चीन ताइवान मामले में श्रीलंका तो बोला, लेकिन खामोश रहा भारत, आखिर क्या है वजह

ज्यादातर देशों की तरफ से इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई. अगर दी भी गई है तो लोगों शांति बनाने की अपील की है. बात अगर भारत की करें तो उसने भी दोनों देशों की जंग में एक भी लफ्ज़ नहीं बोला.

Update: 2022-08-05 13:48 GMT

China Taiwan Row: अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने पिछले दिनों ताइवान का दौरा किया. जिससे चीन बुरी तरह नाराज हो गया है. चीन कई तरह की धमकियां भी दीं लेकिन अमेरिका भी नहीं माना वो ताइवान की हिमायत उतनी ही जोर से बोला जितनी ताकत से चीन बोल रहा था. नैंसी पेलोसी की यात्रा खत्म होने के बाद चीन ने ताइवान के नज़दीक सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया इतना ही नहीं चीन ने डॉन्गफेंग बैलेस्टिक मिसाइल दागे.

पिछले दिनों चीन Vs अमेरिका अमेरिका की स्थिति बनी हुई थी. पेलोसी के दौरे के बाद चीन की तरफ से अमेरिका को पैगाम देते हुए बड़ा बयान दिया थ. चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, "जो लोग आग से खेल रहे हैं, वे जल जाएंगे." इसके अलावा चीन के इस पैगाम को इस नजरिये से भी देखा जा सकता है कि कोई दूसरा देश अगर ताइवान की हिमायत में कोई बयान देता है तो चीन का उसके लिए भी यही पैगाम होगा.

हालांकि ज्यादातर देशों की तरफ से इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई. अगर दी भी गई है तो लोगों शांति बनाने की अपील की है. बात अगर भारत की करें तो उसने भी दोनों देशों की जंग में एक भी लफ्ज़ नहीं बोला. हालांकि हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका ने चीन की हिमायत की थी. लेकिन भारत उससे बड़े देश होने के बावजूद इस बड़े मामले में कुछ क्यों नहीं बोला? आखिर इसकी क्या वजह है?

एक खबर के मुताबिक भारतीय अफसरों और एक्सपर्ट्स के मुताबिक हिंदुस्तान इस सिलसिले में बयान जारी करने बच रहा है. क्योंकि वो अमेरिका के खिलाफ बोलना नहीं चाहता. भारत की अमेरिका के साथ अच्छी दोस्ती है. वहीं चीन के चीन के बीच ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर किसी भी विवाद से बचना चाहता है. क्योंकि भारत और चीन के बीच पहले कई मसलों पर बहस चल रही है. जो उलझे हुए हैं. इसके अलावा भारत ने ''वन चाइना'' नीति का जिक्र करना छोड़ दिया है. हालांकि हिंदुस्तान 1949 से वन चाइना पॉलिसी को मानता आ रहा है.

क्या है वन चाइना पॉलिसी?

'वन चाइना पॉलिसी' चीन की उस राजनयिक स्थिति को मान्‍यता देती है जिसके तहत सिर्फ एक चीनी सरकार का शासन मान्‍य है. इस पॉलिसी के तहत ही अमेरिका ने ताइवान नहीं बल्कि चीन के साथ अपने रिश्तों को रस्मी मंजूदी दी हुई है. वन चाइना पॉलिसी के मुताबिक़ ताइवान अलग देश नहीं, बल्कि उसी का हिस्सा है.

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