Russia-Ukraine War : युद्ध को रोकने में कितने कारगर होते हैं तरह-तरह के प्रतिबंध, क्या इससे घबराकर पीछे हटेगा रूस?

Russia-Ukraine War : इन प्रतिबंधों का उद्देश्य किसी देश को अलग-थलग करना होता है। इसमें अतंराष्ट्रीय व राजनीतिक हित साधे जाते हैं। कई देशों जैसे ईरान, नॉर्थ कोरिया आदि पर अमेरिका और उसके सहयोगी देश प्रतिबंध लगा चुका है.....

Update: 2022-02-28 13:41 GMT

युद्ध को रोकने में कितने कारगर होते हैं तरह-तरह के प्रतिबंध, क्या इससे घबराकर पीछे हटेगा रूस?

Russia-Ukraine War : यूक्रेन पर रूस के हमलों के बाद तरह-तरह के प्रतिबंध चर्चाओं में हैं। अमेरिका और पश्चिमी देश रूस के खिलाफ सख्त प्रतिबंधों का ऐलान कर रहे हैं। इन प्रतिबंधों (Sanctions) का मकसद रूस को युद्ध (Russia Ukraine War) से रोकना बताया जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि ये प्रतिबंध वास्तव में कारगर हैं या नहीं? इनका कितना असर होता है। क्या ये प्रतिबंध पुतिन को आगे बढ़ने से रोक पाएंगे। ये प्रतिबंध क्या रूस को किसी प्रकार नुकसान पहुंचा जा सकते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय (International Community) किसी भी तरह की आक्रामकता जवाब एक खास तरह से देता है। जवाब देने के लिए सबसे पहले प्रतिबंधों को पारित करना होता है। हालांकि ये प्रतिबंध आमतौर पर सैन्य प्रकृति के नहीं होते हैं। ये प्रतिबंध राजनयिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों पर लागू होते हैं। ये कुछ देश मिलाकर या संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन की ओर से लगाए जाते हैं। इन प्रतिबंधों को व्यापार को देखते हुए लगाया जाता है। 

इन प्रतिबंधों का उद्देश्य किसी देश को अलग-थलग करना होता है। इसमें अतंराष्ट्रीय व राजनीतिक हित साधे जाते हैं। कई देशों जैसे ईरान, नॉर्थ कोरिया आदि पर अमेरिका और उसके सहयोगी देश प्रतिबंध लगा चुका है। असल में जिस देश की अर्थव्यवस्था जितनी मजबूत होती है उसके द्वारा लगाए गए प्रतिबंध उतने ही सख्त होते हैं। जिन लोगों, देशों या प्रतिष्ठानों पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं उनपर इसका गंभीर असर पड़ सकता है।

हालांकि प्रतिबंधों के बारे ठोस रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता है। उदाहरण के लिए अमेरिका की ओर से लगाए प्रतिबंधों के बाद ईरान, वेनेजुएला और उत्तर कोरिया एक दूसरे के करीब आ गए हैं।

प्रतिबंध विशेषज्ञ डुरसुन पेकसेन के मुताबि आर्थिक प्रतिबंधों से करीब चासील फीसदी मामलों में लक्षित देशों के व्यवहार में अर्थपूर्ण बदलाव आता है। अमेरिकी सरकार की एक स्टडी कहती है कि यह पता करना असंभव है कि इन प्रतिबंधों से कितना प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए जिस देश या व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं वह कई कारण से अपने व्यवहार में बदलाव करने का फैसला कर सकता है। इनमें कुछ बदलावों का प्रतिबंधों से कोई लेना देना नहीं होता। 

यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर सामूहिक रूप से कई बार आर्थिक, राजनयिक प्रतिबंध लगाए गए हैं। पश्चिमी देश रूस के सेंट्रल बैंक के एसेट को फ्रीज करने जा रहे हैं। रूस का फॉरेन रिजर्व 630 अरब डॉलर है। अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस के दो सबसे बड़े बैंकों सबरबैंक और वीटीबी बैंक पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए हैं। उन्होंने रूस के एलीट क्लास पर ट्रैवल सेंक्शन लगाए हैं। उनकी संपत्तिया फ्रीज कर दी हैं। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी ऐसा ही किया है। 

 वहीं दूसरी ओर जर्मनी ने महत्वपूर्ण नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन परियोजना को रोकने का संकेत दिया है। पोलैंड, चेक गणराज्य, बुल्गारिया और एस्तोनिया ने रूसी विमानन कंपनियों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया है। हालांकि रूस दुनिया के उन पांच देशों में शामिल है जिसके पास वीटो पावर है। इसका इस्तेमाल किए जाने से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कोई प्रतिबंध लागू नहीं कर पाएगा। लेकिन यूरोपीय यूनियन ने रूस के 555 व्यक्तियों और 52 संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिए हैं।

हालांकि यह सवाल अभी बना हुआ है कि ये सारे प्रतिबंध कितने कारगर होंगे। रूस ने साल 2014 में यूक्रेन के दक्षिण में स्थिति क्रिमिया प्रायद्वीप पर कब्जा किया था तब अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए थे। हालांकि ये आज के मुकाबले काफी कमजोर प्रतिबंध थे। लेकिन ये प्रतिबंध अगर कारगर होते तो आज रूस यूक्रेन पर हमला न बोलता। छोटी अवधि में इन प्रतिबंधों का ज्यादा असर होने की संभावना नहीं है।

हालांकि प्रतिबंधों को लागू करने में कुछ चुनौतिया बनी हुई हैं। उदाहरण के लिए यूरोपीय यूनियन के द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का स्विटजरलैंड ने समर्थन नहीं किया है। हालांकि इसकी भी संभावना जताई जा रही है कि रूस अब क्रिप्टोकरेंसी जैसे वर्चुअल मुद्राओ का रूख कर प्रतिबंधों से बच सकता है। ऐसा में प्रतिबंध कितने असर करेंगे कहना जल्दबाजी होगी।

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