बिहार के गया में मैला ढोने वाली चिंता देवीं चुनी गयीं डिप्टी मेयर, जिस ऑफिस में लगाती थीं झाड़ू अब वहीं से बनायेंगी शहर को स्वच्छ रखने की योजनायें

Gaya news : चिंता देवी पिछले 40 सालों से नगर निगम के सफाई कर्मी के रूप में प्रतिदिन कचरा उठाने और झाड़ू लगाने का काम करती थीं। बाद में वह सब्जी बेचने का काम करने लगीं। इस बार गया नगर निगम का डिप्टी मेयर का पद आरक्षित होने के कारण चिंता देवी चुनावी मैदान में उतरीं और उन्हें जनता का भरपूर समर्थन मिला, रिकॉर्ड मतों से उन्होंने जीत हासिल की...

Update: 2023-01-14 04:50 GMT

बिहार के गया में मैला ढोने वाली चिंता देवीं चुनी गयीं डिप्टी मेयर, जिस ऑफिस में लगाती थीं झाड़ू अब वहीं से बनायेंगी शहर को स्वच्छ रखने की योजनायें

आलोक कुमार की रिपोर्ट

बिहार की जनता ने एक बार फिर साबित किया कि लोकतंत्र काफी मजबूत है, ऐसा उसने एक मैला ढोने वाली महिला को डिप्टी मेयर चुनकर साबित किया है। पिछले 40 वर्षों से मैला ढोने वाली भगवती देवी गया की डिप्टी मेयर चुनी गयी हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले छुआछूत और ऊंच-नीच के भेदभाव को दरकिनार करके अत्यधिक हाशिए पर रहने वाले मुसहर समुदाय की महिला और पेशे से स्टोन क्रशर पर काम करने वाली भगवती देवी को भारी मतों से विजयी बनाया था। 1996 में भगवती देवी को लोकसभा के लिए चुना गया था, जो अत्यधिक हाशिए पर रहने वाले मुसहर समुदाय की महिला और पेशे से स्टोन क्रशर में काम करती थी। भगवती देवी ने नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) के टिकट पर चुनाव लड़ा था और वह जनता दल (यूनाइटेड) से गया निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनी गयी थीं।

चिंता देवी चुनी गईं गया की डिप्टी मेयर

बिहार के गया में मतदाताओं ने एक बार फिर जा​त—पात और भेदभाव को दरकिनार करते हुए मैला ढोने वाली महिला को अपना प्रतिनिधि चुना है। बिहार नगर निकाय चुनाव (Bihar Municipal Election) में गया के मतदाताओं ने 40 वर्षों तक गया नगर निगम क्षेत्र में झाड़ू लगाने वाली महिला चिंता देवी को डिप्टी मेयर (Gaya Deputy Mayor) की कुर्सी पर बैठा दिया है। पूरे गया में स्वच्छता का संदेश देने वाली चिंता देवी ने अपने सिर पर मैला ढ़ोने का भी कार्य किया है।

मैला ढोने वाली महिला को शहर का डिप्टी मेयर चुने जाने पर नवनिर्वाचित मेयर वीरेंद्र कुमार उर्फ गणेश पासवान कहते हैं, "गया एक ऐसी जगह है जहां लोग ज्ञान की तलाश करते हैं और यह वह जगह भी है जहां से एक मुसहर महिला लोकसभा में जा सकती है। इस बार यहां के लोगों ने एक उदाहरण पेश किया है चिंता देवी को चुनकर, जो मानव मल को यहां तब अपने सिर पर ढोती थीं, जब यहां शौचालय कम थे। यह वाकई इतिहास रचने जैसा है।"

गौरतलब है कि गया में पिछले महीने 28 दिसंबर 2022 को 77 वार्ड के मेयर, डिप्टी व पार्षद का चुनाव हुआ था, जिसका परिणाम 30 दिसंबर को आया। गया कॉलेज में बनाए गए मतगणना केंद्र में गया नगर निगम मतगणना पूरी हुई। इस दौरान वीरेंद्र कुमार उर्फ गणेश पासवान श्यामदेव पासवान को हराकर मेयर चुने गये। यहां से नगर निकाय चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की बेटी को करारी शिकस्त मिली है, जबकि डिप्टी मेयर पर चिंता देवी को जनता का समर्थन मिला है।

