ग्लोबल टाइम्स का दावा, शांति के लिए चीन अपने हताहत सैनिकों का नहीं कर रहा है खुलासा
चीन की सोच व उसकी नीतियों को समझने के लिए वहां के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स को दुनिया में एक अहम माध्यम माना जाता है। ऐसे में भारत-चीन के बीच हुई झड़प को लेकर उसने इस मुद्दे पर आज अपने विशेष संपादकीय में क्या लिखा है यह जानना आवश्यक है...
जनज्वार। भारत और चीन के बीच सीमा पर गलवान घाटी में सोमवार की रात हुई झड़प में व्यापक क्षति हुई है। भारतीय सेना ने जहां अपने 20 सैनिकों के शहीद होने की पुष्टि की है, वहीं चीन की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं है। चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन है और वहां सूचनाओं पर बहुत हद तक सेंसरशिप है। चीन की नीतियों व उसकी सोच को समझने में वहां की सरकार का मुखपत्र माने जाने वाला ग्लोबल टाइम्स हमेशा से एक अहम माध्यम माना जाता है।
ग्लोबल टाइम्स ने आज भारत-चीन झड़प पर विशेष संपादकीय लिखा है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत व चीन के सैनिकों के बीच सोमवार को गंभीर शारीरिक झड़प हुई। इस झड़प के बाद भारतीय पक्ष ने कहा है कि उसके तीन सैनिक शहीद हुए है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि चीनी सेना ने कहा है कि दोनों पक्षों में हुई झड़प में क्षति हुई है, हालांकि उसने सही संख्या नहीं बतायी है।
ग्लोबल टाइम्स की ये पंक्तियां इस बात को इंगित करती हैं कि इस झड़प में चीन की सेना को भी व्यापक क्षति हुई है। भारतीय मीडिया के एक वर्ग में अपुष्ट सूत्रों के हिसाब से 43 चीनी सैनिकों के मारे जाने की खबरें चलायी जा रही हैं, हालांकि इससे पहले मंगलवार को ग्लोबल टाइम्स ने ट्वीट कर कहा था कि उसके एक भी सैनिक की जान नहीं गयी है।
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत व चीन के सैनिकों के बीच यह गंभीर झड़प है। ग्लोबल टाइम्स ने उल्लेख किया है कि भारतीय मीडिया ने यह रिपोर्ट किया है कि 1975 के बाद यह दोनों देशों के बीच सबसे तीखी झड़प है।
चीनी अखबार ने आरोप लगाया है कि भारत सीमा पर व्यापक आधारभूत संरचना का निर्माण कर रहा है और सीमा विवाद पर द्विपक्षीय मतभेदों की परवाह किए बिना वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी पक्ष में इन्फ्रास्ट्रक्चर का जबरन निर्माण कर रहा है। चीनी सैनिकों द्वारा ऐसे करने से रोकने पर वे बार-बार शारीरिक संघर्ष में शामिल हो जाते हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि हाल के वर्षाें में नयी दिल्ली ने सीमा मुद्दों पर सख्त रुख अपनाया है, जिसका मुख्य कारण दो गलतफहमी है। वह मानता है कि चीन अमेरिका के साथ बढते रणनीतिक दबाव के कारण भारत के साथ संबंधों में खटास नहीं चाहता है, इसलिए चीन में भारतीय पक्ष की प्रतिक्रिया देने की इच्छाशक्ति का अभाव है। दूसरा, कुछ भारतीय लोग मानते हैं कि उनके देश की सेना चीन की तुलना में अधिक शक्तिशाली है। अखबार ने लिखा है कि ये चीजें तर्कसंगतता को प्रभावित करती है और भारत की चीन नीति पर दबाव डालती हैं।
चीनी अखबार ने अपने मुल्क के प्रति भारतीय अभिजात वर्ग की मानसिकता पर सवाल उठाया है और लिखा है कि चीन दोनों पक्षों में टकराव नहीं चाहता है। उसके अनुसार, चीन द्विपक्षीय मुद्दों को वार्ता के जरिए हल करना चाहता है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि दोनों बड़े देश हैं। सीमा के पास शांति व स्थायित्व दोनों देशों व क्षेत्र के लिए महत्व रखती है। अखबार ने दोनों देशों के रिश्तों के बीच चीन के प्रभाव पर अपने संपादकीय में विशेष तौर पर जोर दिया है और लिखा है कि क्या भारत वाशिंगटन के हितों में खुद को समर्पित करेगा।
उसने यह भी उल्लेख किया है कि दोनों देशों की सेना के बीच गैप स्पष्ट है और चीन सीमा मुद्दों को आपसी टकराव में बदलना नहीं चाहता है। इस बार गलवान घाटी में हुए टकराव ने दोनों पक्षों को हताहत किया है, जो नियंत्रण से बाहर हो सकती है। दोनों देशों के नेतृत्व ने घटना के बाद संयम बरता है, यह दर्शाता है कि दोनों पक्ष संघर्ष को संभालना चाहते हैं और इसे बढने नहीं देना चाहता है।
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि चीनी सेना ने हताहतों का खुलासा नहीं किया है, यह एक ऐसा कदम है जिसका उद्देश्य टकराव की भावनाओं को तुलना करने व रोकने के लिए है। चीनी अखबार ने लिखा है कि हम गलवान घाटी में शांति होते देखना चाहते हैं।