अंकिता भंडारी हत्याकांड में सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आंदोलनकारी महिलायें, फैक्ट फाइंडिंग टीम ने श्रीनगर में सार्वजनिक की रिपोर्ट
अंकिता भण्डारी की हत्या और उसके बाद की प्रारम्भिक जांच ही कुछ ऐसी ही रही कि जैसे आरोपियों को खुद अपने ही खिलाफ जांच सौंप दी हो, हद दर्जे की प्रशासनिक लापरवाही तथा हत्याकांड में शासन के लोगों के लिप्त होने की संभावनाओं के साथ रिसोर्ट में बिना किसी इजाजत के बुलडोजर चलाकर आनन-फानन में सबूतों को नष्ट करने के प्रयासों को देखते हुए प्रदेश का हर व्यक्ति सकते में आ गया था...
Ankita Bhandari murder case fact finding team report : उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में जांच कर रही एजेंसी एसआईटी पर भरोसा न बन पाने के कारण मामले की स्वतंत्र जांच कर रहे दल ने सीबीआई जांच की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही अंकिता को न्याय दिलाने के लिए सड़कों पर संघर्ष किया जायेगा।
अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद पुलिस और राजस्व विभाग की लचर से क्षुब्ध सिविल सोसाइटी से जुड़े लोगों के एक स्वतंत्र समूह ने हत्याकांड की बाबत अपने स्तर से जांच करने का निर्णय लेते हुए एक फैक्ट फाइंडिंग टीम का गठन किया था। अपनी जांच के बाद इस टीम ने पुलिस की जांच को पर्याप्त नहीं मानते हुए यह निर्णय लिया है।
दरअसल अंकिता भण्डारी की हत्या और उसके बाद की प्रारम्भिक जांच ही कुछ ऐसी ही रही कि जैसे आरोपियों को खुद अपने ही खिलाफ जांच सौंप दी हो। हद दर्जे की प्रशासनिक लापरवाही तथा हत्याकांड में शासन के लोगों के लिप्त होने की संभावनाओं के साथ रिसोर्ट में बिना किसी इजाजत के बुलडोजर चलाकर आनन-फानन में सबूतों को नष्ट करने के प्रयासों को देखते हुए प्रदेश का हर व्यक्ति सकते में आ गया था। ऐसी सूरत में उत्तराखंड की महिला आंदोलनकारियों ने देशभर के जिम्मेदार महिला संगठनों के साथ मिलकर एक तथ्यान्वेषण (फैक्ट फाइंडिंग) के लिए एक टीम गठित की थी।
6 राज्यों की इस 20 सदस्यीय टीम ने अलग-अलग दलों में बंट कर 27-28-29 अक्टूबर को डोभ श्रीकोट (अंकिता के गांव), श्रीनगर, ऋषिकेश और देहरादून का दौरा किया। फैक्ट फाइंडिंग टीम ने अंकिता के माता-पिता व उसके गांव के लोगों, श्रीनगर में आंदोलन कर रहे जनसंगठनों, ऋषिकेश की कोयल घाटी में चल रहे धरना स्थल में आंदोलनकारियों से मुलाकात, वनन्तरा रिसोर्ट, व आस-पास के होटलों, गंगा भोगपुर के ग्रामीणों के साथ बातचीत, ऋषिकेश का वह स्थान जहां अंकिता को नहर में धक्का दिया गया तथा वह स्थान भी जहाँ अंकिता का शव मिला, उस स्थान के भ्रमण के दौरान जो तथ्य पाये उन्हें लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की।
रिपोर्ट तैयार करने के दौरान टीम ने विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों, डीजीपी उत्तराखंड, एसआईटी प्रमुख पी. रणुका देवी, अपर सचिव पर्यटन, उपनिदेशक पर्यटन, मुख्य सचिव उत्तराखंड, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष से मुलाकात की और अपने ज्ञापन उन्हें सौंपे जिसमें अंकिता मामले में निष्पक्ष और त्वरित कार्यवाही करने की मांग की तथा इस तरह के मामले आगे न हों इसके लिये संबंधित विभागों को निर्देशित किए जाने की भी मांग की थी।
