खास रिपोर्ट : मूर्तिकारों पर गहराया आजीविका का संकट, सरकार से कहा हमें भी दो सब्सिडी, वरना हो जायेंगे खत्म

मूर्तिकार सुनील का कहना है कि जीवन यापन का एकमात्र साधन उनका व्यवसाय था लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण काफी नुकसान हुआ है जिससे सरकारी बैंक से कर्ज ले लिए....

Update: 2020-08-28 08:37 GMT

मूर्तिकार संदीप गजकोष, कोरोना में चौपट हुआ मूर्तियों का धंधा

हिमांशु सिंह की रिपोर्ट

नागपुर। कोरोना महामारी से संपूर्ण विश्व जूझ रहा है। इस महामारी के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर हुआ है। कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन किया गया है। करोड़ों लोग बेरोजगार हो चुके हैं, जिससे लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।

कोरोना के कारण मूर्तिकारों की आजीविका पर भी संकट गहराया है। मूर्तिकारों को जीवन यापन करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

मूर्तिकार का काम करने वाले मुंबई के कुर्ला निवासी संदीप गजाकोष बताते हैं, कोरोना के कारण उनके व्यवसाय में काफी नुकसान हुआ है, जिससे वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। पिछले वर्ष 2019 में गणेशोत्सव में 20 लाख रुपए की इनकम हुई थी, लेकिन इस वर्ष काफी नुकसान हुआ है। जबकि इस साल 6 से 7 लाख रुपए कर्ज लेकर संदीप ने अपना व्यवसाय शुरू किया था। आमदनी तो दूर जो लागत लगायी थी वह भी नहीं निकली और वह कर्ज के दलदल में फंस गया है।

संदीप कहते हैं, मूर्तियां बनाने का काम बहुत मेहनत का होता है। हर साल गणेशोत्सव के 2-3 महीने बाद फिर से हम लोग अगली तैयारी शुरू कर देते हैं। हमने मूर्तियों को तैयार करके रखने के लिए गोडाउन किराए पर लिया है, जिसका हर माह 30-40 हजार रुपए किराया दे रहे हैं।

वहीं एक अन्य मूर्तिकार संतोष कहते हैं, वे हर वर्ष 500 छोटी बड़ी गणेश जी की मूर्तियां बनाते हैं। इस वर्ष केवल 50-60 मूर्तियां बिकी हैं। पहले उनकी बनाई गई मूर्तियां मॉरीशस, कनाडा, जर्मनी, अमेरिका तक जाती थीं, मगर इस साल पूरा धंधा ठप्प पड़ गया है। मूर्तियों को बनाने के लिए 8 से 10 लोगों को रोजगार दिया था, अब उनका वेतन देने के लिए भी कर्ज लेना पड़ा है।

जयपुर के चांदपोल बाजार निवासी मूर्तिकार सुनील शर्मा : कोरोना ने व्यवसाय का किया बुरा हाल, अब फंसे हैं कर्ज के दलदल में

 बातचीत में वे आगे कहते हैं, सरकार की ओर से 4 फीट की मूर्तियों का नियम लागू करने से पहले तैयार की गई मूर्तियां इस साल बिल्कुल नहीं बिक पायी हैं। इसका हमें बहुत नुकसान उठाना पड़ा है। आर्थिक स्थिति डगमगा गयी है। संतोष सरकार की ओर से मूर्तिकारों को सब्सिडी देकर थोड़ी सहूलियत देने की मांग उठाते हैं, ताकि उनका धंधे को बहुत ज्यादा नुकसान न हो।

जयपुर के चांदपोल बाजार निवासी मूर्तिकार सुनील शर्मा का अलग ही दुख है। सुनील गणेश और दुर्गा की मूर्ति बनाते हैं। कहते हैं पिछले वर्ष इस सीजन में उन्होंने 15 लाख का व्यवसाय किया था, मगर इस साल उन्हें लॉकडाउन के कारण 10 लाख का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है।

सुनील बातचीत में आगे कहते हैं, अंदाजा नहीं था कि हमारा धंधा एकदम चौपट हो जायेगा। इस बार धंधे को आगे बढ़ाने के लिए बैंक से आठ लाख का कर्ज लिया था, मगर कोरोना ने हमारी कमर तोड़कर रख दी है। आखिर कहां से चुकायेंगे हम बैंक का भारी—भरकम कर्ज। पहले ही इतना बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है, वहीं मूर्ति बनाने वाले 6 मजदूरों का वेतन और 10 माह से किराए पर लिए गोडाउन का भुगतान आखिर इन स्थितियों में कैसे करेंगे। 

मूर्तिकार प्रेमलाल द्वारा गणेशोत्सव के लिए तैयार की गयी थीं मूर्तियां, मगर नहीं मिला कोई खरीददार

मूर्तिकार सुनील दुखी होकर कहते हैं, जीवन यापन का एकमात्र साधन उनका व्यवसाय था, मगर इस वर्ष कोरोना के कारण हद से ज्यादा नुकसान हुआ है। सरकार अगर व्यवसाय के लिये बैंक से लिये गये कर्ज ही माफ कर दे तो हमारी बहुत मदद हो जायेगी।

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के निवासी मूर्तिकार प्रेमलाल बताते हैं, पिछले वर्ष 25-30 लाख की इनकम हुई थी, लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण काफी नुकसान हुआ है। इस साल गणेशोत्सव के लिए पहले से तैयार की गई बड़ी मूर्तियां तो बिल्कुल भी नहीं बिक पाई हैं, जिससे व्यवसाय में बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। प्रेमलाल की 3 पीढ़ियां मूर्तियां बनाने का काम करते आई है। वे हर वर्ष 100 गणेश और 100 दुर्गा की मूर्ति तैयार करते हैं, लेकिन इस वर्ष पहले से तैयार की गई मूर्तियों में लगी लागत तक नहीं निकल पायी है।

प्रेमलाल आगे कहते हैं, हमने इस साल गणेश जी के साथ दुर्गा जी की भी मूर्तियों को पहले से ही तैयार कर लिया है, जिससे दोहरा नुकसान झेलना पड़ रहा है।

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उन्होंने कोरोना के कारण हुए नुकसान की अपनी व्यथा सांसद ताम्रध्वज साहू को भी बतायी, अपनी समस्याओं से अवगत कराया। सांसद महोदय ने उन्हें मदद करने का आश्वासन भी दिया था, लेकिन कोई मदद नहीं मिल पायी। साथ ही उन्होंने कई मूर्तिकारों के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी मुलाकात करने का प्रयास किया, मगर उनसे मुलाकात नहीं हो पायी।

प्रेमलाल कहते हैं, कर्ज लेकर काम चालू किया था, मगर अब कर्ज चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं। वो मांग करते हैं कि जीवनयापन के लिए सरकार की ओर से उन्हें सब्सिडी दी जाए, जिससे उनकी समस्या थोड़ी कम हो जाएगी। वरना भूखों मरने के अलावा आत्महत्या की भी नौबत आ जायेगी। 

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