What is Arthritis : जानिये क्या है आर्थराइटिस और गठिया, क्या है इसका उपचार और कैसे करें बचाव ?
आर्थराइटिस व गठिया का स्थाई व टिकाऊ उपचार होमियोपैथी तथा नेचुरोपैथी में संभव है, पूरी तरह ठीक होने में समय लगता है, उपचार के लिए योग्य और अनुभवी चिकित्सक से परामर्श करें और धैर्य रखें...
What is Arthritis : आर्थराइटिस (Arthritis) जोड़ों की सूजन व दर्द से जुड़ा रोग है। जोड़ों में दर्द (Joint pain) आर्थराइटिस का मुख्य कारण होता है। गठिया(Gout) वह विकार होता है जिसमें यूरिक एसिड के ऊँचे स्तर (हाइपरयूरिसीमिया) के कारण यूरिक एसिड के क्रिस्टल जोड़ों में जमा हो जाते हैं। क्रिस्टल के जमा हो जाने से जोड़ों में और उनके आसपास दर्द भरी जलन (अटैक आना) उठती है। यूरिक एसिड क्रिस्टल का जमाव रुक-रुक कर गंभीर जोड़ या ऊतक का दर्द और सूजन पैदा कर सकता है।
अक्सर आर्थराइटिस और गठिया को एक ही रोग मान लिया जाता है, लेकिन सच तो यह है कि दोनों में अंतर है। जोड़ो में दर्द होना सामान्य आर्थराइटिस कहलाता है, यह जोड़ों में होने वाली एक सूजनकारी बीमारी है जिसमें जोड़ों में अत्यधिक दर्द एवं जोड़ों को घुमाने, मोड़ने और कोई भी गतिविधि करने में परेशानी होती है, जबकि गठिया सामान्य जोड़ों के दर्द से अलग एक स्वतंत्र रोग होता है जिसे गाउट कहा जाता है। गठिया में मुख्य रूप से शरीर की छोटी संधियाँ प्रभावित होती है और उसकी शुरूआत पैर के अंगूठे में दर्द और सूजन के साथ होती है। सामान्य जोड़ो के दर्द में बुखार होना आवश्यक नहीं है, परंतु गठिया (Gout) रोग की शुरूआत में दर्द और सूजन के साथ बुखार भी होता है।
आर्थराइटिस व गठिया क्यों होता है?
अर्थराइटिस होने के पीछे जीवनशैली और आहार की बहुत बड़ी भूमिका होती है। गठिया का मुख्य कारण अनुचित आहार होता है। जैसे अधिक मात्रा में मांस, मछली, अत्यधिक मसालेदार भोजन शराब और फ्रूक्टोज युक्त पेय पदार्थों का सेवन। इसके अलावा हमारे शरीर में आई चयापचय (Metabolism) में खराबी के और मोटापा के कारण भी अर्थराइटिस होता है।
कई बार अन्य रोगों की वजह से भी अर्थराइटिस होता है जैसे-
-गुर्दे से संबंधित बीमारी
-मेटाबॉलिक सिंड्रोम(Metabolic syndrome)
-पॉलिसिथेमिया(Polycythemia)
-मूत्रवर्धक दवाइयों के सेवन से जैसे-हाइड्रोक्लोरथियाडाइड (Hydrochlorthiadide) के सेवन से भी अर्थराइटिस रोग हो सकता है।यह रोग रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाने के कारण होता है।यूरिक एसिड की बढ़ी हुई मात्रा क्रिस्टल के रूप में जोड़ों, कंडरा (Tendons) तथा आस-पास के ऊतकों (टिशु) में जमा हो जाता है। यह रोग पाचन क्रिया से संबंधित होता है। इसका संबंध खून में यूरिक एसिड का अत्यधिक उच्च मात्रा में पाए जाने से होता है। इसके कारण जोड़ों (मुख्यत पैर का अंगूठा) में तथा कभी गुर्दे में भी भारी मात्रा में क्रिस्टल्स जमा हो जाते हैं।
आर्थराइटिस से बचने के लिए सबसे पहले जीवनशैली और आहार में बदलाव लाने की ज़रूरत होती है।
आहार - यूरिक एसिड बढ़ने पर रोगी को उचित मात्रा में पानी पीना चाहिए। पानी यूरिक ऐसिड को पतला कर किडनी को उत्तेजित करता है जिससे शरीर से यूरिक ऐसिड मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाता है।
भोजन बनाने के लिए जैतून के तेल का इस्तेमाल करें। यह शरीर के लिए लाभदायक होता है तथा इसमें विटामिन-ई की भरपूर मात्रा होती है जो यूरिक एसिड के स्तर को कम करता है।
यूरिक एसिड मूत्र की खराबी से उत्पन्न होता है और यह प्राय: गुर्दे या किडनी से बाहर आता है। जब कभी गुर्दे से मूत्र कम आना अथवा मूत्र अधिक बनने से सामान्य स्तर भंग होता है तो यूरिक एसिड के क्रिस्टल भिन्न-भिन्न जोड़ों की जगह पर जमा हो जाते हैं। हमारी रक्षात्मक कोशिकाएँ इन क्रिस्टल को ग्रहण कर लेती है जिसके कारण जोड़ों वाली जगहों पर दर्द देने वाले पदार्थ निकलने लगते हैं।
प्यूरिन के मेटाबॉलिज्म में आई खराबी गठिया का मूल कारण होता है। यूरिक एसिड, प्यूरिन के चयापचय का उत्पाद के रूप में गठिया रोग का होना होता है। 90 प्रतिशत रोगियों में गुर्दे यूरिक एसिड का पर्याप्त उत्सर्जन नहीं कर पाते हैं। 10 प्रतिशत से कम रोगियों में ज्यादा यूरिक एसिड बनता है। यदि यूरिक एसिड 7,8 या 9 mg/dl हो तो गाउट होने का खतरा 0.5 प्रतिशत और 9 mg/dl से अधिक हो तो जोखिम 4.5 प्रतिशत रहता है। यूरिक एसिड का सामान्य स्तर पुरुष में 7 और स्त्री में 6 mg/dl होता है।
क्या है इसका उपचार
आर्थराइटिस व गठिया का स्थाई व टिकाऊ उपचार होमियोपैथी तथा नेचुरोपैथी में संभव है। पूरी तरह ठीक होने में समय लगता है। उपचार के लिए योग्य और अनुभवी चिकित्सक से परामर्श करें और धैर्य रखें! (हील इनिशिएटिव)