Yati Narsinghanand ने हिंदू संत समाज को बताया 'फर्जी', गंगाजल हाथ में लेकर इस विषय पर दी शास्त्रार्थ करने की चुनौती

Yati Narsinghanand : यति ने पूरे भारत के हिन्दू समाज के संतों को अपने साथ खुलेआम शास्रार्थ करने की भी चुनौती दे डाली है...

Update: 2022-02-24 08:11 GMT

महामण्डलेश्वर नरसिंहानंद ने तिरंगे की जगह भगवा झंडा फहराने की दी नसीहत, बोले - हर घर तिरंगा नहीं भगवा झंडा फहराया जाए

Yati Narsinghanand : धर्मसंसद की आड़ में देश के मुसलमानों के प्रति जहर उगलने व उनके नरसंहार (Genocide) की बाते करने वाले तथाकथित संत यति नरसिंहानंद (Yati Narsinghanand) ने बौखलाहट में अब देश के हिन्दू संत समाज को ही चैलेंज कर दिया है। हेट स्पीच के मामले में जेल जा चुके और इन दिनों जमानत पर जेल से बाहर घूम रहे यति ने तथाकथित धर्मसंसद में दिए गए जहरीले भाषणों का व्यापक हिन्दू संत समाज द्वारा समर्थन न किये जाने की बौखलाहट में पूरे संत समाज को अपने निशाने पर ले लिया है।

हेट स्पीच के आरोपी यति नरसिंहानंद और स्वामी अमृतानंद ने सर्वानंद घाट पर गंगाजल हाथ में लेकर शपथ लेते हुए सनातन धर्म (Sanatan Dharma) को मानने वाले व्यापक संत समाज को फर्जी बताते हुए अपने साथ खुलेआम शास्त्रार्थ करने की चुनौती दी है। यति ने हाथ में गंगाजल लेकर संत समाज से शास्त्रार्थ करने और हारने पर गंगाजल में समाधि लेने की घोषणा की है। यति के अनुसार शास्त्रार्थ का विषय "आज के युग में हिंदुओं का कृत्य क्या है ?" होगा।

यति नरसिंहानंद गिरी का कहना है कि हम लोगों ने हरिद्वार (Haridwar) में एक धर्म संसद (Dharma Sansad) की थी। हम बहुत पहले से ही धर्म संसद करते आ रहे हैं। हमारा मुद्दा है कि भारत में यदि मुसलमानों (Muslims) की आबादी बढ़ गई तो हिंदुओं के पास रहने की कोई जगह नहीं बचेगी। अगर यह देश इस्लामिक हुआ तो हमारा सब कुछ खत्म हो जाएगा। लेकिन यहां के बहुत सारे धर्माचार्य ने कह रहे हैं कि हम लोग अधार्मिक लोग हैं। हम जो कह रहे हैं वह अधार्मिक बाते हैं। जबकि मुझे यह लगता है कि रामायण, महाभारत और श्रीमद्भागवत गीता के आधार पर हम जो बोल रहे हैं वह बिल्कुल सच बोल रहे हैं। मैंने अपना पूरा जीवन कुरान और इस्लाम के इतिहास का अध्ययन करने में लगाया है।

उनका कहना है कि हिंदू समाज (Hindu Samaj) को कंफ्यूजन है कि पता नहीं हम सच बोल रहे हैं या वे धर्माचार्य सच बोल रहे हैं। इसलिए मैंने उन धर्माचार्य को जो हमारा विरोध कर रहे हैं। जिसमें कुछ खुलकर बोल रहे हैं। तो कुछ यहां आश्रमों में बैठकर हमारा विरोध कर रहे हैं और कुछ पुलिस प्रशासन और राजनीतिक नेताओं के साथ मिलकर कर रहे हैं। मैंने और स्वामी जी ने मिलकर उनको शास्त्रार्थ की चुनौती दी है, एक बार हिंदू समाज में यह तय हो जाए कि धर्म क्या है? और अधर्म क्या है? इसको तय करने के बाद फिर हम आगे बढ़ेंगे। हमने यह चुनौती पूरे हिंदू समाज के धर्माचार्यो को दी है जो यह कहते हैं कि हम गलत कर रहे हैं हम अधार्मिक हैं।

कौन है यति नरसिंहानंद ?

