उत्तराखण्ड में पुलिस कस्टडी में थर्ड डिग्री टॉर्चर के बाद युवक की मौत, परिजनों ने कहा प्राइवेट पार्ट में डाला पेट्रोल
परिजनों का आरोप है कि रायफल चोरी के आरोप में पकड़े गये सोनू के प्राइवेट पार्ट में पुलिस ने ज्वलनशील पदार्थ (पेट्रोल) लगाते हुए उसे उल्टा लटकाकर नाक के रास्ते पानी भी चढ़ाया, इतनी प्रताड़नाएं झेलने के बाद जब सोनू मरणासन्न स्थिति में पहुंच गया तो उनको थाने बुलाकर सोनू को निर्दोष बताते हुए उनके हवाले कर दिया....
सलीम मलिक की रिपोर्ट
रामनगर। पौड़ी जिले के कालागढ़ इलाके में एक युवक की पुलिस द्वारा बेरहमी से पिटाई की वजह से मौत हो गयी। सोनू नाम के इस युवक को पुलिस ने कॉर्बेट नेशनल पार्क से चोरी हुई एक सरकारी रायफल के मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। जहां पुलिस द्वारा युवक की बेरहमी से पिटाई के बाद अधमरी हालात में युवक को निर्दोष बताते हुए पुलिस ने उसके परिजनों की सुपुर्दगी में दे दिया था।
परिजन युवक को मरणासन्न हालात में 22 जुलाई को इलाज के लिए अस्पताल ले गए थे, जहां उसी दिन उसकी मौत हो गयी। इस खौफनाक वारदात का दुःखद पहलू यह भी है कि उत्तराखंड की नैनीताल उच्च न्यायालय जिस समय जेल में बंद एक कैदी की पुलिसकर्मियों द्वारा पिटाई से हुई मौत के मामले में सीबीआई जांच के निर्देश दिए जाने का फैसला सुना रही थी, तकरीबन उसी समय कालागढ़ थाने में सोनू की मौत की पटकथा लिखी जा रही थी।
पूरे प्रकरण के वजह के मूल में कार्बेट नेशनल पार्क की झिरना रेंज के एक कर्मचारी की रायफल का गायब होना रहा। इस रायफल के गायब होने की खबर वन महकमे की रेंजर संचिता वर्मा ने कालागढ़ थाने में दी थी। इस मामले में पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। कालागढ़ थानाध्यक्ष उमेश कुमार के कहने पर सुनील उर्फ सोनू निवासी फतेहपुर धारा, कल्लूवाला, तहसील धामपुर जिला बिजनौर (उत्तर प्रदेश) जो कि पूर्व में वन-विभाग पर संविदा पर कार्यरत था, को भी इसी मामले की पूछताछ के लिए बृहस्पतिवार 22 जुलाई की सुबह बुलाया गया था।
सोनू के परिजनों की मानें तो थाने में उमेश कुमार एसओ, प्रीति कॉर्नवाल एसआई ने कई और पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर सोनू की बेरहमी से पिटाई करते हुए उसे अधमरा कर दिया। इतना ही नहीं इन लोगों ने सोनू के प्राइवेट पार्ट में ज्वलनशील पदार्थ (पेट्रोल) लगाते हुए उसे उल्टा लटकाकर नाक के रास्ते पानी भी चढ़ाया। इतनी प्रताड़नाएं झेलने के बाद जब सोनू मरणासन्न स्थिति में पहुंच गया तो परिजनों को थाने बुलाकर सोनू को निर्दोष बताते हुए उनके हवाले कर दिया गया। सोनू की हालत को देखते हुए परिजन उसे अस्पताल ले जा रहे थे कि देर रात उसकी रास्ते में ही मौत हो गयी।
पुलिस की पिटाई से हुई सोनू की मौत की खबर देखते ही देखते उत्तराखण्ड व उत्तर-प्रदेश में फैल गई। अगले दिन शुक्रवार 23 जुलाई की सुबह गुस्साए परिजन गांव वालों के साथ सोनू की लाश लेकर थाने पहुंचे तो पुलिस ने ग्रामीणों के तेवर देखते हुए थाने का गेट बंद कर दिया, लेकिन गुस्साए ग्रामीणों ने थाने का गेट तोड़ते हुए लाश को थाने में रख दिया।
ग्रामीणों के गुस्से को देखते हुए पुलिस में अफरा-तफरी मच गई, जिसके बाद मामले की संवेदनशीलता के चलते आसपास के कई जिलों के आला अधिकारियों के साथ बड़ी तादात में पुलिस बल, फायर ब्रिगेड की गाड़ियां कालागढ़ थाना पहुंच गईं। इस दौरान पुलिस और मृतक के परिवार में कई बार झड़प हुई।
परिवार जहां सोनू की मौत के जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाही और इंसाफ की मांग कर रहा था तो पुलिस की भरसक कोशिश मामले को रफा-दफा करने की थी। इस दौरान दोनों पक्षों की कई वार्ताएं फेल भी हुई। लेकिन अंततः पौड़ी जिले की एसएसपी पी रेणुका ने एसडीएम योगेश मेहरा और कई स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में वार्ता की कमान अपने हाथ में लेते हुए मामले को संभाला।
एसएसपी पी. रेणुका ने मृतक के आश्रित को 51 हजार रुपए की फौरी आर्थिक मदद, सोनू की मौत का 6 लाख रुपये मुआवजा और एक परिजन को नौकरी का वादा करते हुए परिजनों को मामला सुलटाने पर राजी कर लिया। बहरहाल मामले में सोनू की पत्नी कमलेश की तरफ से एक तहरीर पुलिस को दी गयी है। पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। सोनू की मौत के बाद उसके छोटे-छोटे दोनों बच्चे पूरे घटनाक्रम की गम्भीरता से अनभिज्ञ हैं। लेकिन अनहोनी की आशंका के चलते उनका रोते-रोते बुरा हाल है। सोनू की पत्नी का कहना था कि बच्चे कह रहे हैं कि पापा अभी सो रहे हैं।