Prayagraj News Today: यूपी के प्रयागराज से उठी उत्तराखंड की दलित भोजन माता के लिए आवाज, CM को भेजा ज्ञापन
सरकार द्वारा ऐसे शर्मनाक कृत्य के लिए सार्वजनिक रूप से पीड़िता से माफी मांगी जाए। और जातीय भेदभाव-उत्पीड़न पर कड़ाई से रोक लगाते हुए छुआछूत जैसी घटनाएं दुबारा न हों इसे भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए...
Prayagraj News Today: उत्तराखंड के टनकपुर (Tanakpur) राजकीय इंटर कॉलेज सूखीढांग में भोजन माता की नियुक्ति को लेकर उपजे विवाद की आंच अब यूपी के प्रयागराज तक पहुँच गई है। ऐक्टू कार्यकर्ताओं ने स्वराज भवन प्रयागराज के सामने विरोध प्रदर्शन करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को एक ज्ञापन ई-मेल के जरिए भेजा है।
ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव डॉ. कमल उसरी ने जनज्वार से कहा कि, टनकपुर के पास चंपावत राजकीय इंटर कॉलेज सूखीढांग में भोजन माता के पद पर नियुक्त सुनीता को तथाकथित कुछ उंची जाति के बच्चों द्वारा भोजन न खाने को लेकर नौकरी से निकाल दिए जाने की हम कड़ी निंदा करते हैं। डॉ. कमन का कहना है कि हम मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि भोजन माता को तत्काल नौकरी पर बहाल कर दोषी और जिम्मेदार अधिकारी पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए।
साथ ही उन्होने कहा कि, सरकार द्वारा ऐसे शर्मनाक कृत्य के लिए सार्वजनिक रूप से पीड़िता से माफी मांगी जाए। और जातीय भेदभाव-उत्पीड़न पर कड़ाई से रोक लगाते हुए छुआछूत जैसी घटनाएं दुबारा न हों इसे भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इस विरोध प्रदर्शन में मुख्य रूप से ऐक्टू के अनिल वर्मा, एस सी बहादुर, देवनन्द, संतोष, राम सिया, त्रिलोकी पटेल, प्रदीप ओबामा सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
क्या था मामला?
भोजन माता पद पर अपने गुट की महिला की नियुक्ति के लिए सवर्ण तबके के लोगों ने अपने चिर-परिचित हथियार 'जातिवाद' को इस विवाद में प्रयोग करना शुरू कर दिया। एससी महिला को भोजनमाता बनाए जाने से सवर्ण जाति के बच्चों ने अपने अभिवावकों के कहने पर स्कूल में उसके हाथ का बनाया भोजन खाना बंद कर दिया। मामला उजागर हुआ तो प्रशासन और शिक्षा विभाग हरकत में आया। मुख्य शिक्षा अधिकारी ने आनन-फानन खंड शिक्षा अधिकारी को मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा।
इस तरह नियुक्ति हुई रद्द
इस मामले में पहले बुधवार को एसएमसी और पीटीए की खुली बैठक होनी थी। लेकिन नैनीताल से एडी बेसिक अजय नौटियाल के मामले की जांच के लिए पहुंचने पर मंगलवार को ही एसएमसी और पीटीए की खुली बैठक आयोजित कर दी गई। मुख्य शिक्षा अधिकारी ने बताया कि दोनों पक्षों को सुनने और अभिलेखों की जांच में भोजनमाता की नियुक्ति अवैधानिक पाई गई है। इस पर नियुक्ति को रद्द कर दिया गया है।