वर्जनाओं को तोड़ जम्मू-कश्मीर की पहली महिला बस ड्राइवर बनीं पूजा, परिवार ने किया विरोध-अब मिल रही शाबाशी

पूजा ने कहा 'आज महिलाएं फाइटर जेट्स उड़ा रही हैं, मैं उन महिलाओं को संदेश देना चाहती थी, जो चुनौतीपूर्ण नौकरियों में अपना हाथ आजमाना चाहती हैं और परिवार उनके सपनों को पूरा नहीं करने देता है...

Update: 2020-12-27 13:50 GMT

Photo:social media

जनज्वार। वैसे तो कहा जाता है कि महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं और हर क्षेत्र में वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं, फिर भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जिन्हें पुरुषों का क्षेत्र कहा जाता है। भारी व्यावसायिक वाहनों की ड्राइविंग भी एक ऐसा ही क्षेत्र है, जिसमें या तो महिलाएं बिल्कुल ही नहीं हैं या हैं भी तो नगण्य। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में कोई महिला अगर यात्री बस चलाए तो एक शाबाशी तो बनती है।

जम्मू-कश्मीर के कठुआ की रहने वाली पूजा देवी राज्य की पहली महिला बस ड्राइवर बन गईं हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वे जम्मू-कठुआ रूट पर यात्री बस चला रहीं हैं। बता दें जम्मू-कश्मीर में उनसे पहले किसी महिला ने आज तक यात्री बस नहीं चलाई थी।

वैसे पूजा देवी मूल रूप से एक ड्राइविंग ट्रेनर रहीं हैं, पर पेशेवर ड्राइवर बनने के अपने जुनून के कारण उन्होंने इस पेशे को अपनाया। खुशी की बात यह है कि पुरुष प्रधान समाज ने भी इसे स्वीकार कर लिया है। सिर्फ स्वीकार ही नहीं किया है, बल्कि महिला ड्राइवर पूजा को कठुआ से जम्मू वापसी और जाने के क्रम में हर पडाव पर लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही हैं और लोग उनके हौसले की तारीफ कर रहे हैं।

हालांकि पूजा एक परंपरागत ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी हैं और उनका यह सफर इतना आसान भी नहीं था। कठुआ जिले के सुदूर संधार-बसोहली गांव में पली-बढ़ी 30 साल की पूजा ने कहा कि उसे ड्राइविंग का शौक था और वो तब से कार चला रही थीं जब एक टीनएजर थीं। उसके मन में भारी वाहन चलाने की इच्छा शुरुआती से ही थी और वो सपना अब जाकर पूरा हुआ।

पूजा ने कहा, "हालांकि मेरे परिवार ने शुरू में मेरा साथ नहीं दिया। लेकिन, कोई अन्य नौकरी करने के लिए मैं ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी। यह पेशा मुझे सूट करता है। मैं कमर्शियल वाहन चलाना सिखाती थी, मैं टैक्सी भी चला चुकी हूं। मैं जम्मू में ट्रक भी चला चुकी हूं। मेरा सपना आखिरकार सच हो गया है।' पूजा अपने छोटे बेटे को बस में ही ड्राइवर सीट के पीछे बैठाकर बस चला रही हैं।

बस ड्राइवर बनने के फैसले पर उन्हें अपने ही परिवार में विरोध भी झेलना पड़ा। पूजा ने कहा, परिवार के सदस्य और ससुराल वाले पेशे के खिलाफ थे, पूजा देवी ने बताया कि उसने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के विरोध के बावजूद पेशेवर ड्राइवर बनने के अपने सपने को आगे बढ़ाने का फैसला किया।

पूजा ने इस प्रोफेशनल ड्राइवर बनने के फैसले को लेकर मीडिया से कहा 'आज महिलाएं फाइटर जेट्स उड़ा रही हैं। मैं टैबू को तोड़ना चाहती थी कि केवल पुरुष ही नहीं बल्कि महिला भी यात्री बस चला सकती है। मैं उन सभी महिलाओं को संदेश देना चाहती थी, जो चुनौतीपूर्ण नौकरियों में अपना हाथ आजमाना चाहती हैं और परिवार उन्हें अपने सपनों को पूरा नहीं करने देते हैं।'

पूजा देवी ने मीडिया को बताया कि उन्हें सबसे ज्यादा व्यस्त रहने वाला जम्मू-कठुआ-पठानकोट रूट मिला है। इस हाइवे पर किसी अच्छे ड्राइवर के लिए भी बस चलाना मुश्किल होता है क्योंकि ट्रैफिक बहुत ज्यादा होता है लेकिन, मैंने हमेशा इसका सपना देखा। पहली ड्राइव ने मुझे बहुत आत्मविश्वास दिया। 

पूजा देवी ने पहली बार ये मौका मिलने को लेकर कहा 'जब जम्मू-कठुआ रोड बस यूनियन के अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने मेरा अनुरोध स्वीकार किया तो मैं वास्तव में आश्चर्यचकित थी। उन्होंने मुझे एक बस दी और मुझे प्रोत्साहित किया। वो पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने मेरी ड्राइविंग स्किल पर भरोसा किया।'

पूजा देवी ने कहा कि उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था और यह उन कारणों में से एक था जिसकी वजह से उन्हें कमाने के लिए घर से बाहर आना पड़ा। उन्होंने बताया, "मुझे जम्मू में एक प्रतिष्ठित ड्राइविंग संस्थान से प्रशिक्षक के रूप में प्रति माह 10000 रुपये मिल रहे थे। जब मुझे भारी वाहन ड्राइविंग लाइसेंस मिला, तो मैंने संघ से संपर्क किया और उन्होंने जम्मू-कठुआ सड़क पर चलने वाली एक यात्री बस को सौंपकर मेरे कौशल पर भरोसा किया।

यह पूछे जाने पर कि उन्होंने इस पेशे को क्यों चुना, पूजा ने जवाब दिया कि अगर महिलाएं पायलट, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी हो सकती हैं और अन्य रूप में काम कर सकती हैं, तो वे पेशेवर ड्राइवर क्यों नहीं बन सकतीं। पूजा देवी ने कहा, "हर पड़ाव पर, लोग मेरा स्वागत करते हैं और मेरे फैसले की सराहना करते हैं। मुझे लोगों और अन्य ड्राइवरों से बहुत स्नेह मिला है। उनकी प्रतिक्रिया आश्चर्यजनक और उत्साहजनक है।

वहीं पूजा देवी को बस चलाने की अनुमति देने वाले जम्मू-कठुआ बस यूनियन के अध्यक्ष सरदार कुलदीप सिंह ने कहा, "यह एक अच्छा कदम है और महिलाओं को आगे आना चाहिए। मैंने कल उसे बस दी, जब उसने मुझसे संपर्क किया। लोग हर पड़ाव पर उसका स्वागत कर रहे हैं।"

Tags:    

Similar News