Jhansi News : HIV पीड़ित परिवार तेज आतिशबाजी से दहशत में, प्रशासन से नहीं मिली राहत तो जिला जज को लिखी चिट्ठी

Jhansi News : शिकायतकर्ता ने कहा है कि उनका परिवार पिछले कई वर्षों से असाध्य रोग से पीड़ित है और झांसी के मेडिकल कॉलेज में इलाज करा रहा है। उनका एक बच्चा भी है जो शरीर और हृदय से कमजोर है।

Update: 2021-11-05 15:17 GMT

लक्ष्मी नारायण शर्मा की रिपोर्ट

Jhansi News। एचआईवी (HIV) जैसी असाध्य गम्भीर बीमारी से पीड़ित एक शख्स ने दीपावली (Diwali 2021) के दिन उनके मोहल्ले में भयानक आतिशबाजी पर रोक लगा पाने में नाकाम रहे सरकारी सिस्टम के खिलाफ झांसी के जनपद न्यायाधीश (District Judge) को चिट्ठी लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। जिला जज को लिखी चिट्ठी में इस शख्स ने कहा है कि उनका पन्द्रह वर्षीय बेटा शारीरिक रूप से कमजोर है और हृदय रोग से भी परेशान है। पटाखों (Firecrackers) की तेज धमक से बच्चा और परिवार बेहद दहशत महसूस करता है। तेज आतिशबाजी रोकने या परिवार को किसी सुरक्षित स्थान पर ठहराने की व्यवस्था कराने की गुहार लगाई गई है।

जिला जज को लिखी चिट्ठी में शिकायतकर्ता ने कहा है कि उनका परिवार पिछले कई वर्षों से असाध्य रोग से पीड़ित है और झांसी के मेडिकल कॉलेज में इलाज करा रहा है। उनका एक बच्चा भी है जो शरीर और हृदय से कमजोर है। बच्चा फेफड़े के रोग से भी गम्भीर प्रभावित रह चुका है। दीपावली की रात प्रेम नगर थानाक्षेत्र में पीड़ित के आवास के पास उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिबंधित तेज आवाज के पटाखों व बम लड़ी का देर रात तक बेरोकटोक प्रयोग हुआ। धमाकों के कारण पीड़ित परिवार दहशत व मानसिक कष्ट में रहा। बच्चे दीपावली पर्व नहीं मना सके। दहशत से घर में रहने को विवश हुए।

चिट्ठी में शिकायतकर्ता ने आगे लिखा है कि नियमविरुद्ध आतिशबाजी न करने का आग्रह भी लोगों ने नहीं माना। राहत के लिए पीड़ित ने प्रभारी जिलाधिकारी, नगर मजिस्ट्रेट, सीओ सदर और क्षेत्रीय थाने को फोन से सूचना दी लेकिन कोई राहत नहीं मिली। रात बारह बजे तक तेज धमाके नींद-चैन हराम किये रहे। रात बारह बजे के बाद डायल 112 पर फोन करने पर उनकी टीम क्षेत्र में पहुंची।

चिट्ठी में शिकायतकर्ता ने आगे लिखा है कि न्यायालय के आदेश का प्रभावी पालन प्रशासन ने नहीं कराया। अफसरों ने सूचना के बावजूद पीड़ित की मदद नहीं की। यह न्यायालय की अवमानना है। आगे लिखा है कि अब यह पीड़ित परिवार अपने शांति व सुरक्षा की प्रार्थना करता है। पीड़ित के क्षेत्र में तेज धमाका आतिशबाजी का प्रयोग पूरी तरह रोका जाए या रोगी परिवार को सुरक्षित स्थान पर रहने की व्यवस्था कराने की मांग की गई है।

दरअसल शिकायतकर्ता किराए के मकान में रहकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। विषम परिस्थितियों के बावजूद सामाजिक सरोकारों के लिए संघर्षरत रहे इस शख्स के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन के संघर्ष की कहानी भी बेहद मर्मस्पर्शी है। बीमारी की परिस्थितियों में उन्हें घर-परिवार चलाने के लिए अपना मकान तक बेचना पड़ा। पति-पत्नी को नियमित रूप से मेडिकल कॉलेज से दवाएं लेने के साथ ही बच्चे के लिए भी दवा लेनी पड़ती है। आंखों की रोशनी कमजोर होने के कारण शाम को घर से बाहर निकलने में परेशानी होती है और असाध्य बीमारी ने शरीर पर भी काफी गहरे तक असर डाला है।

विपरीत परिस्थितियों में कुछ शुभचिंतकों ने सरकारी योजना में आवास और पेंशन योजना के लिए आवेदन करने का सुझाव दिया तो यह सब लाभ लेने से इनकार कर दिया। खुद्दारी को सबसे ऊपर रखने वाले नागरिक अधिकारों के प्रति सजग और सचेत यह शिकायतकर्ता शहर के झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों और वंचित तबकों की समस्याओं को प्रशासन तक पहुंचाने के लिए हमेशा जीजान से संघर्षरत रहते हैं। कई बार आर्थिक विपन्नता की हालत में भी जरूरतमंद परिवारों की मदद के लिए कदम बढ़ाते रहे हैं। इस बार उन्होंने खुद के लिए चिट्ठी लिखी है और न्यायाधीश से न्याय मांगा है।

'जनज्वार' को शिकायतकर्ता ने बताया कि जिला जज को सम्बोधित चिट्ठी उन्होंने उनके आवास पर जाकर वहां मौजूद स्टाफ को देते हुए माननीय जिला जज तक पहुंचाने का अनुरोध किया है। यह भी कहा कि कल शाम से देर रात तक उन्होंने पुलिस और प्रशासन के सभी अफसरों से फोन पर मदद मांगी लेकिन कोई राहत नहीं मिली। पूरे सिस्टम की कार्यशैली के खिलाफ माननीय जिला जज को हमने पत्र लिखा है। मेरा पूरा परिवार बेहद गम्भीर और असाध्य रोगों की चपेट में हैं और ऐसी परिस्थिति में भी प्रशासन मेरे परिवार को किसी तरह की राहत दे पाने में नाकाम रहा है। उम्मीद है कि पत्र का संज्ञान लेकर उन्हें राहत प्रदान किया जाएगा।

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