न्यूजीलैंड की सरकार में आधे से ज्यादा मंत्रालयों की जिम्मेदारी महिलाओं को, वहीं भारत में महिला सांसद भी मात्र 14 प्रतिशत
भारत और श्रीलंका में महिला सांसदों की कम संख्या - भारत में 14 प्रतिशत और श्रीलंका में 5 प्रतिशत – आश्चर्य का विषय है, क्योंकि दुनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री वर्ष 1960 में श्रीलंका की सिरिमावो भंडारनाइके थीं और दूसरी 1966 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी थीं...
महेंद्र पांडेय की टिप्पणी
New Zealand has attained gender equality in cabinet ministers. न्यूज़ीलैण्ड में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में हाल में किये गए फेरबदल के बाद अब महिला कैबिनेट मंत्रियों की संख्या 13 हो गयी है, यानि प्रधानमंत्री क्रिस हिप्किंस समेत 26 कैबिनेट मंत्रियों में आधी महिलायें हैं। इन महिला मंत्रियों में उप-प्रधानमंत्री कारमेल सेपुलोनी और भारतीय मूल की प्रियंका राधाकृष्णन भी सम्मिलित हैं। प्रधानमंत्री क्रिस हिप्किंस ने मंत्रिमंडल विस्तार के बाद बताया कि यह एक स्वागत योग्य कदम है और यह मंत्रिमंडल पूरी आबादी का वास्तविक प्रतिनिधित्व करता है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि यह केवल कैबिनेट मंत्रियों के आंकड़े हैं, यदि उपमंत्रियों और राज्य मंत्रियों को भी शामिल कर लिया जाए तब महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में कहीं ज्यादा है।
वर्ष 2020 के दौरान न्यूज़ीलैण्ड के चुनावों में जब जेसिंडा अर्देर्न प्रधानमंत्री बनी थीं तब संसद में महिलाओं, आदिवासियों और समलैगिकों की संख्या अभूतपूर्व तरीके से बढी थी। उस समय संसद में लगभग आधी महिलायें, 25 प्रतिशत आदिवासी और 10 प्रतिशत समलैंगिक थे। वर्तमान में भी न्यूज़ीलैण्ड की संसद में महिलाओं की संख्या 50 प्रतिशत है।
यूएन वीमेन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के सन्दर्भ में कैबिनेट मंत्रियों में महिलाओं की औसत संख्या 22.8 प्रतिशत है। इसमें 13 देशों में यह संख्या 50 प्रतिशत या इससे भी अधिक है। महिलाओं के जिम्मे सामान्य तौर पर जो विभाग होते हैं, वे हैं – महिला और लैंगिक समानता, परिवार और बाल कल्याण, सामाजिक विकास, सामाजिक सुरक्षा और आदिवासी और अल्पसंख्यक कल्याण। जनवरी 2023 के आंकड़ों के अनुसार दुनिया के 31 देशों में 36 महिलायें सर्वोच्च पदों पर हैं – इनमें से 17 महिलायें राष्ट्राध्यक्ष हैं जबकि 19 महिलायें सरकार की प्रमुख हैं। रिपोर्ट के अनुसार सर्वोच्च पदों पर लैंगिक समानता आने में 130 वर्ष और लगेंगे।
दुनिया में कुल संसद सदस्यों में महिलाओं की संख्या एक-चौथाई से कुछ अधिक यानि 26.5 प्रतिशत है। इस सन्दर्भ में लैगिक समानता आने में हमें अगले 40 वर्ष और इंतज़ार करना पड़ेगा। कुल 6 देश ऐसे भी हैं, जहां संसद सदस्यों की कुल संख्या में महिलाओं की संख्या 50 प्रतिशत या अधिक है – यह संख्या रवांडा में 61 प्रतिशत, क्यूबा में 53 प्रतिशत और निकारागुआ में 52 प्रतिशत है, जबकि मेक्सिको, न्यूज़ीलैण्ड और यूनाइटेड अरब अमीरात में यह संख्या 50 प्रतिशत है। दुनिया के कुल 23 देशों में महिला संसद सदस्यों की संख्या 40 प्रतिशत या अधिक है – ऐसे 13 देश यूरोप में, 6 देश अफ्रीका में, 3 दक्षिण अमेरिका में और केवल 1 देश एशिया में है। यूएन वीमेन की रिपोर्ट के अनुसार कुल सांसदों के सन्दर्भ में दक्षिण अमेरिका में महिला सांसदों की संख्या 36 प्रतिशत है, यूरोप और अमेरिका में 32 प्रतिशत, सहारा अफ्रीका में 26 प्रतिशत, पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशिया में 22 प्रतिशत, ओशिनिया में 20 प्रतिशत, मध्य और दक्षिण एशिया में 19 प्रतिशत और उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया में 18 प्रतिशत है।
दुनिया में 22 देश ऐसे हैं, जहां संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से भी कम है। यमन दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जहां एक भी महिला सांसद नहीं है। वानुआतु में महिला सांसदों की संख्या 1 प्रतिशत, नाइजीरिया में 3.6 प्रतिशत, क़तर में 4.4 प्रतिशत, ईरान में 5.6 प्रतिशत, श्रीलंका में 5 प्रतिशत और जापान में 10 प्रतिशत है।
वैश्विक स्तर पर स्थानीय सरकारों और प्रशासन में 34 प्रतिशत महिलायें हैं। इसमें दो देश ऐसे हैं जहां यह संख्या 50 प्रतिशत से भी अधिक है, जबकि 20 देशों में महिलाओं की संख्या स्थानीय प्रशासन में 40 प्रतिशत से अधिक है। स्थानीय प्रशासन के सन्दर्भ में मध्य और दक्षिण एशिया में महिलाओं की संख्या 41 प्रतिशत, यूरोप और अमेरिका में 36 प्रतिशत, ओशिनिया में 32 प्रतिशत, पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशिया में 28 प्रतिशत, दक्षिण अमेरिका में 25 प्रतिशत, सहारा अफ्रीका में 25 प्रतिशत, और उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया में 18 प्रतिशत है।
हमारे देश में महिला सांसदों की संख्या महज 14 प्रतिशत है, जबकि वैश्विक औसत 26.5 प्रतिशत और दक्षिण एशिया का औसत 19 प्रतिशत है। कुल 543 सांसदों में से महिलाओं की संक्या महज 78 है। देश के 28 कैबिनेट मंत्रियों में केवल 2 महिलायें हैं, जबकि पूरे केन्द्रीय मंत्रिमंडल के 77 सदस्यों में महिलाओं की संख्या केवल 11 है।
भारत और श्रीलंका में महिला सांसदों की कम संख्या - भारत में 14 प्रतिशत और श्रीलंका में 5 प्रतिशत – आश्चर्य का विषय है, क्योंकि दुनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री वर्ष 1960 में श्रीलंका की सिरिमावो भंडारनाइके थीं और दूसरी 1966 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी थीं।