हापुड़ में मामूली विवाद में संप्रदाय विशेष के युवक की दशहरे के दिन भीड़ ने ली जान, माले ने कहा भाजपा दे रही लिंचिंग गिरोहों को शह

Hapur news : प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि मामूली सा विवाद मारपीट तक पहुंचा और युवक की हत्या कर दी गई. युवक के सिर पर कई गंभीर चोटें आयी थीं, और बेरहमी से पिटाई के बाद आरोपी युवक को सड़क पर छोड़कर युवक फरार हो गए थे...

Update: 2023-10-27 10:30 GMT

लखनऊ। हापुड़ में एक 25 वर्षीय मुस्लिम युवक इरशाद मोहम्मद 25 की मॉब लिंचिंग के बाद मौत हो गयी है, जिसकी भाकपा (माले) ने कड़ी निंदा की है। पार्टी ने कहा है कि भाजपा द्वारा नफरत की राजनीति को हवा देने के चलते लिंचिंग गिरोहों को शह मिल रही है और वे प्रदेश में फिर से सर उठा रहे हैं। यह तब है, जब देश की आला अदालत ने भीड़ हत्या के खिलाफ राज्य सरकारों को कड़े दिशा निर्देश जारी किए हैं।

भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने गुरुवार 26 अक्टूबर को जारी बयान में कहा कि भीड़ हत्या के नामजद आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और उन्हें कड़ी सजा दी जाए। ऐसी घटनाएं सख्ती से रोकी जाएं। जानकारी के अनुसार हापुड़ जनपद के लुहारी गांव के रामलीला स्थल के निकट 24 अक्टूबर को दशहरा उत्सव से जुड़े एक व्यक्ति को इरशाद की बाइक से टक्कर लगने के कारण उसकी भीड़ हत्या कर दी गई। उसके बचाव में आये एक मुस्लिम व्यक्ति को भी घायल कर दिया गया।

मीडिया में आयी जानकारी के मुताबिक दशहरे वाले दिन यानी 24अक्टूबर को बहादुरगढ़ थाना क्षेत्र में बाइक की टक्कर के बाद दो पक्षों में जमकर विवाद हुआ और उसी के बाद इरशाद की मॉब लिंचिंग की गयी, और उसकी मौत हो गयी। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि मामूली सा विवाद मारपीट तक पहुंचा और युवक की हत्या कर दी गई. युवक के सिर पर कई गंभीर चोटें आयी थीं, और बेरहमी से पिटाई के बाद आरोपी युवक को सड़क पर छोड़कर युवक फरार हो गए थे।

एक अन्य बयान में माले राज्य सचिव सुधाकर ने कहा कि प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा बीमार हो गया है। वह स्वास्थ्य के बजाय बीमारी बांटने लगा है। कानपुर मंडल के जिलों के 14 बच्चों को इलाज के नाम पर बीमारी बांटी गई।

माले नेता ने कहा कि संक्रमित खून चढ़ाने से मासूमों को हेपेटाइटिस व एचआईवी जैसी मिली नई बीमारियां स्वास्थ्य विभाग के नाकारापन और भ्रष्टाचार की देन हैं। यदि विभाग सजग व सक्रिय होता, तो बच्चों के जीवन पर खतरा और न बढ़ता। अस्पतालों ने खून चढ़ाने से पहले उसकी सावधानी से जांच नहीं की और जरुरी एहतियात नहीं बरते। यह खून के अवैध व्यापार से भी जुड़ा मामला हो सकता है। इसकी जांच होनी चाहिए। स्वास्थ्य मंत्री इसकी जवाबदेही लें, जिन्हें प्रदेश के स्वास्थ्य की चिंता कम, सरकार की कमियों पर पर्दा डालने की ज्यादा है। दोषियों को कड़ी सजा मिले। पीड़ित बच्चों की उचित व मुफ्त इलाज की व्यवस्था की जाए।

गौरतलब है कि थैलेसीमिया (खून में लाल रक्त कण की कमी जिसे नियमित खून चढ़ाकर काबू किया जाता है) से पीड़ित छह से 16 वर्ष के 14 बच्चों को विभिन्न सरकारी व निजी अस्पतालों में संक्रमित खून चढ़ा दिया गया, जिससे वे हेपेटाइटिस और एचआईवी जैसी नई बीमारियों से ग्रसित हो गए। यह पकड़ में तब आया, जब कानपुर के सरकारी मेडिकल कालेज में उनकी जांचें हुईं। 14 में से 7 हेपेटाइटिस बी, 5 हेपेटाइटिस सी और 3 एचआईवी से संक्रमित मिले।

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