दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला, नई दुल्हन का घर का कामकाज ना करना नहीं है क्रूरता
कोर्ट ने कहा, पत्नी का अपने कमरे में ही बने रहना या घर के काम करने में पहल न करने को क्रूर व्यवहार नहीं कहा सकता और यह पति पर भी निर्भर है...
नई दिल्ली, जनज्वार। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि यह पति के परिवार की जिम्मेदारी है कि वह नई दुल्हन को घर जैसा माहौल दे और अपनापन महसूस कराए और दुल्हन का अपने कमरे में ही बना रहना या घर के कामकाज में आगे बढ़कर पहल नहीं करने को क्रूरता नहीं माना जा सकता।
जस्टिस हिमा कोहली और आशा मेनन की अगुवाई वाली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा, "पत्नी का अपने कमरे में ही बने रहना या घर के काम करने में पहल न करने को क्रूर व्यवहार नहीं कहा सकता और यह पति पर भी निर्भर है।"
कोर्ट ने कहा कि दुल्हन नए माहौल में संकोच महसूस करती है और यह हमेशा पति के परिवार की जिम्मेदारी है कि वह नई दुल्हन को घर जैसा माहौल महसूस कराए और उसे परिवार के सदस्य के रूप में स्वीकार करे।
पीठ ने विशाल सिंह द्वारा दायर एक अपील को खारिज करते हुए यह बात कही। विशाल ने ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत प्रिया के साथ विवाह को खत्म करने की उनकी अपील को खारिज कर दिया था।
विशाल और प्रिया ने 2012 में शादी की थी और दोनों की कोई संतान नहीं है। पति ने आरोप लगाया है कि शादी के बाद शुरू से ही पत्नी का रवैया सकारात्मक नहीं था, क्योंकि वह वैवाहिक संबंध निर्वहन करने से इनकार कर देती थी।