नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा, सीमा मुद्दे को लेकर भारत के साथ अन्य रिश्तों में न फैलाएं कड़वाहट
नेपाल की नेशनल असेंबली में ग्यावली ने कहा कि सभी हितधारकों को (द्विपक्षीय) संबंधों में एक सकारात्मक स्वर बनाने में योगदान देना चाहिए। किसी को भी रिश्ते में कड़वाहट नहीं फैलानी चाहिए। मैं सभी से सकारात्मक योगदान देने का आग्रह करता हूं...
नई दिल्ली/काठमांडू। नेपाल के विदेश मंत्री ने मंत्री प्रदीप ग्यावली ने कहा है कि सीमा मुद्दों को लेकर नेपाल-भारत संबंधों की अन्य गतिशीलता को प्रभावित नहीं करना चाहिए। सोमवार को नेशनल असेंबली की एक बैठक में बोलते हुए ग्यावली ने कहा कि सरकार भारत के साथ बहुआयामी संबंधों के बारे में चिंतित है और सीमा को संशोधित करने वाले एक विशेष मुद्दे को लेकर भारत के साथ नेपाल के संबंधों की समग्र स्थिति को प्रभावित नहीं करना चाहिए।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार 28 जून को आरोप लगाया था कि भारत उन्हें सत्ता से हटाने की साजिश कर रहा है। ठीक एक दिन बाद नेपाल के विदेश मंत्री का यह बयान सामने आया है।
'द काठमांडू पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल की नेशनल असेंबली में ग्यावली ने कहा कि सभी हितधारकों को (द्विपक्षीय) संबंधों में एक सकारात्मक स्वर बनाने में योगदान देना चाहिए। किसी को भी रिश्ते में कड़वाहट नहीं फैलानी चाहिए। मैं सभी से सकारात्मक योगदान देने का आग्रह करता हूं।
इसी साल मई के पहले सप्ताह में भारत ने चीन के स्वायत्त क्षेत्र तिब्बत में लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए एक सड़क लिंक का उद्घाटन किया था। इसके बाद से दोनों देशों के बीत तकरार चल रही है।
इसके बाद नेपाल ने फिर लिपुलेख के साथ-साथ कालापानी और लिमिपियाधुरा को अपने नये राजनीतिक मानचित्र में जोड़ते हुए जारी किया। इन तीनों क्षेत्रों को भारत अपना हिस्सा मानता है। नया नक्शा बाद संविधान में संशोधन करके नेपाली संघीय संसद के माध्यम से अपनाया गया था।
ग्यावली ने कहा कि भारत द्वारा कथित रूप से कब्जा की गई भूमि को वापस लाने के लिए भारत के साथ राजनयिक वार्ता संभव है। हम भारत के संपर्क में हैं। हम बातचीत के माध्यम से इस मुद्दे को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और मुझे उम्मीद है कि हम इसे हल करने में सक्षम होंगे।
उन्होंने कहा कि भारत के साथ यह विवाद इतिहास द्वारा बनाई गई एक गाँठ है और इसे तब हमें सौंप दिया गया था और अब हम इसपर साथ काम कर रहे हैं, हम विवाद को हल करेंगे लेकिन उकसावे और भावनाओं से नहीं।