100 करोड़ को कोरोना टीकाकरण का महिमामंडन, अंधभक्ति में डूबे देश का जश्न
सरकारें बड़ी आसानी से इस वर्ष अप्रेल से जून अंत तक के कोविड 19 के दूसरी लहर का कहर भूल गयी, मीडिया भी भूल गया, न्यायालय भी भूल गए और वे सभी अंधभक्त भी भूल गए, जिनके कोई अपने सरकारी लापरवाही और उपेक्षा के कारण उस दौर में मार दिए गए...
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
जनज्वार। हमारे देश में लोकतंत्र मर चुका है और अब जो कुछ देश में है उसे सरकारी जश्नतंत्र या उत्सवतंत्र कहना बिलकुल सटीक बैठता है, जनता के लिए तो देश अभावतंत्र है। सरकारें बड़ी आसानी से इस वर्ष अप्रेल से जून अंत तक के कोविड 19 के दूसरी लहर (second wave of Covid 19) का कहर भूल गयी, मीडिया भी भूल गया, न्यायालय भी भूल गए और वे सभी अंधभक्त भी भूल गए, जिनके कोई अपने सरकारी लापरवाही और उपेक्षा के कारण उस दौर में मार दिए गए।
इसके बाद से सरकार, विशेष तौर पर प्रधानमंत्री लगातार गंगा में बहती लाशों के ढेर पर, श्मशान से बाहर जलती चिताओं की राख के ढेर पर बैठकर जश्न मनाने में व्यस्त हैं। जिस तरह से पिछले वर्ष असहाय श्रमिकों (migrant workers) के अपने घर वापसी के भयानक मंजर को भुला दिया गया उसी तरह दूसरी लहर (devastating second wave of Covid 19), जिसमें जनता को मरने के लिए असहाय छोड़ दिया गया था – उसे भी भुला दिया गया।
इसके बाद प्रधानमंत्री के आह्वान पर टीकाकरण उत्सव एक ऐसे दौर में शुरू किया गया, जब पूरे देश में टीके की भारी किल्लत थी और अनेक टीकाकरण केंद्र बंद पड़े थे। फिर प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन (birthday of PM Modi) पर टीकाकरण का रिकॉर्ड (record of vaccination) बनाकर और उत्सव मनाकर पूरी दुनिया को बताया गया कि जनता मरती है तो मरती रहे पर पूरी क्षमता से टीकाकरण केवल प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर ही लगाया जाएगा।
अब, 130 करोड़ जनता के देश में 100 करोड़ टीके की डोज पर जश्न मनाया जा रहा है, अपनी जनता को भ्रमित करने की आदत से मजबूर सरकारी अमला इसे दुनिया में पहला बताने पर तुला है, जबकि पड़ोसी देश चीन ने यह उपलब्धि जून के महीने में ही हासिल कर ली थी (China has achieved feat of administering 100 crore vaccine doses in June 2021), सड़कों पर धन्यवाद मोदी जी के पोस्टर बिखरे पड़े हैं।
यदि आकलन करें, तो स्पष्ट होगा कि कोविड 19 से सम्बंधित जश्न में डूबे देश में कोविड 19 के मामले के सन्दर्भ में हम केवल अमेरिका से पीछे हैं और सरकार द्वारा मौत के वास्तविक आंकड़े छुपाने के बाद भी हम केवल अमेरिका और ब्राज़ील से पीछे हैं। जब 100 करोड़ टीकों का जश्न मनाया जा रहा है, तब देश की केवल 30 प्रतिशत आबादी को टीके की दोनों डोज लगाई गयी है और महज 70 करोड़ आबादी को वैक्सीन की पहली डोज लगाई गयी है। 45 वर्ष से ऊपर के 7 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्हें वैक्सीन की एक भी डोज़ नहीं मिली है।
