दलित बस्ती की पानी की टंकी में डाला इंसानी मल, दर्जनों बच्चों के बीमार होने पर हुआ खुलासा : पैरियार की धरती पर शर्म भी हुई शर्मसार
शक के आधार पर जब डॉक्टर्स ने पीने के पानी की जांच की सलाह दी तो ग्रामीणों ने जब उसका ढक्कन खोला गया तो उसमें इतना ज्यादा मानव मल पड़ा था कि पानी पीला पड़ गया। गांव की पंचायत ने जब इसकी प्रशासन से शिकायत की तो जांच के लिए मौके पर पहुंची पुद्दुकोट्टई जिले की कलेक्टर कविता रामू और पुलिस सुप्रीडेंट वंदिता पांडे के सामने चौंकाने वाले खुलासे हुए...
photo : social media
Dalit live matter : 21वीं शताब्दी का भी जब एक चौथाई हिस्सा गुजरने की कगार पर हो तो आधुनिक विश्व के कदमताल करने की कोशिश में जुटे भारत से तमाम ऐसी शर्मनाक खबरों का आना जारी है जिन्हें सुन और पढ़कर क्रूर और बर्बर लोग भी शर्मसार हो उठें। ऐसी ही एक खबर साल 2022 के आखिरी दिनों में देश के दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु से आई है, जो बताती है कि दूसरों को सभ्यता का पाठ पढ़ाने स्वयंभू विश्वगुरु के लोग इस कदर असभ्यता के बजबजाते सड़ांध भरे नाले में डुबकी लगा रहा है कि दलितों के पीने तक के पानी में मानव मल मिलाकर उन्हें जहरीला पानी पीने को मजबूर किया जा रहा है।
तमिलनाडु के पुद्दुकोट्टई जिले के वेंगईवयल गांव में हुई यह घटना तब प्रकाश में आई जब गांव के बच्चों समेत कई लोग बीमार और बेहोश होने लगे। इस बस्ती में रहने वाले दलितों को एक ही वाटरटैंक से सप्लाई होती थी। शक के आधार पर जब डॉक्टर्स ने पीने के पानी की जांच की सलाह दी तो ग्रामीणों ने जब उसका ढक्कन खोला गया तो उसमें इतना ज्यादा मानव मल पड़ा था कि पानी पीला पड़ गया। गांव की पंचायत ने जब इसकी प्रशासन से शिकायत की तो जांच के लिए मौके पर पहुंची पुद्दुकोट्टई जिले की कलेक्टर कविता रामू और पुलिस सुप्रीडेंट वंदिता पांडे के सामने चौंकाने वाले खुलासे हुए।
पेरियार की इस धरती पर जहां एक समय में मानवीय गरिमा के सम्मान में बड़ा सामाजिक आंदोलन चल चुका हो, वहां की चाय तक की दुकानों पर दलितों के लिए गिलास तक भी अलग हैं। यहां तक कि इन दलितों को मंदिरों में जाने तक की इजाजत नहीं है।
जिस वेंगईवयल गांव में दलितों के साथ अत्याचार की यह घटना सामने आई है, वहां दलित समुदाय के 100 लोगों के लिए पीने के पानी की सप्लाई के लिए एक दस हजार लीटर का वाटर टैंक है। ग्रामीणों के मुताबिक पिछले कुछ दिनों से गांव के बच्चे बीमार पड़ने लगे। कुछ लोग पानी पीकर बेहोश भी हो गए तो इनका इलाज करने वाले डॉक्टर ने पीने के पानी को इसकी वजह होने की आशंका व्यक्त की थी। निकट के ही मुत्तुक्कडू गांव में बने इस वॉटर टैंक से यहां रहने वाले अरूंथथियार दलित समुदाय के सौ लोगों को पानी दिया जाता था।
