मार्क जकरबर्ग ने कहा भाजपा नेता के बयान की वजह से दिल्ली में हुए दंगे
मार्क जुकरबर्ग का कहना था, 'भारत में ऐसे मामले हुए हैं जहां उदाहरण के तौर पर किसी ने कहा कि अगर पुलिस ने ये काम नहीं किया तो हमारे समर्थक आएंगे और सड़कें खाली कराएंगे। ये अपने समर्थकों को सीधे-सीधे हिंसा के लिए भड़काने का ज्यादा प्रत्यक्ष मामला है।' उनका कहना था कि इस तरह के आशय वाली सामग्री कंपनी बर्दाश्त नहीं करती...
अब अमेरिका में नस्लभेद विरोधी प्रदर्शनों ने फेसबुक के भीतर भी माहौल गरमा दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कुछ पोस्टों को लेकर कई कर्मचारी खुल्लमखुल्ला अपनी कंपनी और इसके संस्थापक मार्क जुकरबर्ग की आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप इन पोस्टों के जरिये सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा की चेतावनी दे रहे हैं। ऐसी एक पोस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि 'लूट शुरू होते ही गोली मारने की भी शुरुआत हो जाएगी।'
फेसबुक के कई कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी को इस पोस्ट को हटाना या मॉडरेट करना चाहिए था। उन्होंने यह सवाल भी किया है कि कंपनी ने लोगों को उन गलत जानकारियों की सच्चाई क्यों नहीं बताई जो पोस्टल बैलट के बारे में डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी फेसबुक पोस्ट में दी थीं।
सभी मुद्दों को लेकर फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने बीते मंगलवार को अपने करीब 25 हजार कर्मचारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित किया था। करीब डेढ़ घंटे के अपने संबोधन और सवाल-जवाब के दौरान उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि क्यों उन्हें ट्रंप की पोस्ट आपत्तिजनक नहीं लगी। मार्क जुकरबर्ग ने कहा कि यह फैसला एक विस्तृत समीक्षा के बाद लिया गया।
इस दौरान फेसबुक संस्थापक की बात का एक सिरा इस साल की शुरुआत में भारत की राजधानी दिल्ली में हुए सीसीए विरोधी प्रदर्शनों से भी जुड़ा। उन्होंने कहा कि हिंसा भड़काने या चुनिंदा लोगों को निशाना बनाने को लेकर फेसबुक की नीतियां साफ हैं। मार्क जुकरबर्ग का कहना था, 'भारत में ऐसे मामले हुए हैं जहां उदाहरण के तौर पर किसी ने कहा कि अगर पुलिस ने ये काम नहीं किया तो हमारे समर्थक आएंगे और सड़कें खाली कराएंगे। ये अपने समर्थकों को सीधे-सीधे हिंसा के लिए भड़काने का ज्यादा प्रत्यक्ष मामला है।' उनका कहना था कि इस तरह के आशय वाली सामग्री कंपनी बर्दाश्त नहीं करती।
मार्क जुकरबर्ग ने नाम तो नहीं लिया, लेकिन साफ था कि बात कपिल मिश्रा की हो रही थी। भाजपा नेता ने दिल्ली में CAA-NRC विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पुलिस को अल्टीमेटम दिया था कि अगर तीन दिन में उसने प्रदर्शनकारियों को नहीं हटाया तो उनके समर्थक यह काम करेंगे। इसके बाद राजधानी में हुई हिंसा में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस ने इस हिंसा के मामले में बीते दो जून को ही आरोपपत्र दाखिल किए हैं।