Sharjeel Imam Case : देशद्रोह और UAPA के आरोप तय करने वाले आदेश के खिलाफ शरजील इमाम की याचिका पर दिल्ली HC ने जारी किया नोटिस
Sharjeel Imam Case : एक विशेष अदालत ने जनवरी में शरजील इमाम के खिलाफ देशद्रोह, समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और यूएपीए की कई धाराओं के लिए आरोप तय करने के आदेश जारी किए थे
Sharjeel Imam Case : दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने शुक्रवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र शारजील इमाम की ओर से दायर एक याचिका में नोटिस जारी किया है। इस याचिका में जिसमें उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत देशद्रोह और अपराधों के आरोप तय करने वाले विशेष न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति एके मेंदीरत्ता की पीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है, कोर्ट ने राज्य को प्रासंगिक दस्तावेजों को रिकॉर्ड में रखने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। मामले की अगली सुनवाई आगामी 26 मई को होगी।
इमाम ने दिल्ली में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) और जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Milia Islamia) में नागरिकता संशोधन अधिनियम और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के विरोध में दिए गए कथित भड़काऊ भाषण से संबंधित एक मामले में उनके खिलाफ आरोप तय करने को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
इमाम की ओर से दलील दी गई थी कि न्यायालय भाषणों और पैम्फलेटों को उनके सही परिप्रेक्ष्य और संपूर्णता में पढ़ने में विफल रहा था। इसलिए, यह गलत निष्कर्ष निकाला गया कि वे सांप्रदायिक प्रवृति के थे और सरकार के खिलाफ असंतोष फैलाते थे, समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देते थे और भारत की क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देने वाले काम कर रहे थे।
याचिका में याचिकाकर्ता के वकीलों की ओर से कहा गया है कि विशेष न्यायालय ने गलत तरीके से निष्कर्ष निकाला है कि विचाराधीन भाषणों में हिंसा का सहारा लेकर सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने की प्रवृत्ति है। विशेष अदालत ने विचाराधीन भाषणों से 20 से अधिक ऐसे उदाहरणों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है, जिसमें अपीलकर्ता ने बहुत स्पष्ट और जोरदार रूप से प्रदर्शनकारियों से किसी भी कीमत पर हिंसा में शामिल नहीं होने का आग्रह किया है।"
शारजील इमाम पर आरोप लगाए गए थे कि कि उसने दिल्ली में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA)और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के विरोध में भड़काऊ भाषण दिए। इसे लेकर उसके खिलाफ आरोप तय किए गए हैं। शरजील ने इस मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। विशेष अदालत ने शरजील के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124 ए के साथ-साथ धारा 152 ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), धारा 153 बी (पूर्वाग्रही आरोप) के तहत उसके खिलाफ UAPA कानून के तहतय आरोप तय करने का फैसला किया था।