नेपाल में प्रधानमंत्री ओली ने की कैबिनेट की इमरजेंसी मीटिंग, राष्ट्रपति से मिल संसद भंग करने की सिफारिश

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस कदम का विरोध उनकी पार्टी में ही शुरू हो गया है। सत्ताधारी नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी ने इसे असंवैधानिक कदम बताया है, वहीं मुख्य विपक्ष नेपाली कांग्रेस ने भी इसका विरोध किया है।

Update: 2020-12-20 06:48 GMT
File photo:Nepal PM KP Oli 

जनज्वार। पड़ोसी देश नेपाल में बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल हुई है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार (20 December 2020) सुबह अपने कैबिनेट की एक इमरजेंसी बैठक की जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति बि़द्या देवी भंडारी से मुलाकात कर संसद भंग करने की सिफारिश की।

नेपाल के ऊर्जा मंत्री बरसमैन पुन ने कहा कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के द्वारा बुलायी गयी कैबिनेट की आपात बैठक में मंत्री परिषद ने संसद को भंग करने की स्वीकृति दी और यह सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी गयी है।

नेपाली अखबार काठमांडू पोस्ट की खबर अनुसार, ओली पर संवैधानिक परिषद अधिनियम से संबंधित एक अध्यादेश को वापस लेने का दबाव था। मंगलवार को उनकी सरकार द्वारा जारी अध्यादेश को राष्ट्रपति बि़द्या देवी भंडारी ने स्वीकृति दे दी थी।

एक मंत्री ने कहा है कि कैबिनेट की बैठक में ओली ने मंत्रियों को अपना फैसला सुनाया कि वे संसद भंग करने की सिफारिश करना चाहते हैं, जिसका किसी ने विरोध नहीं किया और प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी।

हालांकि अब यह देखना होगा कि कैबिनेट की इस सिफारिश को राष्ट्रपति मंजूरी देती हैं या नहीं, क्योंकि वह इस संबंध में कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है। 

नेपाल के प्रधानमंत्री ओली के इस कदम पर उनकी पार्टी में ही विरोध के स्वर उठ गए हैं। सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रवक्ता नारायणकाजी श्रेष्ठ ने कहा है कि यह जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है, क्योंकि आज सुबह कैबिनेट की बैठक में सभी मंत्री उपस्थित नहीं थे। यह लोकतांत्रिक मानदंडों के विरुद्ध है और देश को पीछे ले जाने वाला कदम है। उन्होंने कहा है कि इसे लागू नहीं किया जा सकता है।

वहीं, नेपाल की मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने इस कदम का विरोध करते हुए एक इमरजेंसी बैठक बुलायी है, जिसमें पार्टी नयी राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर आगामी कदम पर चर्चा करेगी।


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