डॉक्टर की आशंका पर जब कुछ युवाओ ने टैंक पर चढ़कर देखा तो इस टैंक का ढक्कन पहले से ही हटा हुआ था। टैंक में झांका तो उसमें इतना मल पड़ा था कि पानी तक पीला हो गया। ग्रामीणों को इसकी जानकारी नहीं थी और वो कई दिनों से उसका पानी पी रहे थे। इस मामले में पॉलिटिकल एक्टिविस्ट मोक्ष गुनावलगन ने बताया कि जब बच्चे बीमार पड़ने लगे तो यह सच सामने आया।
प्रशासन का बयान
इस घटना के सामने आने के बाद मौके पर जांच के लिए पहुंची कलेक्टर कविता रामू ने कहा कि अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि घटना के लिए कौन जिम्मेदार है। किसी ने भी किसी को वाटर टैंक पर चढ़ते और उसमें मल डालते नहीं देखा है। कुछ दिन पहले वाटर टैंक के आसपास की फेंसिंग खुली हुई दिखाई दी थी। पुद्दुकोट्टई कलेक्टर ने जांच के दौरान बीमार हुए लोगों का इलाज कर रहे कैम्प का भी दौरा करते हुए उनसे भी इस बारे में जानकारी ली।
चाय की दुकान पर भी दलितों के हैं अलग गिलास
दरअसल इस गांव में जो अरूंथथियार समुदाय रहता है, उसे दलित जाति माना जाता है। जांच के दौरान गांव में पहुंची जिलाधिकारी से इस समुदाय ने बताया कि उनके साथ छुआछूत की यह रस्म तीन पीढ़ियों से जारी है। दलितों को मंदिरों में घुसने की इजाजत नहीं है। चाय की दुकानों पर दलितों के गिलास अलग होते हैं। अपनी बात की पुष्टि के लिए ग्रामीण कलेक्टर और एसपी को लेकर चाय की दुकानों पर भी गए। जहां उन्होंने सच अपनी आंखों से देखने के बाद चाय वाले के खिलाफ भी केस दर्ज किया।
मंदिर में भी भेदभाव
इतना ही नहीं एसपी और कलेक्टर को लेकर ग्रामीण जब एक मंदिर पहुंचे तो वहां जब उन्होंने पूछा गया कि कौन है जो मंदिर में घुसने से रोकता है तो उनके जवाब में ऊंची जाति की एक महिला ने सामने आकर कहा कि उस पर देवता आए हैं। उन्हें मंदिर में नीची जाति वालों का दाखिल होना पसंद नहीं।
तीन पीढ़ी से अपमान का जीवन जीने को अभिशप्त हैं लोग
इस गांव में रहने वाली और मैथमेटिक्स में बीएससी की डिग्री हासिल कर चुकी सिंधुजा ने गांव में छुआछूत की भहावह तस्वीर का खाका खींचते हुए बताया कि उन्हें यहां यह सब अपनी आंखों से देखते हुए 22 साल हो गए हैं। वह गांव में ही पली-बढ़ी हैं। लेकिन पिछली तीन पीढ़ियों से हमें मंदिर में दाखिल नहीं होने दिया गया। कलेक्टर आज हमें मंदिर में लेकर गईं। यह हमारे लिए बड़ी खुशी है। हमें बराबरी चाहिए। यह अधिकार आगे भी हमें मिलने चाहिएं।
मामले में मद्रास हाई कोर्ट का भी हुआ दखल
दलितों पर अत्याचार की यह खबर सामने आने के बाद मद्रास हाईकोर्ट भी एक्शन में आ गया। मदुरै बेंच ने जातिगत भेदभाव को लेकर दायर याचिका पर पुदुक्कोट्टई कलेक्टर, एसपी और डीएसपी मानवाधिकार और सामाजिक न्याय विंग से स्थिति रिपोर्ट मांगी है। याचिकाकर्ता शनमुगम ने दूषति पानी पीने वाले परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की है। इस मामले में अब तक तीन केस दर्ज किए गए हैं।