अपने आप को जूना अखाड़े का महामंडेलश्वर बताने वाले यति नरसिंहानंद उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले स्थित डासना में एक मंदिर में रहते हैं। अपने विवादास्पद व सुर्खियों में रहने वाली बयानबाजी के शौकीन यति का अतीत क्या है, यह रहस्यमय है। यति को जानने वाले बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर कई अनजान संतों द्वारा राजनीति में प्रवेश कर ठाठ की जिंदगी जीने से यति के मन में भी राजनीति में जाकर अपनी पहचान बनाने की मंशा बनी हुई है।

यति ने पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) में अपने लिए राज्यसभा सीट की संभावनाएं टटोली लेकिन राज्यसभा के लिए भाजपा में बहुत लंबी कतार होने के चलते इनके करीबियों ने इन्हें भाजपा से विधानसभा अथवा लोकसभा का टिकट लेने की सलाह दी। जिसके बाद से यति ने देश की राजनीति में इन दिनों सर्वाधिक आसान निशाना बने मुसलमानों को लक्ष्य करते हुए उनके खिलाफ विषवमन शुरू कर दिया। अपनी इन हरकतों से चर्चाओं में आने के बाद इसी कड़ी में यति नरसिंहानंद  ने पिछले दिनों हरिद्वार में एक धर्मसंसद मुस्लिमों के खिलाफ ऐसी जहरीली बयानबाजी की थी कि हिन्दू समाज के तमाम संत-साधू भी हैरान होने लगे थे।

उत्तर-प्रदेश विधानसभा चुनावों से पूर्व धर्मसंसद के बहाने सुर्खियों में आये यति को उम्मीद थी कि मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलने की एवज में उन्हें यूपी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी किसी सीट से उम्मीदवार बना देगी। लेकिन भाजपा ने यति को किसी सीट से उम्मीदवार बनाना तो दूर, उनकी ओर देखा भी नहीं। दूसरी ओर जब यति के बयानों के बाद जब उंगलियां वृहद हिन्दू समाज पर उठने लगीं तो व्यापक हिन्दू समाज से जुड़े संतों व धर्माचार्यों ने भी यति के कृत्य को अधार्मिक बताते हुए इससे अपना पल्ला झाड़ लिया।

इसके साथ ही उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार ने मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने के कारण यति नरसिंहानंद के खिलाफ हरिद्वार में मुकदमा दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी कर डाली। जिस वजह से धर्मसंसद में की गयी बयानबाजी के कारण यति को एक महीने से अधिक समय तक जेल की हवा भी खानी पड़ी। भाजपा से टिकट की आस लगाए बैठे यति को भाजपा सरकार द्वारा ही जेल भेजे जाने से उनके राजनीति में प्रवेश की हसरत अधूरी रह गयी।

जेल से जमानत पर छूटने के बाद बौखलाए यति ने अब मुसलमानों के साथ-साथ हिन्दू समाज के संतों के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया। अपनी राजनैतिक महत्त्वकांक्षा की पूर्ति के लिए यति ने अपने जहरीले बयानों का समर्थन न करने वाले संतों व धर्माचार्यों को फर्जी तक करार देना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, इस सबसे एक कदम आगे बढ़कर यति ने पूरे भारत के हिन्दू समाज के संतों को अपने साथ खुलेआम शास्रार्थ करने की भी चुनौती दे डाली। यति की इस चुनौती को व्यापक हिन्दू संत समाज गंभीरता से भी लेगा या नहीं, यह आने वाले कुछ दिनों बाद पता चलेगा।

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