100 करोड़ का आंकड़ा छूने में तमाम सरकारी जश्न और विश्व स्तर पर अपनी शाबाशी के बाद भी कुल 278 दिन लगे – 16 जनवरी से शुरू कर 21 अक्टूबर तक (100 crore vaccines in 278 days)। सरकार बता रही है कि इस वर्ष के अंत तक देश की पूरी वयस्क आबादी, जो लगभग एक अरब है, को टीका लगा दिया जाएगा। अब तक वैक्सीन की औसतन 36 लाख डोज़ प्रतिदिन लगाई गयी है, और यदि इस वर्ष के अंत तक सबको वैक्सीन लगाई है तो 1.2 करोड़ टीके रोज लगाने पड़ेंगे, पर सरकार इस मामले में गंभीर नहीं दिख रही है। वैक्सीन के मामले में महिलायें पिछड़ती जा रही हैं – अब तक पुरुषों के मुकाबले वैक्सीन लेने वाली महिलाओं की संख्या 6 प्रतिशत कम रही है।
कोविड 19 से मुकाबले के सन्दर्भ में प्रधानमंत्री मोदी की तुलना अमेरिकी भूतपूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और ब्राज़ील के राष्ट्रपति जेर बोल्सेनारो से आसानी से की जा सकती है। डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) तो चुनाव हार गए, पर बोल्सेनारो (Jair Bolsenaro) अभी सत्ता में हैं। ब्राज़ील को कभी भारत जैसे सक्रिय लोकतंत्र (active Democracy) में कभी शामिल नहीं किया जाता है, पर आज के दौर में भारत के मरे लोकतंत्र की तुलना में हरेक देश में जीवंत लोकतंत्र है।
हमारे देश में किसी संसदीय समिति ने कोविड 19 से मुकाबले पर सरकारी लचर रवैय्ये पर कोई रिपोर्ट नहीं तैयार की, पर ब्राज़ील में ऐसा किया गया।। ब्राज़ील की 11 सदस्यीय कमेटी (Senate Committee) ने इस सम्बन्ध में 1200 से अधिक पृष्ठों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। इसमें कोविड 19 में सरकारी लापरवाही के लिए सीधे तौर पर राष्ट्रपति जेर बोल्सेनारो को दोषी बताया गया है और उन्हें मानवता के विरुद्ध अपराध का दोषी बताया गया है। पहले इस रिपोर्ट में बोल्सेनारो को नरसंहार और ह्त्या का दोषी भी बताया गया था, पर बाद में रिपोर्ट से नरसंहार और हत्या (Genocide and murder) जैसे शब्दों को हटा दिया गया और अब मानवता के विरुद्ध अपराध (Crime against humanity) को शामिल किया गया है।
इस रिपोर्ट को अटार्नी जनरल के सामने प्रस्तुत किया जाएगा, पर कमेटी जानती है कि इसपर कोई कार्यवाही नहीं की जायेगी, क्योंकि भारत की तरह ही अटार्नी जनरल न्याय व्यवस्था से दूर राष्ट्रपति से अपनी नजदीकी निभाते हैं। कमेटी ने कहा है कि यदि अटार्नी जनरल ने कोई कार्यवाही नहीं ही तो वे ब्राज़ील की सर्वोच्च अदालत जायेंगे, और यदि वहां भी कुछ नहीं किया गया तो अंत में इन्टरनॅशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस का दरवाजा खटखटाएंगे।
सवाल यह है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कब इतना जीवंत होगा जब संसद सदस्य प्रधानमंत्री या फिर सम्बंधित मंत्री के कारनामों पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार हर न्यायालय पहुंचेंगे। ब्राज़ील में कम से कम तीन स्वास्थ्य मंत्री कोविड 19 के सन्दर्भ में बोल्सेनारो के अवैज्ञानिक रवैये से नाराज होकर मंत्री पद को लात मार चुके हैं और दूसरी तरह हमारे देश में स्वास्थ्य मंत्री कोविड 19 को छोड़कर बस प्रधानमंत्री के दुष्प्रचार और लाशों पर मनाये जाने वाले उत्सवों में शामिल होते रहे।