आजमगढ़ में मुस्लिम नहीं लगवा रहे वैक्सीन, दैनिक जागरण की ख़बर निकली सौ प्रतिशत झूठी

अखबार ने ''आजमगढ़ जिले में अल्पसंख्यक समुदाय ने पाेलियो की तरह कोरोना टीकाकरण का किया विरोध'' शीर्षक के साथ खबर प्रकाशित की है। सोशल मीडिया में अखबार के रूख पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.....

Update: 2021-06-11 10:06 GMT

(अखबार ने ''आजमगढ़ जिले में अल्पसंख्यक समुदाय ने पाेलियो की तरह कोरोना टीकाकरण का किया विरोध'' शीर्षक के साथ खबर प्रकाशित की है)

जनज्वार डेस्क। देश के जाने-माने समाचार पत्र दैनिक जागरण ने एक बार अपनी खबर के जरिए देश के अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया है। दरअसल अखबार ने हाल ही में आजमगढ़ की एक खबर प्रकाशित की है जिसको इस तरह से पेश किया गया है कि मानो अल्पसंख्यक समुदाय वैक्सीनेशन के खिलाफ हो। जबकि को-वैक्सीन को लेकर उन लोगों का जवाब वाजिब है कि खाड़ी देशों में को-वैक्सीन को मान्यता नहीं दी जा रही है। जहां अधिकांश लोग रोजगार के लिए जाते हैं तो कोवैक्सीन लगवाना बेमतलब है।

अखबार ने ''आजमगढ़ जिले में अल्पसंख्यक समुदाय ने पाेलियो की तरह कोरोना टीकाकरण का किया विरोध'' शीर्षक के साथ खबर प्रकाशित की है। सोशल मीडिया में अखबार के रूख पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा- ''पल्स पोलियो की तरह से कोरोना से बचाव के लिए लगने वाले टीका का भी विरोध शुरू हो गया है। खासतौर से अल्पसंख्यक समाज के लोगों ने यह कहकर फूलपुर के चमावां गांव में विरोध कर दिया कि को-वैक्सीन की मान्यता खाड़ी के देशों में न होने के कारण लगवाना हमारे लिए बेमतलब है।''

अखबार के मुताबिक, ''उन्होंने कोविशील्ड लगाने की मांग की। इस आशय की जानकारी होने के बाद क्षेत्र में प्रशासनिक अधिकारियों में अफरातफरी मच गई। आनन फानन इस घटना की जानकारी से उच्‍च अधिकारियों को अवगत कराया गया।''

रिपोर्ट आगे बताती है कि ''क्षेत्र के चमावां गांव के तमाम लोग खाड़ी देशों में रहते हैं। घर से निकलने पर एयरपोर्ट से वापस लौटना पड़ रहा है, क्योंकि वहां को-वैक्सीन की मान्यता नहीं है। वहां कोविशील्ड लगवाने का प्रमाण पत्र मांगा जाता है। लाख प्रयास के बाद भी टीकाकरण टीम को सफलता नहीं मिल सकी। इश्तेयाक अहमद, रियाज, आफताब, हसीब, आसिफ, रमजान, फैजान आदि ने बताया कि जिस वैक्सीन की मान्यता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं उसे लगवाने से क्या फायदा। ग्रामीणों की मांग पर चमावां में कोविशील्ड पहुंची, तब 61 लोगों का टीकाकरण हुआ।''

रिपोर्ट के मुताबिक ''इसी तरह से ग्राम संग्रामपुर में भी प्राथमिक विद्यालय प्रांगण में चिकित्साधीक्षक राम आशीष यादव के नेतृत्व स्वास्थ शिक्षा अधिकारी मुन्नीलाल, सावित्री, शाहनाज बानो आदि पहुंचे, लेकिन वहां भी ग्रामीणों ने वही मांग उठाई। यहां 12 लोगों का ही टीकाकरण हो सका। क्षेत्र में कोरोना टीकाकरण के लिए कोवैक्‍सीन और कोविशील्‍ड को लेकर ग्रामीणों का यह विरोध अब प्रशासन के लिए नया सिरदर्द बन गया है। इस बाबत अधिकारियों ने बताया कि इस प्रकरण से उच्‍च स्‍तर के अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। उम्‍मीद है कि जल्‍द ही इस समस्‍या का हल निकल आएगा और अधिकारी मिल बैठकर ग्रामीणों को टीकाकरण के लिए तैयार कर लेंगे।''

रिहाई मंच के राष्ट्रीय महासचिव राजीव यादव ने इसको लेकर दैनिक जागरण पर निशाना साधा है। राजीव यादव ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा- ''किसी समुदाय की छवि कैसे बिगड़ी जाती है अगर नहीं जानते तो इस खबर को पढ़िए। इस खबर का शीर्षक पढ़ते ही अल्पसंख्यक समुदाय, जिसका पर्याय ही हिंदी पट्टी में मुस्लिम माना जाता है, की एक नकारात्मक छवि बन जाती है।''

उन्होंने आगे लिखा- ''अगर इंट्रो पढ़ें तो कलमकार रूपी पत्रकार कहते हैं कि पल्स पोलियो की तरह से कोरोना बचाव के लिए लगने वाले टीके का विरोध शुरू हो गया। इस बात की सच्चाई जानने के लिए आपको आज़मगढ़ के उस गांव नहीं इसी खबर में थोड़ा और भीतर जाना होगा।"

''जिसमें कहा गया है कि को-वैक्सीन की मान्यता खाड़ी देशों में न होने के कारण यह विरोध था। यानी जो सवाल खाड़ी देश या को-वैक्सीन पर उठना चाहिए था उसको पत्रकार ने अल्पसंख्यक समुदाय को निशाने पर लेकर लिख डाला।''

राजीव यादव कहते हैं, ''मान लीजिए कोवैक्सीन की मान्यता दिल्ली में नहीं है और मैं दिल्ली में रोजगार के लिए जाता हूँ तो कैसे मैं लगवाऊंगा। खैर इस तरह की पत्रकारिता की ही देन है कि आज मुस्लिम विरोध के नाम पर हम अपनी जान गवां कर साम्प्रदायिक राजनीति को पाल रहे हैं!''

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