RSS आदिवासियों को वनवासी कहकर उनका हिंदूकरण करने का रच रही है षड्यंत्र : पूर्व IPS का बड़ा आरोप

आरएसएस का मुख्य ध्येय आदिवासियों को आदिवासी की जगह वनवासी कहकर तथा उनका हिन्दुकरण करके हिंदुत्व के मॉडल में खींच लाना है और उनका इस्तेमाल गैर-हिंदुओं को दबाने में करना है.....

Update: 2023-08-09 06:22 GMT

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RSS : पूर्व आईपीएस और आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसआर दारापुरी ने आरएसएस पर आदिवासियों का हिंदूकरण करने का आरोप लगाया है। वह कहते हैं, आरएसएस हमेशा से आदिवासियों को आदिवासी न कह कर वनवासी कहता है। इसके पीछे बहुत बड़ी चाल है जिसे समझने की ज़रूरत है।

एसआर दारापुरी कहते हैं, यह सभी जानते हैं कि हमारे देश में भिन्न-भिन्न समुदाय रहते हैं जिनके अपने-अपने धर्म तथा अलग-अलग पहचान हैं। अदिवासी जिन्हें संविधान में अनुसूचित जनजाति कहा जाता है, भी एक अलग समुदाय है, जिसका अपना धर्म, अपने देवी देवता तथा एक विशिष्ट संस्कृति है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन्हें इंडिजीनियस पीपुल अर्थात मूलनिवासी भी कहा जाता है। इनके अलग भौगोलिक क्षेत्र हैं और इनकी अलग पहचान है।

बकौल दारापुूरी, हमारे संविधान में भी इन भौगोलिक क्षेत्रों को जनजाति क्षेत्र कहा गया है और उनके के लिए अलग प्रशासनिक व्यवस्था का भी प्रावधान है। इस व्यवस्था के अंतर्गत इन क्षेत्रों की प्रशासनिक व्यवस्था राज्य के मुख्यमंत्री के अधीन न हो कर सीधे राज्यपाल और राष्ट्रपति के अधीन होती है जिसकी सहायता के लिए एक ट्राइबल एरिया काउंसिल होती है जिसकी अलग संरचना होती है। इन के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए संविधान की अनुसूची 5 व 6 भी है।

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दारापुरी आगे कहते हैं, इन क्षेत्रों में ग्राम स्तर पर सामान्य पंचायत राज व्यवस्था के स्थान पर विशेष ग्राम पंचायत व्यवस्था जिसे Panchayats (Extension to Scheduled Areas Act, 1996) अर्थात PESA कहा जाता है तथा यह ग्राम स्वराज के लिए परंपरागत ग्राम पंचायत व्यवस्था है। इसमें पंचायत में सभी प्राकृतिक संसाधनों/खनिजों पर पंचायत का ही अधिकार होता है और उनसे होने वाला लाभ ग्राम के विकास पर ही खर्च किया जा सकता है। परंतु यह विभिन्न राजनीतिक पार्टियों की सरकारों का ही षड्यंत्र है जिसके अंतर्गत केवल कुछ ही जनजाति क्षेत्रों में इस व्यवस्था को लागू किया गया है।

अधिकतर क्षेत्रों में सामान्य प्रशासन व्यवस्था लागू करके आदिवासी क्षेत्रों का शोषण किया जा रहा है, जिसका विरोध करने पर आदिवासियों को मारा जा रहा है। उन क्षेत्रों का जानबूझ कर विकास नहीं किया जा रहा है और खनिजों के दोहन हेतु आदिवासियों को विस्थापित किया जा रहा है। विभिन्न कार्पोरेट्स को आदिवासियों की ज़मीनें खाली कराकर पट्टे पर दी जा रही हैं और खनिजों का अंधाधुंध दोहन किया जा रहा है। फलस्वरूप पूरा आदिवासी क्षेत्र शोषण और सरकारी आतंक की चपेट में है।

इसके अतिरिक्त यह भी उल्लेखनीय है कि हमारे संविधान में दलित और आदिवासियों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जन जातियों के तौर पर सूचीबद्ध किया गया है। उन्हें राजनीतिक आरक्षण के अलावा सरकारी सेवाओं तथा शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण दिया गया है। हमारी जनगणना में भी उनकी उपजातिवार अलग गणना की जाती है।

इसके अतिरिक्त आदिवासियों पर हिन्दू मैरेज एक्ट तथा हिन्दू उत्तराधिकार कानून भी लागू नहीं होता है। इन कारणों से स्पष्ट है कि आदिवासी समुदाय का अपना अलग धर्म, अलग देवी- देवता, अलग रस्मो-रिवाज़ और अलग संस्कृति है।

आरएसएस का हिंदुत्व का मॉडल और आदिवासियों का बैर

दारापुरी कहते हैं, उपरोक्त वर्णित कारणों से आरएसएस आदिवासियों को आदिवासी न कह कर वनवासी (वन में रहने वाले) कहता है, क्योंकि इन्हें आदिवासी कहने से उन्हें स्वयम् को आर्य और आदिवासियों को अनार्य (मूलनिवासी) मानने की बाध्यता खड़ी हो जाएगी। इससे आरएसएस का हिंदुत्व का मॉडल ध्वस्त हो जाएगा जो कि एकात्मवाद की बात करता है। इसी लिए आरएसएस आदिवासियों का लगातार हिन्दुकरण करने में लगा हुआ है। इसमें उसे कुछ क्षेत्रों में सफलता भी मिली है जिसका इस्तेमाल गैर हिंदुओं पर आक्रमण एवं उत्पीड़न करने में किया जाता है। यह भी एक सच्चाई है कि ईसाई मिशनरियों ने भी कुछ आदिवासियों का मसीहीकरण किया है, परंतु उन्होंने उनका इस्तेमाल गैर मसीही लोगों पर हमले करने के लिए नहीं किया है।

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दारापुरी आरोप लगाते हैं, आरएसएस का मुख्य ध्येय आदिवासियों को आदिवासी की जगह वनवासी कहकर तथा उनका हिन्दुकरण करके हिंदुत्व के मॉडल में खींच लाना है और उनका इस्तेमाल गैर-हिंदुओं को दबाने में करना है। इसके साथ ही उनके धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए गलत कानून बनाकर रोकना है, जबकि हमारा संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है।

एसआर दारापुरी कहते हैं, बहुत से राज्यों में ईसाई हुए आदिवासियों की जबरदस्ती घर वापसी करवा कर उन्हें हिन्दू बनाया जा रहा है। इधर आरएसएस ने आदिवासी क्षेत्रों में एकल स्कूलों की स्थापना करके आदिवासी बच्चों का हिन्दुकरण (जय श्रीराम का नारा तथा राम की देवता के रूप में स्थापना) करना शुरू किया है। इसके इलावा आरएसएस पहले ही बहुत सारे वनवासी आश्रम चला कर आदिवासी बच्चों का हिन्दुकरण करती आ रही है। देश के अधिकतर राज्यों में भाजपा की सरकारें स्थापित हो जाने से यह प्रक्रिया और भी तेज हो गयी है। इसी लिए आदिवासियों को आरएसएस द्वारा उन्हें वनवासी कह कर उनका हिन्दुकरण करने की चाल को समझना होगा और अपनी पहचान, अपना धर्म और अपनी संस्कृति को बचाने के लिए संघर्ष करना होगा।

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