नवनिर्वाचित डिप्टी मेयर चिंता देवी का घर गया शहर के माड़नपुर स्थित मंगलागौरी लट्टू गली में है। उनके घर तक पहुंचने के लिए तंग गलियों से गुजरना पड़ता है। गली पूरी तरह से टूटी-फूटी है और चिंता देवी के घर में खाना भी लकड़ी के चूल्हे पर बनता है। हालांकि उन्हें उज्ज्वला योजना के तहत गैस का कनेक्शन मिला है, लेकिन पैसे की अभाव में चूल्हे पर ही खाना बनता है। चिंता देवी के परिवार में तीन पुत्र भोला मांझी, बबलू मांझी एवं मोहित कुमार हैं और दो बहुएं देवदंती देवी और सोनी देवी है। उनके पुत्र भोला मांझी, बबलू मांझी और पुत्रवधु देवदंती देवी नगर निगम में दैनिक सफाईकर्मी के रूप में काम करते हैं।

चिंता देवी अनपढ़ हैं, मगर उन्होंने बतौर सफाईकर्मी पूरे क्षेत्र को स्वच्छता का ऐसा पाठ पढ़ाया कि हर कोई उन्हें सलाम करता है। चिंता देवी पिछले 40 सालों से नगर निगम के सफाई कर्मी के रूप में प्रतिदिन कचरा उठाने और झाड़ू लगाने का काम करती थीं। बाद में वह सब्जी बेचने का काम करने लगीं। इस बार गया नगर निगम का डिप्टी मेयर का पद आरक्षित होने के कारण चिंता देवी चुनावी मैदान में उतरीं और उन्हें जनता का भरपूर समर्थन मिला, रिकॉर्ड मतों से उन्होंने जीत हासिल की।

उप मेयर पद पर चिंता देवी को 50,417 मत मिले। इनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी निकिता रजक को 22,494 मत मिले। चिंता देवी 27,923 मतों से विजयी हुईं। निगम क्षेत्र की मतदाताओं ने अधिकांश पुराने चेहरों को नकार दिया। इस बार मतदाताओं ने अपने वार्ड में नए चेहरे पर भरोसा जताया है। नये चेहरे को वार्ड में सेवा करने का मौका दिया है। इस बार नगर निगम की 53 वार्ड में नए चेहरा सदन में दिखे।

गया के पूर्व डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव कहते हैं, चिंता देवी ने गया में मैला ढोने का काम भी किया था। मैला ढोने वाली महिला ने डिप्टी मेयर के पद का चुनाव जीतकर इतिहास रचा है। शहरवासियों ने दबे कुचले समाज का समर्थन कर उन्हें समाज में आगे बढ़ाने का काम किया है। जिस तरह भगवती देवी भी सिर पर मैले की टोकरी ढोकर सांसद बनी थीं, अब चिंता देवी जो कि मैला ढोने वाली महिला के रूप में जानी जाती थी, अब डिप्टी मेयर के रूप में जानी जाएंगी।

2020 में सफाईकर्मी के पद से रिटायर हुईं चिंता देवी के पति का स्वर्गवास हो चुका है। रिटायर होने के बाद भी उन्होंनेशहर को स्वच्छ रखने का अपना कार्य कभी नहीं छोड़ा। लोगों के दिलों में वह ऐसे राज करती थीं कि आज लोगों ने उन्हें डिप्टी मेयर की कुर्सी तक पहुंचा दिया।

जिस कार्यालय में झाड़ू लगाई, वहीं बनाएंगी योजना

चुनाव में मिले भारी समर्थन से खुश और भावुक होकर चिंता देवी कहती हैं, उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यहां तक की यात्रा भी कभी तय करेंगी, लोग इतना मान देंगे। अपना काम करते रहें तो जनता भी सम्मान देती है, जिस कार्यालय में झाडू लगाने वाली के रूप में कार्यरत थीं, अब वहीं से बैठकर शहर की स्वच्छता के लिए योजनाएं बनाएंगी।

चिंता देवी नहीं पढ़ सकीं शपथ पत्र

गया की डिप्टी मेयर बनीं चिंता देवी जीत के साथ ही सुर्खियों में हैं। मैला ढोने से लेकर सब्जी बेचने और फिर डिप्टी मेयर बनने का उनका सफर संघर्षों से भरा रहा। कम पढ़ी लिखी होने के कारण वे शपथ पत्र नहीं पढ़ सकीं, जिसके बाद डीएम डॉ.त्यागराजन एमएस ने शपथ पत्र पढ़ने में उनकी मदद की।

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