ये है दुनिया की सबसे महंगी दवा जिसकी कीमत है 28.51 करोड़ रुपये, जानें इसकी खासियत

अमेरिका में विकसित कीमती दवा हीमोफिलिया बी (Hemophilia B) के इलाज में इस्तेमाल होती है। हीमोफिलिया बी एक जेनेटिक बीमारी है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में इंसान का खून कम जमता है।

Update: 2022-11-25 11:40 GMT

ये है दुनिया की सबसे महंगी दवा जिसकी कीमत है 28.51 करोड़ रुपये, ये है इसकी खासियत

वॉशिंगटन। अमेरिकी ( America ) सरकार ने एक ऐसी दवा को मान्यता दी है, जिसके एक खुराक की कीमत दुनिया में सबसे ज्यादा ( World most expensive medicine ) है। खास बाद यह है कि दवा की कीमत ( medicine cost ) जानकर आप दंग रह जाएंगे। दुनिया के अधिकांश लोग पूरे जीवन में इतना पैसा भी बतौर वेतन नहीं कमा पाते। इस दवा की एक खुराक की कीमत 3.5 मिलियन यूएस डॉलर्स यानी 28.51 करोड़ ( World most expensive medicine cost more than 28-51 crore ) रुपये है।

यह कीमती दवा बेहद दुर्लभ बीमारी हीमोफिलिया बी (Hemophilia B) के इलाज में इस्तेमाल होती है। हीमोफिलिया बी एक जेनेटिक बीमारी है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में इंसान का खून कम जमता है। मेडिकल साइंस के वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस तरह की बीमारी को यह दवा ठीक करती है, उसे देखते हुए और इस दवा को विकसित करने में की गई मेहनत और तकनीक की वजह से यह कीमत 'वाजिब' है। दूनिया के इस सबसे कीमती दवा का नाम हेमजेनिक्स (Hemgenix) है। हेमजेनिक्स (Hemgenix) ऐसी दवा है, जिसकी एक खुराक इंसान का इलाज कर देती है। इस लिहाज से यह पूरे खर्च की तुलना में सस्ता है ।

हीमोफिलिया-बी बीमारी से पुरुष ज्यादा पीड़ित होते हैं। इसके कितने मरीज पूरी दुनिया में इसका सही अंदाजा लगाना मुश्किल है लेकिन अमेरिका में करीब 8000 पुरुष इस बीमारी से जूझ रहे हैं। उन्हें जीवनभर इस बीमारी से संघर्ष करना पड़ता है। इस बीमारी का इलाज इतना महंगा है कि हर कोई इसका सही से इलाज नहीं करा पाता।

यही वजह है कि बीमार लोगों के साथ तो दिक्कत बढ़ जाती है। इसलिए ऐसी दवा की जरुरत काफी दिनों से थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि हीमोफिलिया-बी से पीड़ित इंसान अपने पूरे जीवन में 171 से 187 करोड़ रुपये खर्च कर देता है। यूरोपीय देशों में इस बीमारी का इलाज अमेरिका से सस्ता है लेकिन इसके बाद भी करोड़ों रुपये लग ही जाते हैं।

हेमजेनिक्स (Hemgenix) दवा हीमोफिलिया बी से पीड़ित मरीजों के नसों में डाला जाता है। दवा असल में एक वायरल बेस्ड वेक्टर है, जो लिवर के टारगेट सेल्स पर इंजीनियर्ड डीएनए भेजता है। हेमजेनिक्स लेने के बाद सभी मरीजों में अनियंत्रित ब्लीडिंग की समस्या आधे से भी कम हो गई। इसके साइड इफेक्ट्स भी हैं। जैसे सर दर्द होना, जुकाम जैसे लक्षण, लिवर में एंजाइम की मात्रा बढ़ जाना आदि।

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