गया है। इन रिश्तों का बराबरी आज तक ना कोई रिश्ता कर पाया है और ना आगे कर पाएगा। हम अक्सर मां की बहादुरी के कई सारे किस्से कहानी किताब, पेपरों में सुनते आ रहे है। आज हम वैसी ही एक जाबांज मां की कहानी बताने जा रहे है जो अपने नन्हे से बच्चे को काल के गाल से बचाकर ले आयी।

यह कहानी एक ऐसी जांबाज मां की है जिसने अपने बच्चे को बचाने के लिए खुद जान की बाज़ी लगा दी और मौत के मुंह में कूदकर बाघ के जबड़े से 15 महीने के बच्चे को बचा कर ले आई। जिसको देखकर एक बार फिर से मां और बच्चे के रिश्ते को सबसे अनोखे रिश्ते का नाम दे दिया गया है। इस दौरान माँ और बेटे दोनों को ही गंभीर चोटें आई हैं। दोनों को बेहतर इलाज के लिए जबलपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

मध्य प्रदेश के बाँधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के पास स्थित रोहनिया गाँव में घटी यह घटना रविवार 4 सितंबर सुबह की है। जहां अर्चना अपने बेटे के साथ घर के पास ही खेत में काम कर रही थी। इसी बीच झाड़ियों से एक भयानक बाघ निकल आया और उसने उनके बच्चे हमला कर जबड़े में जकड़ लिया। बच्चे को मौत के मुंह में फसा देख मां एकदम से घबरा गई और अपने बच्चे को बाघ के मुंह से निकालने की जद्दोजहद करने लगी। साथ ही साथ जोर जोर से चिल्लाने लगी। इस बीच शोरगुल सुनकर गांव वाले लाठी और डंडों के साथ वहां पहुंच गए। तब तक अर्चना ने किसी तरह अपने बेटे को बाघ के जबड़े से छुड़ा लिया था। मौजूद लोगों पर भी बाघ ने हमला करने की कोशिश की लेकिन ग्रामीणों ने उसे खदेड़ दिया।

इस घटना के बाद से आस पास के 1,500 वर्ग किलोमीटर से अधिक दूरी में फैले बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के आसपास बसे गाँवों में रहने वाले ग्रामीणों में बाघ की दहशत पैदा हो गई है। गांव वालो का कहना है की पिछले कुछ समय से उनके गाँवों में जंगल का बाघ कभी दिन तो कभी रात में घुस आता है। उमरिया के सिविल सर्जन डॉक्टर मिस्ठी रूहेला ने बताया की बच्चे की हालत ठीक है, साथ ही मां को भी गंभीर चोटें आई हैं।

महिला की स्थिति है गंभीर

उमरिया के सिविल सर्जन डॉक्टर मिस्ठी रूहेला ने बताया की बच्चे की हालत ठीक है, लेकिन मां को गंभीर चोटें आई हैं। डॉक्टर मिस्ठी रूहेला का कहना है की ज्यादा तर जंगली जानवरों के हमले के शिकार हुए लोगों को हम 'एंटी रेबीज़ इंजेक्शन' देते हैं, जिसे हमने मां और बच्चे को से दिया हैं लेकिन महिला की पीठ पर बाघ के पंजे की वजह से घाव काफ़ी गहरा हो गया था जिसके कारण संक्रमण फेफड़ों तक पहुँच गया था।

इसी चिकित्सा केंद्र के सर्जन डॉक्टर सैफ़ का कहना था कि घाव काफ़ी गहरे थे इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों को जबलपुर भेज दिया गया है। फिलहाल हॉस्पिटल में मीडिया को प्रवेश की अनुमति नहीं है। इसलिए मीडिया वहां नही पहुंच रही है। वैसे अर्चना को अभी आईसीयू में रखा गया है, जहाँ किसी का भी जाना मना है। वहीं अर्चना के परिवारजन आईसीयू के बाहर इसी भरोसे में बैठे हुए है की अर्चना जल्द ही ठीक हो जाएगी। और अपने नन्हे से बच्चे को संभालेगी जिसे अभी अपनी मां की जरूरत है।

वन विभाग के लिए बाघ को पकड़ना चुनौती है

मानपुर के उप-वन मंडल अधिकारी आर थिरुकुरल ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि बाघ टाइगर रिजर्व से भटक कर गांव की तरफ आ गया है जिसे पकड़ना वन विभाग के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। उनका कहना है की बाघ को पकड़ने के लिए कई सारे उपाय किए गए है। हाथी को लगाया गया है। वन विभाग का पूरा अमला है जो ढोल बजाता हुआ आगे-आगे चलता है। पुलिसबल को भी तैनात किया गया है जो ज़रूरत पड़ने पर गोली चला सकते हैं। हमारे पास बाघ को बेहोश करने वाली 'डार्ट गन' है। अगर बाघ दिखता है तो उसे बेहोश कर उसके विचरण के इलाक़े में छोड़ा जा सकता है। इस काम के लिए ड्रोन की सहायता भी ली जा रही है।

उमरिया के कलक्टर संजीव श्रीवास्तव ने मामले को ध्यान में रखते हुए वन विभाग के अमले के साथ अलग से बैठक भी की है। जिसमें उन्होंने निर्देश दिए हैं कि जल्द से जल्द बाघ को ढूंढकर टाइगर रिज़र्व के अंदर लाया जाए वरना ग्रामीणों के लिए संकट बढ़ सकता हैं।

बांधवगढ़ 'टाइगर रिज़र्व' के आसपास के गाँवों के रहने वालों की मुश्किलें सिर्फ़ बाघों के कारण नहीं हैं। इस इलाक़े में 46 जंगली हाथियों का झुंड आ गया था जिन्होंने यहां अपना घर स्थापित कर लिया है, जिसकी वजह से आसपास के ग्रामीणों की मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं।

वाइल्डलाइफ़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया' की एक रिपोर्ट के मुताबिक पहले यहां हाथियों की मौजूदगी नहीं थी, लेकिन अब गाँव वालों की शिकायतें हैं कि हाथियों के झुंड ने उनके घर तोड़ दिए और उनकी फ़सल को भी नुक़सान पहुँचाया है। जिसके कारण जानवरों और ग्रामीणों के बीच का संघर्ष तेज़ होता जा रहा है। जबकि सामाजिक संगठनों और वन विभाग के अमले ने एक 'रैपिड एक्शन प्लान' भी बनाया है ताकि जंगल में रहने वाले ग्रामीणों को सचेत कर सकें। इस काम के लिए 10 गांवों को चुना गया है जिसमें से एक मानपुर भी है। लेकिन इन सब के बावजूद इन जंगलों के आसपास के गांवों में रहने वालों को ये चिंता है कि पता नहीं किस घड़ी क्या घट जाए?

गांववालों का कहना है कि बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के आसपास के गावों में लोग रोज़ रात को पहरा देते हैं, ताकि जानवरों का हमला होने पर वो सबको अलर्ट कर सकें और लोग उनका डट कर सामना कर सकें।

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