Omicron Varriant : कैसे पता चलेगा आप कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट से हो गए हैं संक्रमित?

Omicron Varriant : क्सपर्ट्स के मुताबिक ओमिक्रॉन से होने वाला संक्रमण तेजी से फैलता है। इस वजह से बड़ी संख्या में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने की बात कही जा रही है.....

Update: 2022-01-06 13:04 GMT

(देश में तेजी से पैर पसार रहा ओमिक्रॉन वैरिएंट)

Omicron Varriant : दुनियाभर में कोरोना वायरस का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) तेजी से फैल रहा है। भारत में भी रोज इस नए वेरिएंट संक्रमितों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि ये नया वेरिएंट लोगों को उस तरह बीमार नहीं कर रहा जैसा पहली और दूसरी लहर के दौरान देखने को मिला। खासतौर दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) का असर देकने को मिला था। एक्सपर्ट्स के मुताबिक ओमिक्रॉन से होने वाला संक्रमण तेजी से फैलता है। इस वजह से बड़ी संख्या में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने की बात कही जा रही है।

ओमिक्रॉन के लक्षण

ओमिक्रॉन के संक्रमित ज्यादातर लोगों को लगता है कि उन्हें जैसे ठंड लग गई है। गले में खराश, नाक बहने की दिक्कत और सिरदर्द होता है। इससे पहले के वेरिएंट में लोगों के सूंघने की शक्ति या स्वाद चला जाता था या खांसी होती या तेज बुखार होता था। हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी भी इन्हीं तीन लक्षणों को कोरोना के निश्चित लक्षण माना जाता है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स (Health Experts) का मानना है कि ओमिक्रॉन वैसा गंभीर नहीं है और इसकी भी बहुत कम संभावना है कि संक्रमित व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ जाए। इसकी मुख्य वजह बताई जा रही है कि या तो लोगों को वैक्सीन लग चुकी है या फिर उन्हें पहले ही संक्रमण हो चुका है जिससे कि उनके शरीर में प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो जाती है।

ओमिक्रॉन वेरिएंट का पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में आया था। लेकिन अब यह दुनिया के अन्य देशों तक पहुंच चुका है। वहीं अफ्रीका में माना जा रहा है कि इस वेरिएंट का पीक गुजर चुका है। 

वहीं ब्रिटेन में पीक की स्थिति आ चुकी है। वहां के जानकारों का मानना है कि मुश्किल तब हो सकती है जब ओमिक्रॉन बड़ी संख्या में बूढ़े लोगों या ऐसे लोगों को संक्रमित करना शुरू करेगा जिनकी सेहत को किसी तरह का खतरा होता है।

ओमिक्रॉन का टेस्ट

ओमिक्रॉन वेरिएंट की पुष्टि भी आरटी-पीसीआर टेस्ट से हो सकती है जिसमें लार के नमूने को पैथोलॉजी लैब्स में भेजा जाता है। जहां पता चलता है कि ये संक्रमण डेल्टा है या ओमिक्रॉन है। अगर केवल ये पता करना हो कि कोरोना संक्रमण है या नहीं, इसके लिए रैपिड टेस्ट भी किया जा सकता है। लेकिन यदि टेस्ट का परिणाम पॉजिटिव रहता है तो भी इससे ये पता नहीं चल सकता कि ये ओमिक्रॉन है या डेल्टा या कुछ और।

अब अगर ओमिक्रॉन की पुष्टि के लिए टेस्ट किया गया तो उसका परिणाम कितनी जल्दी मिलता है ये उस इलाके में ओमिक्रॉन की जांच के लिए उपलब्ध लैब्स पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए ब्रिटेन जैसे देश में आधे से भी कम लैब्स के पास ये तकनीक है।     रत में भी हर इलाके में हर लैब में ये सुविधा उपलब्ध नहीं है। ओमिक्रॉन की पुष्टि के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग यानि जेनेटिक एनालिसिस जरूरी होती है जिसमें चार से पांच दिन लगते हैं।

आईसीएमआर के महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव के मुताबिक आईसीएमआर ने टाटा एमडी के साथ मिलकर एक टेस्टिंग किटा बनाई है जो चार घंटे में नतीजे दे देगा। इस टेस्टिंग किट को डीसीजीआई ने मंजूरी दे दी है।

कोराना वायरस लगातार म्यूटेंट करते हैं यानी वो लगातार अपने रूप बदलते रहते हैं यानी उनका वर्जन आता रहता है। इसी को वेरिएंट कहते हैं। इसमें कुछ वेरिएंट ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं या ऐसे हो सकते हैं जो बहुत तेजी से फैलते हैं। 

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