High Court Order : दो दशक से अलग रह रही पत्नी का तलाक के लिए इनकार करना क्रूरता

High Court News : पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने दो दशक से अलग रहने के बावजूद आपसी सहमति से तलाक न लेने के पत्नी के निर्णय को पति के प्रति क्रूरता मानते हुए तलाक के आदेश को मंजूरी दे दी है...

Update: 2022-06-17 09:22 GMT

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High Court Order : पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने दो दशक से अलग रहने के बावजूद आपसी सहमति से तलाक न लेने के पत्नी के निर्णय को पति के प्रति क्रूरता मानते हुए तलाक के आदेश को मंजूरी दे दी है। बता दें कि पत्नी ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट (High Court Order) में याचिका दाखिल करते हुए कहा था कि उसका विवाह 1990 में नारनौल में हुआ था और विवाह के बाद से ही पत्नी का व्यवहार याची के प्रति सही नहीं था।

मानसिक तौर पर बीमार पत्नी हो जाती थी हिंसक

बता दें कि याची का कहना था कि उसकी मानसिक तौर पर बीमार थी और अक्सर हिंसक हो जाती थी। कई बार उसने याची पर हमला भी किया। उसके इलाज का बहुत प्रयास किया गया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। याची ने बताया कि उसकी पत्नी उसके लिए खाना भी नहीं बनती थी और कई बार याची को भूखे पेेट ही सोना पड़ता था। इसके बाद अचानक वह घर छोड़कर चली गई।

फैमली कोर्ट से राहत ना मिलने पर किया हाईकोर्ट का रुख

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार याची ने तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में याचिका दाखिल की तो वहां पर पत्नी इन सभी आरोपों से मुकर गई। उसने बीमार होने की बात को गलत बताया और यह भी कहा कि उसने कभी अपने पति और बच्चों पर हमला नहीं किया। नारनौल की अदालत ने याची की तलाक से संबंधित याचिका को 2004 में सिरे से खारिज कर दिया। जिसके बाद याची ने हाईकोर्ट (High Court Order) में अपील दाखिल की।

हाईकोर्ट ने पतला फैमली कोर्ट का फैसला

बता दें कि हाईकोर्ट (High Court Order) ने इस मामले में मध्यस्थता के माध्यम से दंपती को फिर से एक करने का प्रयास किया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। इस मामले में फैसला सुनते हुए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनते हुए कहा कि दंपती दो दशक से अलग-अलग रह रहें हैं और ऐसे में इस विवाह के बचे रहने की संभावना समाप्त हो गई है।

पत्नी का तलाक लेने से इनकार क्रूरता

हाई कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसे में भी पत्नी तलाक लेने से इनकार कर रही है जो पति के प्रति क्रूरता है। साथ ही हाईकोर्ट (High Court Order) ने तलाक की याचिका को मंजूर करते हुए याची को आदेश दिया कि वह 10 लाख रुपये एक मुश्त अपनी पत्नी को उपलब्ध करवाए।


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