पहली पत्नी को तीन तलाक बोल नाबालिग से दूसरी शादी करने वाले युवक की सुरक्षा की मांग हाईकोर्ट ने ठुकराई
अभी युवक की याचिका पर सुनवाई चल रही थी कि पहली पत्नी अपने वकील के माध्यम से अदालत में उपस्थित हुई। उसने अपनी याचिका में बताया कि वह उस युवक की पत्नी है। क्योंकि उसने जो तलाक दिया है, वह कानूनी तौर पर सही नहीं है....
जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। पहली पत्नी को तीन तलाक बोल कर नाबालिग से दूसरी शादी करने वाले मुस्लिम युवक ने पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय ने सुरक्षा की मांग की। जोड़े ने अपनी जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा मांगी थी। पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस अर्जी को खारिज कर दिया है।
हुआ यह कि दूसरी शादी कर यह युवक पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय पहुंचा। इसी बीच उसकी पहली पत्नी ने भी अदालत में अर्जी दायर कर दी। इसमें उसने बताया कि तत्काल तीन तलाक को कानून में मान्यता नहीं दी गई थी। इसलिए उसका पति दूसरी शादी नहीं कर सकता।
हरियाणा के पलवल जिले के एक दंपति ने अदालत में याचिका दायर कर बताया कि उन्होंने मुस्लिम अधिकारों और रीति-रिवाजों के अनुसार शादी की है। युवक ने बताया कि उसने अपनी पहली पत्नी को तलाक दे दिया है। इसके लिए उसने तीन तलाक दी है। अब उसने दूसरी महिला से शादी कर दी है। उसकी जान को खतरा है। इसलिए उसे सुरक्षा प्रदान की जाए।
अभी युवक की याचिका पर सुनवाई चल रही थी कि पहली पत्नी अपने वकील के माध्यम से अदालत में उपस्थित हुई। उसने अपनी याचिका में बताया कि वह उस युवक की पत्नी है क्योंकि उसने जो तलाक दिया है, वह कानूनी तौर पर सही नहीं है। पहली पत्नी ने बताया कि तत्काल तीन तलाक को कानून में मान्यता नहीं है। यहां तक कि मुस्लिम अधिकारों के अनुसार भी यह एक वैध तलाक नहीं है।
उसके वकील ने यह भी दावा किया कि युवक ने गलत मंशा से अदालत में सुरक्षा की मांग की है। क्योंकि उस पर पहले ही बाल विवाह निषेध अधिनियम, धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों लगे हुए हैं। पलवल के महिला पुलिस थाने में बच्चों के यौन अपराध (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के तहत भी उसके खिलाफ मामला दर्ज है।
कोर्ट ने पलवल एसपी को भी निर्देश दिए कि वह दूसरी पत्नी की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए उचित कदम उठाए। उसकी सुरक्षा में किसी भी तरह की कोताही न बरती जाए। इसके साथ ही अदालत ने इस युवक की याचिका को खारिज कर दिया है।
केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 बनाकर तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया है और कानून की अवहेलना करने वालों के खिलाफ उचित कार्यवाही का प्रावधान किया है। इसके बाद भी तीन तलाक के मामले खत्म नहीं हो रहे हैं।
पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय की एडवोकेट व महिला कार्यकर्ता आरती अग्रवाल ने बताया कि इसके लिए महिलाओं को जागरूक होना होगा। क्योंकि तीन तलाक में वह पीड़ित पक्ष होती है। यदि वह तुरंत कानून की शरण में आती है तो निश्चित ही उन्हें कानून के मुताबिक इंसाफ मिल सकता है। पलवल के मामले में पीड़िता ने तुरंत उचित कदम उठाया। इसलिए वह न सिर्फ तीन तलाक के खिलाफ बल्कि पति की दूसरी शादी भी अवैध घोषित कराने में कामयाब रही है।
पीड़ित महिला ने बताया कि उसके पति ने उसे तलाक देकर एक नाबालिग से शादी कर ली है। जब उसके खिलाफ अलग अलग धाराओं में मामला दर्ज हो गया तो वह इससे बचने के लिए पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय में आ गया। जिससे सुरक्षा की आड़ में वह पुलिस की कार्यवाही से भी बच सके। लेकिन माननीय न्यायाधीश ने उसकी बात सुनी। इसलिए उसका पति अपने इरादों में कामयाब नहीं हो पाया।
आरती अग्रवाल ने बताया कि मुस्लिम महिलाओं को इसके लिए जागरूक करना होगा जिससे वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सके। उन्होंने इसके लिए महिला अधिकार कार्यकर्ताओं समेत मीडिया और सभी माध्यमों से भी अपील की कि वह महिलाओं की जागरूकता की ओर ध्यान दें।
तीन तलाक पर कानून बनने के बाद हरियाणा में पहली एफआईआर अगस्त 2019 में दर्ज की गई थी। मेवात के नूंह की रहने वाली साजिदा ने अपने पति सलाहुद्दीन के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। उसने फोन पर ही उसे तीन तलाक दे दिया था। हिमाचल में तीन तलाक का इसी साल जनवरी में समाने आया था। यहां एक महिला शगुफ्ता ने अपने पति पर तीन तलाक को लेकर पुलिस में मामला दर्ज करवाया था।
आरती ने बताया कि अभी पुलिस के पास शिकायत लेकर महिलाएं कम आ रही है। एक दो केस ही रिपोर्ट होते हैं। जबकि तलाक के केसों की संख्या ज्यादा है। इसके लिए उन्होंने स्थानीय अथॉरिटी से भी मांग की कि वह भी इस ओर ध्यान दें।