Kanpur Crime Update: एक तरफ बेटी की अर्थी जल रही थी तो दूसरी तरफ कानपुर पुलिस खुद को बचाने की जुगत में लगी थी

एक तरफ बेटी की चिता जल रही थी तो दूसरी तरफ पुलिस अपने बचाव में जुटी थी। घाट पर ही मृतका के पिता से एक कागज पर अंगूठा लगवाया गया। इस कागज पर लिखा था कि वह वर्तमान विवेचक की कार्रवाई से संतुष्ट हैं...

Update: 2021-12-17 04:59 GMT

(दुष्कर्म का आरोपी लेखपाल रंजीत वरबार)

Kanpur Crime Update: उत्तर प्रदेश के कानपुर में पुलिस (Kanpur Police) एक और कारनामा सामने आया है। सामूहिक दुष्कर्म की शिकार किशोरी की मौत के बाद जिस तरह पुलिस की मिलीभगत और लापरवाही खुलकर उजागर हुई उतनी ही तेजी से ककवन पुलिस विवेचना के पीछे पड़ी दिखी।

शहर के भैरवघाट (Bhairav Ghat) में एक तरफ बेटी की चिता जल रही थी तो दूसरी तरफ पुलिस अपने बचाव में जुटी थी। घाट पर ही मृतका के पिता से एक कागज पर अंगूठा लगवाया गया। इस कागज पर लिखा था कि वह वर्तमान विवेचक की कार्रवाई से संतुष्ट हैं। इसलिए आगे भी वही विवेचना करें।

इस पुलिसिया खेल से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस किस हद तक विवेचना चाह रही है। यदि यह विवेचना कोई और करेगा तो ककवन पुलिस फंस सकती है। पुलिस ने अक्टूबर में दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज की थी लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की। 

आखिर में पीड़ित परिवार को आशंका हुई की पुलिस आरोपियों से मिल गई है। जिसके बाद 29 नवंबर को परिवार ने आईजी रेंज प्रशांत कुमार से मिलकर विवेचना गैर जनपद स्थानांतरित करने की मांग की थी। साथ ही परिवार ने पुलिस पर लेखपाल से 6 लाख रूपये लेने का भी आरोप लगाया था। 

घाट पर ककवन एसओ (SO Kakvan) ने पीड़िता के पिता से उस कागज पर अंगूठा लगवाया जिसमें विवेचना ट्रांसफर न करने की बात लिखी थी। एसओ ने यह इसलिए किया ताकि आगे वह अपना बचाव कर सकें (Kanpur Crime News)।

पुलिस के दबाव में परिवार

बेटी की मौत के बाद से ही पिता सदमें में है। वह किसी से कोई बातचीत नहीं कर रहे हैं। उनके बड़े भाई से विवेचना ट्रांसफर करने के लिए दिए गये प्रार्थना पत्र के बारे में पूछा गया तो उन्होने कहा कि पुलिस जे कर रही वह सही कर रही। उसके बाद वह फूट-फूटकर रोने लगे। शुरूआत से ही पीड़ित परिवार पुलिस के दबाव में है। गिरफ्तारी से पहले तक लेखपाल उनपर दबाव बना रहा था।

निलंबित हुआ आरोपी लेखपाल 

सामूहिक दुष्कर्म का आरोपी लेखपाल आखिरकार गुरूवार शाम को निलंबित कर दिया गया। एफआईआर दर्ज होने के बाद जिस तरह पुलिस उसपर मेहरबान थी उसी तरह प्रशासन भी उसे बचाने में जुटा हुआ था। यही वजह रही की उसे निलंबित नहीं किया गया। यहां तक की गिरफ्तारी के 36 घंटे बीत जाने के बाद उसपर कार्रवाई की गई। 

एसपी आउटर अजीत कुमार सिन्हा का इस मामले में कहना है कि, वादी विवेचना बदलवाने के लिए स्वतंत्र है। उसपर कोई भी किसी तरह का दबाव नहीं डाल सकता। इस मामले की भी जांच कराई जाएगी। यदि लेखपाल को बचाने का प्रयास किया गया होगा तो जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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