अब कोई व्यक्ति या विचारधारा नहीं, बल्कि आईटी सेल और मीडिया करता है समाज को नियंत्रित

पूरी दुनिया में मानव समाज का संचालन पुरुषों द्वारा और उनकी मान्यताओं द्वारा किया जाता है। पुरुषों के समाज की नब्ज पकड़ने की क्षमता कम होती है, इसलिए समाज अस्थिर होता जा रहा है...

Update: 2023-06-05 06:36 GMT

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महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

Women, especially educated women, have great capacity of others mind reading. महिलायें अपने आसपास के लोगों के मस्तिष्क में आने वाले विचार और भावनाओं को समझने में माहिर होती हैं। राजनैतिक भाषा में इसे जनता की नब्ज कहा जाता है, और दुनिया की हरेक राजनैतिक पार्टी जनता की नब्ज समझने का दावा करती है, पर पलोस वन नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार जनता की नब्ज पकड़ने का राजनैतिक दलों से कोई लेनादेना नहीं है, बल्कि यह खूबी महिलाओं में, विशेष तौर पर शिक्षित महिलाओं में, होती है। इस अध्ययन को यूनाइटेड किंगडम के यूनिवर्सिटी ऑफ़ बाथ के मनोवैज्ञानिकों ने डॉ पुनीत शाह के नेतृत्व में किया है।

डॉ पुनीत शाह के दल ने वर्ष 2021 में सामने वाले का मस्तिष्क पढ़ने की क्षमता परखने के लिए एक विशेष प्रश्नपत्र तैयार किया था, और फिर इसका सांख्यिकीय विश्लेषण किया जाता है। मस्तिष्क पढ़ने या माइंड रीडिंग को मनोविज्ञान में मेंटलाइजिंग भी कहा जाता है और यह मनोवैज्ञानिक आकलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वर्ष 2021 में भी इस दल ने अपने अध्ययन को साइकोलॉजिकल असेसमेंट नामक जर्नल में प्रकाशित किया था और बताया था कि महिलायें मस्तिष्क पढ़ने में अधिक सक्षम होती हैं।

नए अध्ययन को पहले के अध्ययन का विस्तार कहा जा सकता है क्योंकि इसमें लैंगिक आधार के अतिरिक्त उम्र, शिक्षा और राजनैतिक विचारधारा का भी समावेश किया गया है। इस अध्ययन के लिए यूनाइटेड किंगडम में 4000 लोगों का चयन किया गया था, और इनके दूसरों के मस्तिष्क को पढ़ने की क्षमता का आकलन थ्योरी ऑफ़ माइंड से सम्बंधित परीक्षण द्वारा किया गया।

इस अध्ययन के निष्कर्ष स्पष्ट हैं – राजनैतिक विचारधारा या राजनैतिक होने का आसपास के लोगों के मस्तिष्क में उठने वाली भावनाओं को समझने का कोई सम्बन्ध नहीं हैं। उम्र का भी इस विषय में कोई महत्त्व नहीं है, केवल उम्र अधिक होने पर लोगों के भावनाओं को समझने की क्षमता कम हो जाती है। आसपास के लोगों की भावनाओं या मस्तिष्क में उठ रहे विचारों के सटीक आकलन की दक्षता महिलाओं में विशेष तौर पर शिक्षित महिलाओं में होती है।

डॉ पुनीत शाह के अनुसार, इस अध्ययन के निष्कर्ष भले ही सामान्य से लगते हों पर इनका मानव समाज और राजनीति में बहुत महत्व है। पूरी दुनिया में मानव समाज का संचालन पुरुषों द्वारा और उनकी मान्यताओं द्वारा किया जाता है। पुरुषों के समाज की नब्ज पकड़ने की क्षमता कम होती है, इसलिए समाज अस्थिर होता जा रहा है। समाज में व्याप्त तमाम किस्म के विभाजन और इसके कारण पनपने वाली हिंसा इसी अस्थिरता का परिणाम है। दूसरी तरफ महिलायें समाज की नब्ज पहचानती हैं, जाहिर है इनके द्वारा संचालित दुनिया संभवतः पुरुषों की दुनिया से बेहतर होगी।

लगभग हरेक समाज ही अलग-अलग राजनैतिक विचारधारा द्वारा विभाजित रहता है, और हरेक राजनैतिक दल को यही गुमान रहता है कि जनता की नब्ज वही पहचानते हैं। इसी धारणा के कारण दुनिया के अनेक देशों में समाज ही विभिन्न राजनैतिक दलों के समर्थन में बट गया है। इन समर्थकों में हिंसक झड़पें भी होती हैं। यह विभाजन इतना गहरा हो जाता है कि समाज के विकास की योजनायें भी पूरे समाज का भला नहीं कर पातीं। यदि, समाज यह समझ जाए कि राजनैतिक दल उनकी भावनाओं को समझने में असमर्थ हैं तो निश्चित तौर पर सामाजिक विभाजन कम होता जाएगा।

यह अध्ययन अपनी तरह का पहला अध्ययन है, पर इससे सम्बंधित अनेक प्रश्नों के जवाब भी अनुसंधानकर्ताओं को खोजने होंगे। आज के सोशल मीडिया और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के दौर में जब लोगों का अपने मस्तिष्क पर और अपनी विचारधारा पर नियंत्रण ख़त्म होता जा रहा है, तब क्या किसी में समाज की नब्ज पकड़ने की क्षमता बची भी है। अब कोई व्यक्ति या विचारधारा समाज को नियंत्रित नहीं करती, बल्कि आईटी सेल और मीडिया समाज को नियंत्रित करता है, ऐसे में यह अध्ययन कितना प्रभावी होगा, यह तो आने वाला समय ही बता सकता है।

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