भीलवाड़ा में दलित पत्रकार की पत्नी चुनाव जीतकर बनी सरपंच तो सामंती सोच वाले ठाकुरों ने हमला कर किया लहूलुहान

रामचंद्र जी की पत्नी ने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीता, यह भी ग्रामीण इलाक़ों पर बरसों से वर्चस्व जमा कर बैठे तत्वों को बर्दाश्त नहीं हो पा रहा हैं। यह लोग सरपंच और उनके पति को अपमानित करने का भी कोई मौक़ा नहीं चूकते हैं...

Update: 2021-06-10 14:59 GMT

भारत में दलितों की सक्रियता को लेकर मानसिकता बदल नहीं रही है.इसी को लेकर भीलवाड़ा का ये मामला सामने आया है. photo - janjwar

जनज्वार ब्यूरो, भीलवाड़ा। अब यह साफ़ देखा जा सकता है कि मुल्क के जातिवादी तत्व खुलकर हिंसा का खेल खेल रहे हैं। हर मिनट में देश में कहीं न कहीं अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों पर हमले हो रहे हैं, क़त्ल किए जा रहे हैं, वंचित वर्ग की बेटियों के साथ यौन हिंसा की जा रही हैं।

इस देश के जातिवादी आतंकी जमातों के लोग दलित आदिवासियों के अस्तित्व को सहन करने के लिए भी तैयार नहीं है, छोटी छोटी बातों के लिए उन पर हमले किए जा रहे हैं अगर इन सब घटनाओं को साथ मिलाकर देखें तो पता चलता है कि जैसे कोई युद्ध चल रहा है।

ताज़ा मामला राजस्थान के भीलवाड़ा ज़िले की रायपुर थाना क्षेत्र के नांदशा जागीर गाँव का है। जहां के युवा पत्रकार और समाजसेवी रामचंद्र बलाई पर कल रात एक जातिवादी गैंग ने इसलिए हमला कर दिया, क्योंकि दलित समाज के इस युवा की सक्रियता सामंती सोच के लोगों की आँखों में चुभ रही थी।

रामचंद्र जी की पत्नी ने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीता, यह भी ग्रामीण इलाक़ों पर बरसों से वर्चस्व जमा कर बैठे तत्वों को बर्दाश्त नहीं हो पा रहा हैं। यह लोग सरपंच और उनके पति को अपमानित करने का भी कोई मौक़ा नहीं चूकते हैं।

इस बार भी गाँव में नाली निर्माण का बहाना बनाकर उन्होंने रामचंद्र बलाई का रास्ता रोका और हमला कर दिया। साथ ही जातिगत रूप से अपमानित व प्रताड़ित किया गया। युवा पत्रकार और कार्यकर्ता रामचंद्र जी ने किसी तरह एक घर में घुसकर अपनी जान बचाई और अपने लोगों को हमले की जानकारी दी।


हालांकि इस मामले में रायपुर थाने में भारतीय दंड संहिता और अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मुक़दमा क़ायम हो चुका है और पुलिस उपाधीक्षक गंगापुर इसकी जाँच करने वाले हैं। क्षेत्र के अम्बेडकरवादी युवाओं में इस घटना को लेकर ज़बर्दस्त आक्रोश है और वे आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। उम्मीद है कि पुलिस और प्रशासन इस रोष को समझने में कामयाब होंगे, अगर उनको समझ नहीं आया तो बाबा साहब के अनुयायी संवैधानिक तरीक़ों से समझाना बखूबी जानते ही है। 

रायपुर पुलिस ने इस मामले को लेकर मुकदमा संख्या 133/2021 के तहत धारा 341/323/34 सहित अनुसूचित जाति-जनजाति में सुरेंद्र सिंह, पूरन सिंह, लक्ष्मण सिंह व किशन सिंह पर एफआईआर दर्ज की है। पूरे मामले की जांच पुलिस उपाधीक्षक गोपी चंच्र मीणा खुद कर रहे हैं। 

बाक़ी रही बात गाँवों में अवशेष के रूप में बच गए कट्टर जातिवादी तत्वों से हमारा बस यही कहना है कि देश तो संविधान से ही चलेगा, न कि तुम्हारे जातीय दंभ और घृणा से। रामचंद्र जी को न्याय दिलाने की लड़ाई मज़बूत ढंग से लड़ी जायेगी। हम लड़ेंगे और जीतेंगे भी। 

सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी इस पूरे मसले पर कहते हैं कि 'सामंत वाद आज भी राजस्थान में चरम पर है, सामंती तत्व दलितों का चुनाव लड़ना अथवा निर्वाचित होना सहन नहीं कर पा रहे हैं, चूँकि दलित युवा जागरूक हो रहे है और वो अपने हक़ अधिकार समझने लगे है तथा शासन प्रशासन में भागीदार बन रहे हैं। आगे बढ़ रहे हैं।

'भंवर आगे कहते है कि इस बात को जातिवादी सामंती मानसिकता के लोग पचा नहीं पा रहे है, वे हिंसा के ज़रिए दलितों की आवाज़ दबाने में लगे है और निरंतर हमले कर रहे हैं। नांदशा जागीर के युवा पत्रकार और कार्यकर्ता रामचंद्र बलाई पर हमला भी इसी की एक कड़ी है, इस हमले के विरोध में दलित एकजुट हो रहे हैं, अगर समय रहते कार्यवाही नहीं की गई तो आंदोलन किया जाएगा।'

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