सर्दी में होने वाली बीमारियां और बारिश में होने वाला इंफेक्शन शरीर के लिए चुनौतीपूर्ण, जानिये कैसे करें बचाव
Viral Fever : सर्दियों की आहट के साथ ही वायरल फीवर भी दस्तक देता है। इसमें अक्सर पूरे शरीर में दर्द होता है। इस दौरान मांसपेशियों में ज्यादातर दर्द होता है। बुखार में ठंड भी लग सकती है, जिससे मरीजों को खांसी और नाक बहने जैसी शिकायत हो सकती है....
जनस्वास्थ्य चिकित्सक डॉ. एके अरुण की टिप्पणी
सर्दियों में हल्की-फुल्की बारिश आम बात है, जिसे विंटर रेन (winter rainfall) कहते हैं। इसका असर तापमान से लेकर फसलों तक पर होता है। सर्दी में होने वाली बीमारियां हो या बारिश में होने वाला इंफेक्शन शरीर के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। अचानक तेजी से बदलते मौसम का असर लोगों की शारीरिक सेहत के साथ साथ मानसिक सेहत पर भी पड़ता है।
इस दौरान हाइपरटेंशन, ब्लड प्रेशर, मूड स्विंग के अलावा सांस से संबंधित समस्याएं होने लगती हैं। सर्दियों के मौसम के दौरान, भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में पश्चिमी विक्षोभ से वर्षा होती है। भारत के उत्तर-पश्चिमी मैदानी भाग में भूमध्य सागर से उठने वाली पश्चिमी विक्षोभ के आक्रमण के कारण सर्दियों में वर्षा का अनुभव होता है, जो कि छोटे जेटस्ट्रीम द्वारा संचालित होता है। यों तो सर्दियों की बारिश रबी फसलों के लिए फायदेमंद है, लेकिन सर्दियों में अत्यधिक बारिश से फसल को नुकसान, बाढ़, भूस्खलन और हिमस्खलन भी हो सकता है। बहरहाल हम यहाँ बारिश में स्वास्थ्य की ही चर्चा करेंगे।
जब ठंड होती है, तो आपके शरीर को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे एंडोर्फिन का उत्पादन बढ़ जाता है। आपके शरीर में अधिक एंडोर्फिन आपको मानसिक रूप से प्रसन्न अवस्था प्रदान करते हैं और साथ ही तनाव से भी राहत दिलाते हैं। ठंड आपको अधिक ऊर्जा प्राप्त करने और आपकी एकाग्रता को बढ़ाने में मदद कर सकती है।
सर्दी के मौसम में दूध, घी, अंडे, जड़ वाली सब्जियां, नट्स और बीज जैसी चीजों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। इससे शरीर को सुरक्षा मिलती है और इन्सुलेट फैट की लेयर बनाने में मदद मिलती है। दूध में जायफल डालकर पिएं। सर्दी के मौसम में चैन की नींद चाहते हैं तो सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध(यदि दूध पीते हों) में एक चुटकी जायफल मिलाकर इस्तेमाल करें।
आमतौर पर हर बदलते मौसम में वायरल बुखार होना आम बात है। सर्दियों की आहट के साथ ही वायरल फीवर भी दस्तक देता है। इसमें अक्सर पूरे शरीर में दर्द होता है। इस दौरान मांसपेशियों में ज्यादातर दर्द होता है। बुखार में ठंड भी लग सकती है, जिससे मरीजों को खांसी और नाक बहने जैसी शिकायत हो सकती है।
वायरल बुखार में मरीज अधिक आराम करें और खूब पानी या जूस पिएं। हल्का बुखार 38.6 डिग्री सेल्सियस या उससे कम होता है। अपने आप को एक हल्के कंबल से ढकें और एक भारी कंबल या कपड़ों से बचें, जो आपके शरीर का तापमान बढ़ा सकता है। अपने शरीर को गर्म पानी से पोंछने या ठंडे पानी से नहाने से बुखार कम करने में मदद मिल सकती है।
बार-बार बुखार आना पीरियोडिक फीवर सिंड्रोम की के कारण होता है, जिसकी वजह से भी शरीर का टेंपरेचर अपडाउन हो सकता है। इसके कई और भी कारण हो सकते हैं। बार-बार बुखार आने की स्थिति में आप इसका इलाज सामान्य बुखार की तरह ही करें।
आमतौर पर कई बीमारियों का लक्षण बुखार ही है, इसलिए इसका ध्यान रखना आवश्यक है। बुखार डेंगू, मलेरिया, किसी भी अंग का इन्फेक्शन, फेफड़ों में इन्फेक्शन, मूत्रमार्ग का इंफेक्शन्स, टॉन्सिलाईटिस/साईनसाईटिस, गैस्ट्रो एन्ट्राईटिस, मस्तिष्क में इन्फेक्शन- मैनेंजाईटिस, पुरानी बीमारियां,आरथ्राईटिस, सिस्टमैटिक ल्युपस एरिथेमेटस, कैंसर, लू लगने की वजह से भी बुखार आ सकता है, इसलिए उसका खास ख्याल रखना चाहिए।