Roorkee Church Attack : चर्च में प्रार्थना कर रहे लोगों पर दक्षिणपंथी समूहों का हमला, धर्मांतरण का लगाया आरोप
Roorkee Church Attack : रुड़की स्थित चर्च पर यह हमला रविवार 3 सितंबर की सुबह तब हुआ जब वह प्रार्थना कर रहे थे। दक्षिणपंथी समूह के करीब 200 लोगों ने कथित तौर पर चर्च में धर्मांतरण कराने का आरोप लगाते हुए मारपीट की.....
Roorkee Church Attack जनज्वार। उत्तराखंड के रुड़की (Roorkee) के चर्च पर हमले की खबरें सामने आ रही हैं। आरोप है कि दक्षिणपंथी समूह से जुड़े 200 अज्ञात पुरुष और महिलाओं ने मिलकर चर्च में घुसे और तोड़-फोड़ के साथ ही लूटपाट की। इस दौरान कथित तौर पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार भी किया गया, जबकि एक बुजुर्ग के साथ मारपीट भी की गई।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक रुड़की स्थित चर्च पर यह हमला रविवार 3 सितंबर की सुबह तब हुआ जब वह प्रार्थना कर रहे थे। बताया जा रहा है कि दक्षिणपंथी समूह के करीब 200 लोगों ने कथित तौर पर चर्च में धर्मांतरण कराने का आरोप लगाते हुए मारपीट और लूटपाट की। इस हमले में आठ लोगों के घायल होने की भी खबर है जिन्हें उपचार के लिए राजधानी देहरादून रेफर किया गया है। वहीं इस घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन तबतक हमला फरार हो गए। हमले के बाद तनाव को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
दर्ज करवाया मुकदमा
चर्च की प्रियो साधना लांसे ने स्थानीय कोतवाली में जाकर एफआईआर दर्ज करवाई है। एफआईआर के मुताबिक विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और भाजपा की युवा इकाई से जुड़े 200 से अधिक लोग चर्च में घुसे और तोड़-फोड़ करनी शुरू कर दी। इस दौरान चर्च में मौजूद प्रार्थना करने वाले लोगों के साथ भी मार पिटाई की गयी।
एफआईआर में बताया गया कि सुबह लगभग 10 बजे ईसाई धर्म के लोग सिविल लाइन कोतवाली क्षेत्र में स्थित चर्च में प्रार्थना कर रहे थे तभी तकरीबन 200 से अधिक हमलावर चर्च में लोहे की रोड के साथ घुस आए। उन्होंने धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए लाठी डंडों से हमला कर दिया। उनके रास्ते में सभी चीजे तोड़ दीं जिसमें मेट, कुर्सी, खिड़क, अन्य फर्नीचर के साथ साथ सीसीटीवी कैमरे भी शामिल है। हमलावरों ने महिलाओं से बदतमीजी करते हुए उनका पर्स और फोन तथा अन्य सामान भी लूट लिया। बचाव करने वाले व्यक्तियों को भी मारा पीटा गया यहां तक कि उन्होंने बुजुर्गों को भी नहीं बख्शा।
अस्पताल में भर्ती घायल
घटना की खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस के पहुंचने से पहले ही हमलावर घटना स्थल से फरार हो गए थे। इस घटना में 8 लोग घायल हो गए। घायल होने वालों में रजत, सुमित, प्रिंस, वीरपाल, अजीत, शुभम, विल्सन डाइसन और अक्षी चौहान शामिल हैं। रजत की गंभीर हालत को देखते हुए पुलिस ने उसे देहरादून के अस्पताल में रेफर किया है।
प्रत्यक्षदर्शियों ने की हमलावरों की पहचान
प्रत्यक्षदर्शियों प्रियो साधना लांसे और सुमित कुमार ने आरोप लगाया है कि भाजयुमो के प्रदेश मंत्री सागर गोयल, भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश मंत्री धीर सिंह, विहिप मंत्री शिवप्रसाद त्यागी, महिला मोर्चा की मंडल अध्यक्ष सीमा गोयल, बबीता चौहान, सुनील, राखी प्रधान, रजनी गोयल समेत 250 लोगों ने हमला किया है।
एसपी (देहात) प्रमेंद्र सिंह डोभाल ने बताया कि 8 नामजद समेत 250 सौ लोगों पर मारपीट, तोड़फोड़, जान से मारने की कोशिश और डकैती का केस दर्ज कर लिया गया है। मामले में जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मामले में आईपीसी की धारा 295 , 296, 395, 504, 506 और 427 के तहत केस दर्ज किया गया है।
दूसरे पक्ष की महिला ने भी दर्ज करवाई एफआईआर
इस मामले में सिविल लाइंस कोतवाली में दूसरे पक्ष की महिला ने भी मुकदमा दर्ज करवाया है। पुलिस ने चर्च की प्रमुख साधना पीटर, आकाशी विलसन, मीनाक्षी समेत अन्य लोगों पर धर्मांतरण का केस दर्ज किया है।
दोषियों की गिरफ्तारी की मांग
इस घटना की भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने बयान जारी कर निंदा की है। भाकपा माले ने अपने बयान में कहा कि हम मांग करते हैं कि दोषियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए और उत्तराखंड सरकार यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति किसी भी हालत में न होने पाए।
बयान में उन्होंने कहा है, 'चर्च पर हमले की यह घटना एक सुनियोजित षड्यंत्र है। प्रदेश में आसन्न विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा और उसके अनुषांगिक व बिरादराना संगठन जानबूझकर कर साम्प्रदायिक उन्माद और वैमनस्य को बढ़ावा दे रहे हैं। स्वयं राज्य सरकार भी इस तरह की चीजों को बढ़ावा दे रही है, जिससे साम्प्रदायिक विभाजन की खाई चौड़ी हो। सांप्रदायिक उन्माद को बढ़ावा देने की यह प्रवृत्ति दर्शाती है कि भाजपा आसन्न विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देने से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा स्वयं भी समझ रही है कि प्रचंड बहुमत के बावजूद मुख्यमंत्री बदलने के अलावा उसकी कोई ठोस उपलब्धि नहीं है।
मैखुरी ने आगे कहा कि इसलिए अल्पसंख्यकों के विरुद्ध भावनाएं और उन्माद भड़का कर वह चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है। प्रदेश की सभी धर्मनिरपेक्ष और जनवादी शक्तियों से हम अपील करते हैं कि धार्मिक आधार पर प्रदेश को बांटने और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के खिलाफ मजबूती से खड़े हों। उत्तराखंड की बेहतरी के लिए भी यह आवश्यक है कि प्रदेश में वैमनस्य, बंटवारे और उन्माद की राजनीति को शिकस्त दी जाए।