नेपाल में सियासी घमासान के बीच भारतीय न्यूज़ चैनलों के सिग्नल किए गए बंद
नेपाल में सियासी घमासान चरम पर है। इस बीच नेपाल के केबल प्रोवाइडरों द्वारा भारतीय न्यूज़ चैनलों के सिग्नल बंद किए जाने की खबर सामने आई है।
जनज्वार। नेपाल में सियासी घमासान चरम पर है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और सत्तारूढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के बीच विवाद सुलझने का नाम नहीं ले रहा। इन सबके बीच नेपाल में भारतीय समाचार चैनलों के सिग्नल को बंद कर दिए जाने की खबर है।
नेपाल के केबल टीवी प्रोवाइडरों ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को बताया है कि देश में भारतीय समाचार चैनलों के सिग्नल को बंद कर दिया गया है। हालांकि सरकार के तरफ से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।
उधर पूर्व उपप्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठा ने स्थानीय मीडिया से कहा 'हमारी सरकार और प्रधानमंत्री के विरुद्ध भारतीय मीडिया का दुष्प्रचार तमाम हदें पार कर गया है। अब बहुत ज्यादा हो रहा है, इसे रोको।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बीच नेपाल में चीनी राजदूत होउ यांकी की सक्रियता काफी बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि वे ओली की कुर्सी बचाने की मुहिम में जुटीं हैं। हालांकि पीएम ओली और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रचंड के बीच मतभेद अभी सुलझे नहीं हैं। सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस के स्थायी समिति की 8 जुलाई को होने वाली बैठक 10 जुलाई तक टाल दी गई है।
प्रचंड खेमे को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल और झालानाथ खनल का समर्थन भी हासिल हो रहा है। यह खेमा ओली के इस्तीफे की मांग पर अड़ा हुआ है। ये लोग कह रहे हैं कि ओली की भारत विरोधी टिप्पणियां न तो राजनैतिक रूप से सही रहीं और न ही राजनयिक रूप से उचित थीं।
नेपाल में अब सबकी निगाहें नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के स्थायी समिति की 10 जुलाई को होनेवाली बैठक पर टिक गईं हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक में ओली के राजनैतिक भविष्य का फैसला हो सकता है।