Moscow Format: भारत-तालिबान होंगे आमने सामने, रूस ने भारत को भेजा 'मोस्को प्रारुप' में आने का न्योता

20 अक्टूबर को होने वाली मास्को प्रारूप की बैठक में भारत और अफगानिस्तान समेत ईरान, पाकिस्तान और चीन जैसे अन्य देशों के प्रतिनिधियों के भी हिस्सा लेने की संभावना है...

Update: 2021-10-15 08:54 GMT

(photo : Al Zazeera and social media)

नई दिल्ली (जनज्वार): भारत को अफगानिस्तान मुद्दों पर चर्चा के लिए 'मास्को फॉर्मेट' में शामिल होने का न्योता मिला है। 20 अक्टूबर को रूस की राजधानी मोस्को में आयोजित इस बातचीत सम्मेलन में भारत भी अफगानिस्तान को लेकर अपना पक्ष रखेगा। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार, 14 अक्टूबर को एक प्रेस वार्ता के दौरान ये जानकारी दी।

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मीडिया को बताया कि, 'हमें अफगानिस्तान पर 20 अक्टूबर को होने वाले 'मास्को फॉर्मेट' में शामिल होने के लिए न्योता मिला है। रूस द्वारा मिले न्योते में भारत निश्चित तौर पर शामिल होगा।' भारत के तरफ से कौन इस सम्मेलन में शामिल होगा इसके जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि फिलहाल वे इसकी पुष्टि नहीं कर सकते कि मोस्को फॉर्मेट में कौन शामिल होगा लेकिन संभावना है कि संयुक्त सचिव स्तर का कोई अधिकारी ही इसमें भाग लेगा।

बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान राज (Taliban Rule in Afganistan) के बाद ये दूसरा मौका होगा जब भारत और तालिबान आमने-सामने होंगे। इससे पहले 31 अगस्त को कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल और तालिबान राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई ने दोहा में एक बैठक की थी, जिसमें अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और शीघ्र वापसी को लेकर चर्चा हुई थी। हालांकि, औपचारिक तौर पर यह पहला मौका होगा जब भारत और तालिबान के प्रतिनिधि एक दूसरे के सामने होंगे।

15 अगस्त में तालिबान का अफगानिस्तान की सत्ता पर जबरन काबिज होने के बाद यह पहला 'मास्को फॉर्मेट' सम्मेलन होगा। पिछले हफ्ते अफगानिस्तान पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विशेष प्रतिनिधि जमीर काबुलोव ने कहा था कि मोस्को ने 20 अक्टूबर को अफगानिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय वार्ता के लिए तालिबान के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है। हालांकि, तालिबान ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि मोस्को फॉर्मेट में उनका प्रतिनिधित्व कौन करेगा।

आपको बता दें कि तालिबान राज अब भी रूस में प्रतिबंधित है। तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान पर 'मास्को वार्ता' का यह पहला संस्करण होगा। रूस ने काबुल में एक समावेशी सरकार के आह्वान के बीच इस वार्ता को हर साल की तरह जारी रखने का फैसला किया है।

20 अक्टूबर को होने वाली मास्को प्रारूप की बैठक में भारत और अफगानिस्तान समेत ईरान, पाकिस्तान और चीन जैसे अन्य देशों के प्रतिनिधियों के भी हिस्सा लेने की संभावना है। मोस्को फॉर्मेट में सभी देश अफगानिस्तान की स्थिति पर विचार-विमर्श करेंगे। संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी 2017 में पहले मॉस्को फॉर्मेट में भाग लिया था।

गुरुवार को प्रेस वार्ता के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने कहा कि, 'अफगानिस्तान के प्रति भारत की नीति अफगान लोगों के साथ उसकी दोस्ती द्वारा निर्देशित है।' उन्होंने कहा कि भारत ने अतीत में बुनियादी ढांचे के साथ-साथ मानवीय उद्देश्यों के लिए अफगानिस्तान को सहायता प्रदान की है। उन्होंने कहा कि, 'आपको याद होगा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने 13 सितंबर को इस विषय पर एक बैठक बुलाई थी जिसमें भारत के तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भाग लिया था।'

गौरतलब है, कि अफगान मुद्दों के समाधान को लेकर रूस वर्ष 2017 से मास्को फॉर्मेट (Moscow Format) का आयोजन करता रहा है। इस साल अगस्त महीनें में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद 20 अक्टूबर को पहली बार रूस की राजधानी मॉस्को में 'मॉस्को फॉर्मेट' (Moscow Format) की बैठक होने जा रही है।


Tags:    

Similar News