इसके साथ ही मुख्य सचिव से कार्यस्थल में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने की मांग रखी। पर्यटन उद्योग में महिलाओं की भागीदारी बढ़ायी जाने और उन्हें सुरक्षित व सम्मानजनक माहौल देने के प्रयास किये जाने व सभी सरकारी/गैरसरकारी कार्यस्थलों पर महिला सुरक्षा के लिये विशाखा गाइडलाइन का सख्ती से पालन करने की मांग की थी। सबसे महत्त्वपूर्ण महिला आयोग से टीम का सवाल था कि जब कोई महिला (अंकिता के संदर्भ में) गुमशुदा है तब आपने त्वरित कार्यवाही क्यों नहीं की? महिला हैल्प लाइन सही ढंग से कार्यान्वित नहीं है इसके सुधारने के लिये शीघ्र कदम उठाये जायें।
इधर महिला संगठनों की संगठनों की इस फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट बन रही थी तो दूसरी ओर अंकिता भंडारी हत्याकांड की जांच के लिए बनी एसआईटी ने भी कोर्ट में अपनी चार्जशीट दाखिल कर दी। साथ ही उच्च न्यायालय नैनीताल ने इसके आधार पर एक याचिका में फैसला भी सुना दिया है।
फैक्ट फाइंडिंग टीम की इसी रिपोर्ट का श्रीनगर में विमोचन किया गया। जहां इस मामले में एसआईटी की जांच और कोर्ट के आदेश पर फैक्ट फाइंडिंग टीम की सदस्य शिवानी पांडे ने कहा की यह दोनों ही पीड़िता के पक्ष में नहीं है। क्योंकि इस केस में पहले दिन से जो सवाल मौजूद थे वह एसआईटी की चार्जशीट और कोर्ट के फैसले के बाद भी जस के तस बने हुए हैं। एसआईटी ने उस वीआईपी का नाम अभी तक उजागर नहीं किया है और न ही अभी तक वंतरा रिजॉर्ट को बुलडोजर से ध्वस्त कर सुबूत मिटाने वाली विधायक रेनू बिष्ट और पुलकित आर्य के पिता बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनोद आर्य पर जांच को प्रभावित करने के लिए जांच के दायरे में लिया गया है।
इन मुख्य सवालों के उत्तर ना मिलने के बावजूद भी कोर्ट ने एसआईटी की जांच को न्याय की दिशा में बढ़ने वाला कहा है। फैक्ट फाइंडिंग टीम कोर्ट के आदेश को भी पीड़िता के पक्ष में नहीं मानता है और इन सब के खिलाफ आंदोलनकारी लोग आंदोलन और सुप्रीम कोर्ट दोनों का दरवाजा खटखटाएंगे, जबकि रेशमा पंवार ने कहा कि इस रिपोर्ट और कोर्ट के आदेश के बाद हमें आंदोलन का ही रास्ता दिखता है। सड़क के आंदोलन से ही न्याय का रास्ता सुनिश्चित हो सकता है। राज्य की महिलाओं को सुरक्षित करने के लिए आम लोगों को आगे आने की जरूरत है।
टीम के सदस्यों द्वारा इस रिपोर्ट को जन संगठनों के आंदोलनों, मीडिया रिपोर्ट, स्थानीय पुलिस द्वारा बढ़ती जा रही ढील को देखते हुए जांच सीबीआई को सौंपे जाने के लिये उच्च न्यायालय में दायर याचिका और उसकी बारिकियों का तथा घटनाक्रम का विस्तृत लेखा-जोखा क्रमबद्ध तरीके से तैयार किया गया है। रिपोर्ट के श्रीनगर विमोचन में शिवानी पाण्डेय, रेशमा पंवार, अनिल स्वामी, गंगा असनोड़ा, अंकित उछोली, योगेंद्र कांडपाल व शहर के अन्य गणमान्य लोग शामिल थे।