अब भारतीय भूभाग को अपना बताने वाला मानचित्र नेपाल गूगल सहित पूरी दुनिया के देशों को भेजेगा

नेपाल तीन भारतीय भूभाग को अपना बताने वाला नया नक्शा पूरी दुनिया व अपने देश के अंदर भी वितरीत करेगा। अब उसके इस कदम पर भारत सरकार की क्या प्रतिक्रिया आती है, यह देखना होगा...

Update: 2020-08-02 02:40 GMT

File photo

जनज्वार। नेपाल ने अपने उस विवादित संशोधित नक्शे को विश्व बिरादरी को भेजने का निर्णय लिया है, जिसे हाल में उसकी संसद व उसके बाद राष्ट्रपति ने मंजूरी दी। नेपाल ने इस नए विवादित मानचित्र में तीन भारतीय भूभाग को अपना क्षेत्र बताया है। ये तीन भूभाग हैं : लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा। भारत पहले ही उसके इस संशोधित नक्शे को खारिज कर चुका है।

नेपाल के भूमि प्रबंधन मंत्री पदमा अरयाल ने शनिवार को कहा है कि इस संशोधित को हम संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेंसियों, भारत सहित दुनिया के दूसरे देशों को भेजेंगे, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा नेपाल के भूभाग के रूप में दिखाया गया है। उन्होंने कहा है कि अगस्त के मध्य तक यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

नेपाल का डिपार्टमेंट आफ मेजरमेंट ऐसे 400 मानचित्र को अंग्रेजी भाषा में छपवा रहा है। 

वहीं, देश में वितरित करने व बिक्री करने के लिए नेपाल ऐसे 25 हजार नक्शे छपवा रहा है। वह अपने देश के सरकारी कार्यालय में मुफ्त में इस नक्शे का वितरण करेगा और आम आदमी के लिए इसका शुल्क 50 रुपया रखा जाएगा। नेपाल ने 20 मई को इस नक्शे को जारी किया था।

भारत के कड़े विरोध के बावजूद नेपाल ने 18 जून को अपने नक्शे में संशोधन कर दिया था, जिसमें रणनीति रूप से अहम तीन भारतीय क्षेत्र को उसने अपना बताया। भारत ने नेपाल के निचले सदन द्वारा इस संबंध में विधेयक को पारित किए जाने के वक्त प्रतिक्रिया दी थी कि यह कृत्रिम विस्तार साक्ष्य एवं ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है और यह मान्य नहीं है।


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