Media के 'पुष्पा' बने Ravish Kumar को विरोधियों और समर्थकों ने मिलकर दुनिया का सबसे चर्चित पत्रकार बना दिया

Ravish Kumar: कल से लेकर आज तक पूरा का पूरा सोशल मीडिया रवीश कुमार से भरा पड़ा है। यहां तक की ट्वीटर का टॉप ट्रेंड रहा Ravish Kumar। एक पत्रकार के लिए इतना प्यार जमाने की दौलत में भी उसे नहीं मिलती जो प्यार रवीश को देश की जनता से मिला है। ये रवीश की असली पूंजी है...

Update: 2022-12-01 12:58 GMT

Media के 'पुष्पा' बने Ravish Kumar को विरोधियों और समर्थकों ने मिलकर दुनिया का सबसे चर्चित पत्रकार बना दिया

Ravish Kumar : एनडीटीवी का पर्याय बन चुके वरिष्ठ कार्यकारी संपादक रवीश कुमार ने कल बुधवार NDTV को अपना इस्तीफा मेल कर दिया। उससे एक दिन पहले निदेशक मंडल में शामिल प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने अपना इस्तीफा सौंपा था। मोदी और गोदी मीडिया इस बात का अर्से से इंतजार कर रहा था, कि कब रवीश की नौकरी जाएगी जिसके बाद वे शुकून भरी सांस ले सकें। इसका कारण था कि जनता से भी ज्यादा रवीश ने गोदी मीडिया के खिलाफ लोगों में हवा भर रखी थी। जिसके वे काबिल भी हैं। 

रवीश कुमार के अचानक इस्तीफे के बाद साउथ की फिल्म पुष्पा का वो डॉयलाग भी याद हो आता है, जिसमें पुष्पा का किरदार निभा रहे अल्लु अर्जुन विरोधियों के सामने कहते हैं, फ्लावर नहीं अपुन फॉयर है..झुकेगा नहीं साला। ठीक इसी तरह रवीश कुमार को भी याद किया जाएगा। कि एक पत्रकार ने समझौता करने की बजाए खुद का एक अलग रास्ता अलग मुकाम तलाश करना ही बेहतर समझा। उनकी इसी बात ने समर्थकों के सामने उनकी इज्जत में चार चांद लगा दिये हैं।  

इस बात को भी सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता कि नए मालिक बने गौतम अडाणी (Gautam Adani) ने रवीश को रोकने की कोशिश नहीं की होगी। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अडाणी की तरफ से प्रणय रॉय व राधिका रॉय को निदेशक बने रहने का खुला ऑफर दिया था। अदाजा लगाया जा सकता है कि रवीश को बनाए रखने के लिए ही प्रणय और राधिका को इस तरह का ऑफर दिया गया होगा। 

इंटरनेशनल रैमन मैग्सेसे पुरस्कार के समय रवीश की एक तस्वीर (File Photo)

खैर, रवीश समर्थक उनकी नई पारी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। आगे जो भी होगा, अच्छा ही होगा। बहरहाल, एक बात तो सच है कि विरोधियों और समर्थकों ने Ravish Kumar को दुनिया का सबसे चर्चित पत्रकार जरूर बना दिया है। रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिलने के बाद रवीश की पहले भी चर्चा हुई लेकिन कल के बाद उनकी चर्चा सात समुंदर पार कर बहुत दूर तलक जा चुकी है। 

इस दौरान रवीश के विरोधियों ने तमाम अनर्गल प्रलाप किया। गोदी मीडिया भी पीछे नहीं रहा। लेकिन यह बात भी माननी पड़ेगी की रवीश जैसे पत्रकार के जितने विरोधी हैं चाहने वालों की कतार उससे कहीं लंबी है। कल से लेकर आज तक पूरा का पूरा सोशल मीडिया रवीश कुमार से भरा पड़ा है। यहां तक की ट्वीटर का टॉप ट्रेंड रहा Ravish Kumar। एक पत्रकार के लिए इतना प्यार जमाने की दौलत में भी उसे नहीं मिलती जो प्यार रवीश को देश की जनता से मिला है। ये रवीश की असली पूंजी है।

रवीश NDTV हिंदी का जाना माना थे। अपने कार्यकाल के दौरान कई कार्यक्रमों की मेजबानी की, जिनमें हम लोग, रवीश की रिपोर्ट, देश की बात और प्राइम टाइम शामिल है। रवीश को दो बार पत्राकरिता में उनके योगदान के लिए रामनाथ गोयनका उत्कृष्टता पुरस्कार और साल 2019 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। यहां तक की रवीश के इस्तीफे के बाद NDTV ग्रुप की प्रेसिडेंट सुपर्णा सिंह ने कहा, 'रवीश जितना लोगों को प्रभावित करने वाले कुछ ही पत्रकार हैं।'

वरिष्ठ पत्रकार और सत्ता द्वारा नौकरी ना किये जाने देने के बाद अपना खुद का यूट्यूब चैनल बनाकर सरकार सिस्टम की बखिया उधेड़ रहे अजीत अंजुम लिखते हैं, 'रवीश के इस्तीफे पर जश्न मनाने वालों में एक बात कॉमन है। सबके सब मोदी की सत्ता के पादुका पूजक हैं। न्यूज रूम के रीढ़ विहीन मोदीवादी पुतले इस दिन का सालों से इंतज़ार कर रहे थे।' रवीश के लिए ये शेर

जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा

किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता

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