एक किलोमीटर तक गर्भवती महिला को परिजनों के साथ कंधे पर ढोकर ले गया पुलिसकर्मी

पुलिस का आरक्षक सुखदेव उरांव ने महिला के परिजनों के साथ उसे कांवर में उठाकर करीब एक किलोमीटर तक का सफर भी किया, इसके बाद महिला को अस्पताल पहुंचाया गया....

Update: 2020-08-04 16:29 GMT

रायपुर से मनीष कुमार की रिपोर्ट

कोरबा। कोरोना लॉकडाउन में एक तरफ जहां कई जगहों से पुलिस का लोगो के साथ क्रूर व्यवहार देखने को मिलता रहा है तो वहीं छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के पुलिस ने इन सबसे अलग एक मानवीय संवेदना दिखाते हुए गर्भवती महिला को सकुशल डायल 112 के वाहन तक पहुंचाया।

पुलिस का आरक्षक सुखदेव उरांव ने महिला के परिजनों के साथ उसे कांवर में उठाकर करीब एक किलोमीटर तक का सफर भी किया। इसके बाद महिला को अस्पताल पहुंचाया गया।

पुलिस के मानवीय रुख का यह पूरा मामला आज 4 अगस्त की सुबह कोरबा जिले के सबसे दूरस्थ श्यांग थाने के तियरडाँड़ का है। दरअसल डायल 112 की टीम को यह प्वाइंट मिला था, जिसके पश्चात आरक्षक सुखदेव के साथ चालक राठिया के साथ मौके के लिए रवाना हुए जिसके बाद महिला को परिजनों के साथ मिलकर कांवर में वाहन तक पहुचाया गया।

कोरबा जिले से ऐसी ही खबर बीते मई के महीने में भी सामने आई थी जब सख्त लॉकडाउन लागू था। तब पुलिसकर्मियों ने खाट पर गर्भवती महिला को लिटाकर नदी को पार कराया था और उसके बाद महिला को उपस्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया था। यह घटना कोरबा जिले के लेमरू वन प्रक्षेत्र में हुई थी। 


बिलासपुर और सरगुजा संभाग के बीच विस्तृत इस विशाल वन परिक्षेत्र में बडे पैमाने पर जंगली हाथी स्वतंत्र विचरण करते हैं। दुर्गम रास्ते और पगडंडियां यहां से होकर गुजरती हैं, जिनपर आगे चलते हुए सुदूर इलाके में कुछ गांव बसे हुई हैं। इन आबाद बस्तियों तक पहुंचने के लिए कोई पक्की सडक नहीं है। बीच में पडने वाली नदी और नालों को पार कर यहां तक पहुंचना होता है।

इससे पहले 7 मई 2020 को भी कोरबा जिले के लेमरू थाना क्षेत्र के जवानों ने प्रसवपीड़ा से तड़पती एक गर्भवती महिला को खाट में लिटाकर अस्पताल पहुंचाया था, जो मामला मीडिया की सुर्खियां बना था।

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