फेमस टीवी शो बालिका वधू के डायरेक्टर रामवृक्ष गौड़ लाॅकडाउन में हुए बेरोजगार, आजमगढ में बेच रहे सब्जी

रामवृक्ष जब मुंबई गए तो पहले उन्होंने लाइट विभाग में काम किया। फिर टीवी प्रोडक्शन के लिए उन्हें काम मिला और फिर वे निर्देशन के क्षेत्र में प्रवेश कर गए। उन्होंने निर्देशन में अपनी प्रतिभा के बल पर खुद को साबित किया और टीवी इंडस्ट्री में अपनी खास पहचान बनायी।

Update: 2020-09-29 05:20 GMT

जनज्वार। आदमी नहीं उसका समय बलवान होता है। यह कहावत बार-बार सही साबित होती रही है, लेकिन कोरोना काल ने इस और मजबूती से सच साबित किया है। फेमस टीवी सीरियल बालिका वधू कुछ तो लोग कहेंगे और सुजाता का निर्देशन कर चुके टीवी शो डायरेक्टर रामवृक्ष गौड़ इन दिनों सब्जी बेच कर परिवार का गुजारा कर रहे हैं।

उन्होंने करीब दो दशक मुंबई मायानगरी में गुजारा और बतौर डायरेक्टर वहां सफलता पायी। लेकिन, कहते हैं कि आदमी का वक्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता है, रामवृक्ष दिनों उत्तरप्रदेश के आजमगढ में सब्जी बेचकर परिवार चला रहे हैं। वे आजमगढ के ही रहने वाले हैं। वे मार्च महीने में परिवार के साथ मुंबई से गांव आए थे। गांव में वे एक फिल्म की शूटिंग पर काम करना चाहते थे, लेकिन इसी दौरान कोरोना महामारी की वजह से लाॅकडाउन लग गया। इस लाॅकडाउन में वे गांव में फंस गए।

रामवृक्ष जब मुंबई गए तो पहले उन्होंने लाइट विभाग में काम किया। फिर टीवी प्रोडक्शन के लिए उन्हें काम मिला और फिर वे निर्देशन के क्षेत्र में प्रवेश कर गए। उन्होंने निर्देशन में अपनी प्रतिभा के बल पर खुद को साबित किया और टीवी इंडस्ट्री में अपनी खास पहचान बनायी।

रामवृक्ष ने इंडस्ट्री के मशहूर लोगों जैसे रणदीप हुड्डा, सुनील शेट्टी, राजपाल यादव की फिल्मों में सहायक निर्देशक के रूप में काम किया। बालिका वधू, इस प्यार को क्या नाम दूं, कुछ तो लोग कहेंगे जैसे टीवी शो के डायरेक्टर के तौर पर उन्होंने काम किया। इसके साथ ही वे हमार सौतन हमार सहेली, झटपट चटपट, सलाम जिंदगी, हमारी देवरानी, थोड़ी खुशी थोड़ा गम, पूरब पश्चिम, जूनियर जी वगैरह जैसे शो के भी डायरेक्टर रह चुके हैं।

कोरोना संकट के दौर में उनके पास कोई विशेष काम नहीं था, ऐसे में वे सब्जी बेचने लगे। उनके पास इस समय एक भोजपुरी और एक हिंदी फिल्म प्रोजेक्ट है। पर, इन पर कब काम शुरू होगा और फिल्मों से उनकी कमाई कब तक शुरू होगी कहना मुश्किल है। उनके पास कोई काम नहीं है तो वे सब्जी बेचकर परिवार चला रहे हैं।

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