दलित युवती का सरेआम अपहरण, पुलिस बोली- इंतजार कर लो किसी के साथ गई होगी आ जाएगी

अभी तक पुलिस यह पता नहीं लगा पाई कि उनकी बेटी का अपहरण किया गया है, या फिर उसके साथ कोई अनहोनी हो गई है। पीड़ित परिवार शनिवार से अपनी बच्ची की खोज में यहां वहां भटक रहा है....

Update: 2021-08-11 09:50 GMT

(पुलिस की ढीली कार्यवाही से परेशान ग्रामीण अब सोशल मीडिया पर संदेश डाल कर युवती को खोजने की कोशिश कर रहे हैं। प्रतीकात्मक तस्वीर)

मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज यूं तो खुद को बेहद ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ मंत्री के तौर पर साबित करने की हर संभव कोशिश करते हैं। लेकिन स्थिति यह है कि उनके गृह जिले में ही कानून व्यवस्था का दिवाला निकला हुआ है। अंबाला जिले के गांव समालखा से एक दलित युवती का सरेआम अपहरण कर लिया गया। घटना शनिवार की है, लेकिन आज तक पुलिस लड़की का सुराग लगाने में पूरी तरह से नाकामयाब साबित हो रही है।

संभालखा निवासी पीड़ित पिता ने बताया कि उसकी बेटी सिविल अस्पताल अंबाला छावनी में काम करती है। इस शनिवार को वह अपने काम से जब गांव में वापस स्कूटी से आ रही थी तो गांव से करीब दो किलोमीटर दूर उसकी बेटी का अपहरण कर लिया गया। उसने बताया कि बेटी की स्कूटी, पर्स और मोबाइल तो मौके से मिल गया, लेकिन बेटी का सुराग नहीं लगा।

उन्होंने बताया कि पहले तो अपने स्तर पर लड़की की खोजबीन की, लेकिन जब पता नहीं चला तो क्षेत्र के साहा पुलिस स्टेशन में शिकायत दी। पीड़ित परिवार ने बताया कि पहले तो पुलिस उनकी शिकायत ही सुनने के लिए तैयार नहीं थी। बार बार पुलिसकर्मी एक ही बात बोल रहे थें, युवती अपने आप कहीं चली गई होगी। इंतजार कर लो, वापस आ जाएगी। काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया,लेकिन अब युवती की खोजबीन की दिशा में कुछ नहीं किया जा रहा है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस इस मामले को बहुत ही सामान्य घटना मान कर चल रही है।

अभी तक पुलिस यह पता नहीं लगा पाई कि उनकी बेटी का अपहरण किया गया है, या फिर उसके साथ कोई अनहोनी हो गई है। पीड़ित परिवार शनिवार से अपनी बच्ची की खोज में यहां वहां भटक रहा है। उनकी एक ही मांग है कि बस किसी तरह से बच्ची के बारे में पता चल जाए।

दलितों के लिए काम करने वाली संस्था  मूक नायक फाउंडेशन की प्रवक्ता सुषमा सरोहा ने घटना पर रोष जताते हुए बताया कि दलितों के साथ हमेशा ही हरियाणा पुलिस ऐसा ही रवैया अपनाती है। यही कारण है कि दलित समाज के साथ लगातार नाइंसाफी हो रही है। उन्होंने मांग की कि इस केस में लापरवाही बरतने वाले एसएचओ को तुरंत सस्पेंड करना चाहिए, मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से होनी चाहिए।

सुषमा सरोहा ने बताया कि एक ओर तो सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि पुलिस मुस्तैद है। कंट्रोल रूम बनाए जा रहे हैं। लेकिन यह सब बयानबाजी है। हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने बताया कि की घटना पुलिस की जांच प्रणाली और काम के तरीके पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। इससे भी बड़ी बात तो यह है कि यह घटना किसी और जिले की नहीं, बल्कि हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के गृह जिले की है। क्योंकि अनिल विज अंबाला छावनी से विधायक है। जहां युवती का अपहरण हुआ है, वह जगह गृहमंत्री के घर से मात्र 20 किलोमीटर दूर है।

कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और इन दिनों दलित एक्टिविस्ट के तौर पर काम कर रहे अशोक तंवर ने बताया कि दलित युवती का अपहरण प्रदेश की कानून व्यवस्था की पोल खोल रहा है। उन्होंने सवाल क्योंकि पीड़ित परिवार दलित है,इसलिए पुलिस को इस घटना से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। क्या पुलिस यह इंतजार कर रही है कि युवती के साथ कोई बड़ी अनहोनी हो जाए।

यह वारदात जहां प्रदेश के कानून व्यवस्था की पोल खोलती नजर आ रही है, इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि पुलिस अभी भी महिलाओं की हिफाजत के लिए किस तरह से काम कर रही है। उन्होंने गृहमंत्री अनिल विज की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यह सिर्फ बयानबाजी कर मीडिया की सुर्खियां बटोर रहे हैं। इससे ज्यादा अनिल विज कुछ नहीं कर रहे हैं।

वह तो बस कभी अपने डीजीपी के खिलाफ बोल कर तो कभी एक आध पुलिस स्टेशन में जाकर कार्यवाही के नाम पर एक दो पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर रहे हैं। ताकि उन्हें प्रचार मिल सके। लेकिन एक बार भी उनकी ओर से एेसा कुछ नहीं किया कि सिस्टम में सुधार हो सके। अभी भी हरियाणा पुलिस महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। गांव समालखा में युवती के अपहरण होने और इसके बाद पुलिस जिस तरह से काम कर रही है,इससे तो यहीं लग रहा है कि पुलिस आज भी ढर्रे पर ही चल रही है।

उन्होंने मांग की कि दलित युवती की खोजबीन के लिए पुलिस की स्पेशल टीम गठित की जानी चाहिए। प्रदेश में लगातार महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले बढ़ रहे हैं। इस वजह से यह घटना और ज्यादा चिंताजनक है।

इधर मामले में जब साहा के पुलिस इंचार्ज बलकार सिंह से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि वह व्यस्त है। अभी इस मामले पर बातचीत नहीं कर सकते हैं।पीड़ित परिवार कभी अनिल विज तो कभी साहा पुलिस स्टेशन के चक्कर काट रहा है। लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है।

पुलिस की ढीली कार्यवाही से परेशान ग्रामीण अब सोशल मीडिया पर संदेश डाल कर युवती को खोजने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जैसे जैसे समय बीत रहा है, ग्रामीणों के सब्र टूट रहा है।

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