योगीराज : छेड़छाड़ की शिकायत करने थाने पहुंची पीड़िता, चौकी इंजार्च बोला पहले दिखाओ सबूत

जब अपनी शिकायत लेकर पीड़ित युवती चौकी इंचार्ज से मिली तो चौकी इंचार्ज ने युवती से ही छेड़खानी के सबूत मांगते हुए कहा कि जब सबूत दिखाओगी तभी आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज की जायेगी...

Update: 2020-11-25 11:56 GMT

छेड़खानी की शिकायत दर्ज कराने पहुंची पीड़िता ने चौकी इंजार्च ने मांगा सबूत​ (photo : NBT)

जनज्वार। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के मिशन शक्ति और एंटी रोमियो स्कवायड अभियान का लगातार मजाक बन रहा है। मिर्जापुर में एक आदिवासी नाबालिग बच्ची द्वारा छेड़खानी से आजिज आने के बाद आत्महत्या करने का मामला अभी थमा भी नहीं था कि इस तरह की कई और घटनायें सामने आ रही हैं। कई घटनाओं में तो पुलिस ही मिशन शक्ति की धज्जियां उड़ा रही हैं।

मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक गाजियाबाद में छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज कराने पहुंची युवती से चौकी इंचार्ज ने छेड़खानी के सबूत ही मांग लिए।

युवती ने पुलिस के पास की गयी शिकायत में बताया था कि उसके ऑफिस में एक युवक उससे छेड़छाड़ करता है जब अपनी शिकायत लेकर पीड़ित युवती संबंधित चौकी इंचार्ज से मिली तो चौकी इंचार्ज ने युवती से ही छेड़खानी के सबूत मांगते हुए कहा कि जब सबूत दिखाओगी तभी आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज की जायेगी।

पीड़ित युवती गाजियाबाद के थाना कविनगर इलाके में रहती है और एक फाइनेंस कंपनी में नौकरी करती है। पीड़िता के मुताबिक उसके साथ काम करने वाला गौरव नाम का युवक लगातार उसे परेशान करता था और उसके साथ छेड़छाड़ करता है।

इस बात की शिकायत जब पीड़िता ने अपने एक पारिवारिक साथी से की वह आरोपी युवक से बात करने गया था। समझाने पहुंचे गौरव ने उल्टा पीड़िता के पारिवारिक मित्र को ही पीट दिया। इसी के बाद पीड़िता परेशान होकर संबंधित चौकी इंचार्ज के पास पहुंची थी।

एनबीटी में प्रकाशित खबर के  मुताबिक सेक्टर-23 चौकी इंचार्ज रामपाल सिंह को उसने अपनी शिकायत लिखित में दी थी, जिस पर चौकी इंचार्ज ने उसकी शिकायत दर्ज करने के बजाय उससे छेड़खानी का सबूत ही मांग लिया।

यूपी पुलिस का ऐसा रवैया तब है जबकि मिशन शक्ति अभियान के तहत 1535 पुलिस थानों में एक अलग कमरे का प्रावधान किया गया है जिसमें पीड़िता, महिला पुलिसकर्मी के समक्ष शिकायत दर्ज करा सकती है, ताकि तुरंत कार्रवाई हो सके और अपराधी को सज़ा दी जा सके, मगर असल सवाल यह है कि क्या यह जमीनी स्तर पर हो पा रहा है। अगर हो रहा होता तो ऐसे मामले सामने नहीं आते, जिसमें पुलिस पीड़िता से ही छेड़खानी के सबूत मांगने लगे।

आंकड़ों और घटनाओं के हिसाब से देखा जाये तो योगी सरकार ने जिस मिशन शक्ति और एंटी स्कवायड अभियान के बूते महिलाओं को हिंसा से बचाने का दावा करती है, उसका यूपी पुलिस खुलेआम मजाक उड़ाती है।

थोड़े दिन पहले थाना सिहानी गेट पुलिस पर एक युवती ने रिश्वत लेकर आरोपी को छोड़ने का गंभीर आरोप लगाया था। यह मामला भी पुलिस के आला अधिकारियों तक पहुंचा था, जिसमें जांच के बाद कार्रवाई की बात कही गयी। जांच कितनी होगी, यह पुरानी घटनाओं के मद्देनजर समझा जा सकता है। 

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