उत्तरकाशी के मोरी में जिस दलित को सवर्ण गुंडों ने किया अधमरा उसी के खिलाफ करा दिया अब मुकदमा, मंदिर में घुसने पर दहकते अंगारों से जलाने का था मामला
उत्तरकाशी के मोरी सालरा गांव में एक अनुसूचित जाति के युवक आयुष को मंदिर में घुसने पर उच्च जाति के युवाओं ने पूरी रात बेरहमी के साथ पीटते हुए दहकते हुए अंगारों से जलाकर अधमरा कर दिया था, इस दौरान शराब के नशे में धुत्त होकर पिटाई कर रहे सवर्ण युवा आयुष के मां बाप के सामने भी उसे तड़पा तड़पाकर मारते रहे...
देहरादून। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के मोरी क्षेत्र में दलित युवक के मंदिर में प्रवेश करने पर सवर्ण गुंडों द्वारा उसे दहकते अंगारों से जलाए जाने के बाद अब उसी पीड़ित युवक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। पीड़ित परिवार पर समझौते का दबाव बनाने के मकसद से दर्ज कराए गए इस मुकदमें में कोर्ट का सहारा लिया गया है। पीड़ित युवक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने से राज्य के तमाम दलित संगठनों में उबाल आ गया है। इस मामले में दलित संगठन प्रभावी कार्यवाही के लिए रणनीति बनाने में जुट रहे हैं।
बता दें कि मोरी सालरा गांव में एक अनुसूचित जाति के युवक आयुष को मंदिर में घुसने पर सवर्ण जाति के गुंडों ने पूरी रात बेरहमी के साथ पीटते हुए दहकते हुए अंगारों से जलाकर अधमरा कर दिया था। इस दौरान शराब के नशे में युवक की पिटाई कर रहे यह नरपिशाच युवक के मां बाप के सामने तक उसे तड़पा तड़पाकर मारते रहे। सुबह युवक आयुष किसी तरह इन नरपिशाचों के चंगुल से बचकर भाग निकला, जिसके बाद मामले में पांच लोगों के खिलाफ मारपीट की मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया था। जबकि यह मामला हत्या के प्रयास के तहत दर्ज होना चाहिए था, लेकिन मुकदमा दर्ज होने और आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद इलाके के सवर्ण लोग इस दलित परिवार के खिलाफ आ गए।
बताया जा रहा है कि यह लोग क्षेत्र की एक राजनीतिक हस्ती के इशारे पर पीड़ित परिवार पर समझौते का दबाव बना रहे थे। पीड़ित परिवार द्वारा इन लोगों के सामने न झुकने के कारण उसका मनोबल कानूनी दांवपेंचों से तोड़ने के मकसद से अब सवर्ण समुदाय के लोगों ने पीड़ित युवक के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज कराने की यह कार्यवाही की है। कोर्ट के आदेश पर युवक आयुष के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। गांव की मंदिर समिति इस मामले को लेकर कोर्ट गई थी, जिसमें कहा गया कि पुलिस ने उनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की। पुलिस ने न्यायालय के आदेश पर आयुष के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने सहित कई अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
मोरी सालरा गांव में मंदिर में प्रवेश करने पर अनुसूचित जाति के युवक आयुष के साथ बेरहमी से मारपीट की घटना में पुलिस ने यह मुकदमा न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी पुरोला के आदेश पर किया है। बीते 21 जनवरी को सालरा गांव निवासी करतार सिंह ने इस प्रकरण में न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। करतार सिंह ने पुलिस पर उनकी शिकायत पर मुकदमा दर्ज न करने का आरोप लगाते हुए कोर्ट में कहा था कि बैनोल गांव निवासी आयुष बीते 9 जनवरी को कौल महाराज के मंदिर में आकर सीधे यहां जल रही धूनी में कूदा।
मंदिर में मौजूद थानी (मंदिर की देखरेख करने वाला व्यक्ति) रामदयाल ने आयुष को रोका तो उसने थानी के साथ मारपीट कर उसे मंदिर से बाहर धकेल दिया, जिससे थानी के शरीर पर चोटें भी आई हैं। घटना के दौरान वहां मौजूद प्रकाश लाल ने थानी (मंदिर की देखरेख करने वाले व्यक्ति) को संभाला। करतार ने प्रार्थना पत्र में लिखा था कि आयुष ने मंदिर में रखी प्रतिमाएं, धार्मिक प्रतीक तथा अन्य सामग्री मंदिर से बाहर फेंक दिया। इसके बाद आयुष मंदिर के गर्भगृह में गया और दरवाजा बंद कर दिया। आयुष ने मंदिर में प्रतीकों को खंडित कर व गर्भगृह में घुसकर धार्मिक भावनाओं का ठेस पहुंचाई है। करतार सिंह की ओर से अधिवक्ता प्रेम सिंह राणा ने कोर्ट में शनिवार 21 जनवरी को यह परिवाद पत्र दायर किया था।
मोरी थाना प्रभारी मोहन सिंह कठैत ने बताया कि न्यायालय से मुकदमा दर्ज किए जाने का आदेश पत्र प्राप्त हुुआ है, जिसके तहत आयुष के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, नुकसान पहुंचाने व मारपीट के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। सीओ ऑपरेशन उत्तरकाशी प्रशांत कुमार ने बताया कि कोर्ट के दिशा निर्देश पर आयुष के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। जबकि आयुष की ओर से कराए गए मुकदमे में विवेचना लगभग पूरी हो चुकी है। इस मुकदमे में जल्द आरोपपत्र दायर कर लिया जाएगा।
इधर पीड़ित आयुष के खिलाफ दर्ज कराए गए मुकदमे पर दलित चिंतक व साहित्यकार राजाराम विद्यार्थी ने अपनी त्वरित टिप्पणी में कहा है कि उत्तराखंड समेत पूरे देश में अब दलित उत्पीड़न अपनी चरमसीमा को पार कर चुका है। शासन प्रशासन के अलावा अब देश की न्याय व्यवस्था भी दलितो के खिलाफ खड़ी हो गई है। यह देश अब सभी लोगों के रहने लायक नहीं रहा है, जबकि भीम आर्मी ने पीड़ित पक्ष पर मुकदमा दर्ज करने को उत्पीड़न की पराकाष्ठा बताते हुए कहा कि इसके खिलाफ वह बड़ा आंदोलन खड़ा करेगी।