क्या मोदी सरकार नहीं लेना चाहती चीन द्वारा लद्दाख में कब्जाए गए इलाक़े?
रिपोर्ट में सबसे बड़ा खुलासा तो ये किया गया है कि सेना के भीतर इस बात को लेकर चिंता है कि भारत सरकार पिछले महीने चीन द्वारा हथियाए गए भूखंड को उसी के कब्ज़े में बने रहने देगी।
जनज्वार। पूर्वी लद्दाख के गलवान रिवर और पेंगोंग लेक इलाकों में 3 किलोमीटर अंदर तक के भूखंड में घुसपैठ कर चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अपना दबदबा कायम कर लिया है। यह वही भूखंड है जिस पर भारत दशकों से अपना दावा ठोंकता रहा है और भारतीय सेना पेट्रोलिंग करती रही है।
यह बात रीडिफ़ डॉट कॉम में छपी रक्षा विशेषज्ञ अजय शुक्ला की एक रिपोर्ट में कही गयी है। यह भी कहा गया है कि सरकारी सूत्रों का अनुमान है कि पिछले एक महीने में पीएलए ने भारतीय सेना द्वारा पेट्रोलिंग किये जा रहे भूखंड का 60 वर्ग किलोमीटर इलाका अपने कब्ज़े में ले लिया है। 60 वर्ग किलोमीटर का यह इलाक़ा गलवान रिवर के उत्तरी तट और पेंगोंग लेक के सेक्टर्स के बीच बराबर बंटा है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि लाइन ऑफ़ कंट्रोल से लगे अनेक भारतीय 'पेट्रोलिंग पॉइंट्स' तक पहुंचने का रास्ता चीनी सेना की टुकड़ियों ने रोक लिया है। ये वही पॉइंट्स हैं जिन पर भारतीय सेना दशकों से नियमित रूप में पेट्रोलिंग करती रही है ताकि इस इलाके पर उसका दावा बना रहे। इनमें पेट्रोलिंग पॉइंट14, 16, 18 और 19 शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालाँकि चीन के उच्च अधिकारी इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाने की बात कह रहे हैं लेकिन वहीं चीनी सेना के घुसपैठिये इस इलाक़े में बंकर बनाने में जुटे हैं। उधर चीनी सेना के इंजीनियर्स भी सेना की आगे चलने वाली टुकड़ियों के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थित चीन के दुर्जेय सड़क ढांचे से इलाके को जोड़ने की दिशा में काम कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की घुसपैठ का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए जरूरी भारतीय सेना की आरक्षित टुकड़ियों की इस साल जबर्दस्त कमी हो गयी है। इसका कारण है कोविड-19 महामारी।
गौरतलब है कि हर साल इस समय चीनी घुसपैठ सबसे ज़्यादा होती है। इसीलिये ऊधमपुर स्थित भारतीय सेना के उत्तरी कमान द्वारा 'प्रशिक्षण क्रियाओं' के नाम पर हर साल इस इलाक़े में आरक्षित टुकड़ियों को पहुँचाया जाता है लेकिन इस बार महामारी के चलते आरक्षित टुकड़ियों को शांति काल वाले स्थान पर ही रोक दिया गया था।
जब तक भारतीय सेना की उत्तरी कमान ने आरक्षित टुकड़ियों को इस इलाक़े में भेजने का काम शुरू किया तब तक बहुत देर हो चुकी थी। चीनी सेना नए हासिल किये गए इलाकों पर अपना कब्ज़ा पुख्ता कर चुकी थी।
रिपोर्ट यह भी खुलासा करती है कि नई दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय में चर्चा है कि लद्दाख स्थित सेना के उच्च अधिकारियों से भारी चूक हुई है। लेह स्थित कॉर्प्स कमांडर और ऊधमपुर स्थित सेना के उत्तरी कमान कमांडर को बदलने की बात चल रही है।
लेकिन रिपोर्ट में सबसे बड़ा खुलासा तो ये किया गया है कि सेना के भीतर इस बात को लेकर चिंता है कि भारत सरकार पिछले महीने चीन द्वारा हथियाए गए भूखंड को उसी के कब्ज़े में बने रहने देगी।
वैसे भी अपने आम व्यक्तव्यों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यह स्वीकार कर चुके हैं कि इस इलाक़े में वास्तविक नियंत्रण रेखा का संरेखण और इसीलिए भूखंड का मालिकाना हक़ स्पष्ट नहीं है।