क्या लालू मैदान में होते तो कुछ और बात होती, बिहार चुनावों के लिए कितना तैयार है विपक्ष?
राज्य के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम है कि विपक्ष कितना तैयार है और क्या यह उस सत्त्ताधारी गठबंधन को टक्कर दे पाएगा, जिसके चेहरा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, राजनीतिक हलकों में यह चर्चा भी आम है कि अगर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद खुद मैदान में होते तो बात कुछ और होती....
जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार में विधानसभा चुनावों की डुगडुगी बज गई है। विधानसभा चुनावों की तारीखों का आज चुनाव आयोग ने एलान कर दिया है। बिहार में तीन चरण में चुनाव होंगे, जबकि पिछली बार पांच चरणों में चुनाव हुए थे। कोरोना काल शुरू होने के बाद से यह देश में पहले विधानसभा चुनाव होंगे। अब जबकि तारीखों की घोषणा कर दी गई है, उसके बाद यह सवाल मौजूं हो जाता है कि इन चुनावों के लिए विपक्ष कितना तैयार है।
राज्य के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम है कि विपक्ष कितना तैयार है और क्या यह उस सत्त्ताधारी गठबंधन को टक्कर दे पाएगा, जिसके चेहरा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा भी आम है कि अगर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद खुद मैदान में होते तो बात कुछ और होती।
चूंकि विपक्ष अभी बिखरा हुआ दिख रहा है। विपक्ष के बिखराव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि असद्दुदीन ओवैसी की एआईएमआईएम, पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी, कभी लालू प्रसाद के निकट सहयोगी रहे रंजन यादव की पार्टी, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा की पार्टी सहित लगभग दर्जन भर पार्टियां भी चुनाव मैदान में उतरने वाली हैं। कहा जा रहा है कि ये सब दल भी विपक्षी वोटबैंक में सेंधमारी कर सकते हैं।
बिहार में महागठबंधन मुख्य विपक्षी गठबंधन है और राष्ट्रीय जनता दल मुख्य विपक्षी पार्टी। महागठबंधन में कांग्रेस, राजद, उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली रालोसपा और मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी है, हालांकि ऐसे संकेत लगातार मिल रहे हैं कि रालोसपा महागठबंधन से अलग रास्ते की तलाश कर रही है। वैसे वामदलों ने महागठबंधन का हिस्सा बनने की घोषणा कर इसे मजबूती दी है।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की हम पार्टी भी पहले महागठबंधन का ही हिस्सा थी, पर कुछ दिन पूर्व मांझी महागठबंधन छोड़कर एनडीए में जा चुके हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि अभी तीन दलों वाला महागठबंधन ही सत्त्ताधारी गठबंधन के मुकाबले में मुख्य रूप से मैदान में है।
अब बात करें अगर विपक्ष के तैयारी की, तो महागठबंधन के घटक दलों के बीच अभी भी सीट शेयरिंग का पेंच फंसा हुआ है। हालांकि महागठबंधन में राजद सबसे बड़ी पार्टी है, यह सभी दल मानते हैं। खासकर कांग्रेस की अबतक की गतिविधियों से यह स्पष्ट हो गया है कि वह बिहार में राजद के सहयोगी की भूमिका में है और अपनी यह भूमिका वह निभा भी रही है। नेता प्रतिपक्ष राजद के तेजस्वी यादव लगातार राज्य सरकार की कमियों को उजागर कर रहे हैं। वे बेरोजगारी, कोरोना मैनेजमेंट, किसानों और प्रवासी मजदूरों के मुद्दों को लेकर खासे आक्रामक हैं और सरकार से सवाल पूछ रहे हैं।
हालांकि कोरोना काल में हो रहे चुनाव को लेकर जनसंपर्क और वर्चुअल रैली के मामले में विपक्ष फिलहाल थोड़ा पीछे दिख रहा है। सत्त्ताधारी गठबंधन के बीजेपी और जदयू का वर्चुअल सेटअप बन चुका है, जबकि राजद का ऐसा कोई सेटअप अभी सामने नहीं आया है। हां, कांग्रेस ने जरूर कुछ वर्चुअल रैलियां की हैं। राजद अभी फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक्टिव है।
बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं और 29 नवंबर से पहले नई विधानसभा का गठन कर लेना है। आयोग ने मतदान की तिथि 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर घोषित कर दी है, जबकि मतगणना 10 नवंबर को होगी।