Assam News : 'अवैध अतिक्रमण' के खिलाफ अभियान के बाद जमीन से बेदखल हुए 800 से ज्यादा परिवार, किया प्रदर्शन
Assam News : सत्ता में आने से पहले भाजपा सरकार के वादों में से एक सरकारी भूमि को 'अतिक्रमणकारियों' से मुक्त करना और उसे राज्य के 'स्वदेशी भूमिहीन लोगों' को आवंटित करना था....
Assam News जनज्वार। असम के दरांग जिले (Darrang District) के उन लोगों ने आज बड़ी संख्या में एकजुट होकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया जिन्हें सोमवार 20 सितंबर को 'अवैध अतिक्रमण अभियान' के दौरान बेदखल कर दिया गया था। बता दें कि दरांग जिले में लगभग 4500 बीघे भूमि पर कथित तौर पर कब्जा करने वाले कम से कम 800 परिवारों को राज्य सरकार ने अभियान के तहत बेदखल कर दिया।
सोमवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने ट्वीट कर कहा था- "अवैध अतिक्रमण के खिलाफ अपने अभियान को जारी रखते हुए मैं दरांग के प्रशासन और असम पुलिस की प्रशंसा करता हूं जिसने रिपाझार, दरांग में लगभग 4500 बीघा जमीन को खाली करके 800 घरों को बेदखल कर, 4 अवैध धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया है।"
सरमा ने कहा कि उन्होंने जून में धौलपुर (Dholpur) शिव मंदिर के पास बसने वालों द्वारा अतिक्रमण वाले ऐसे नदी क्षेत्रों का किया था। उन्होंने कहा, मैंने मंदिर प्रबंधन और स्थानीय लोगों को मणिकट स्थापित करने, गेस्ट हाउस और चारदीवारी बनाने का आश्वासन दिया था। आज की बेदखली का मकसद अतिक्रमण हटाकर सामुदायिक खेती शुरू करना है।
वहीं दरांग के एसपी सुशांत बिस्वा सरमा ने कहा था कि यह अभियान सिपाझार के एक और धौलपुर के तीन गांवों में सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक चलाया गया। एसपी ने कहा था, वे सभी अतिक्रमणकारी थे और लगभग सभी बिना किसी प्रतिरोध के बाहर चले गए। दो गांवों में मुख्य रूप से मुसलमानों के घर थे।
मई में दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में आने से पहले भाजपा सरकार के वादों में से एक सरकारी भूमि को 'अतिक्रमणकारियों' से मुक्त करना और उसे राज्य के 'स्वदेशी भूमिहीन लोगों' को आवंटित करना था। इसी तरह के अभियान जून में चलाए गए थे जिसमें होजई के लंका में 70 परिवारों और सोनितपुर के जमुगुरीहाट में 25 परिवारों को बेदखल किया गया था।
सिपाझार में (जहां सोमवार को बेदखली हुई) सरकार ने कई करोड़ की गुरुखुटी परियोजना (राज्य के बजट 2021-22 का हिस्सा) को लागू करने की योजना बनाई है, जिसमें मुक्त की गई भूमि का उपयोग वनीकरण और कृषि गतिविधियों के लिए किया जाएगा, जिसमें स्वदेशी युवा शामिल होंगे।
उचित पुनर्वास योजना के बिना लोगों को बेदखल करने के लिए सोमवार के अभियान को लेकर विपक्षी दलों के साथ-साथ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी राज्य सरकार की आलोचना की है। असम कांग्रेस की महासचिव और मीडिया प्रभारी बोबीता शर्मा ने ट्वीट में लिखा- बेदखली से पहले पुनर्वास की व्यवस्था असम सरकार प्राथमिक सरोकार होना चाहिए। रिपोर्टों के अनुसार वे सत्तर के दशक से इस क्षेत्र में रह रहे हैं।
क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि सरकार ने उन सभी परिवारों की किसी भी तरह से मदद नहीं की है, जो अब नदी के किनारे के इलाकों में चले गए हैं।
सिझापार के एक सामाजिक कार्यकर्ता सद्दाम हुसैन जो मौके पर मौजूद थे, वह पूछते हैं कि 'प्रशासन उन्हें वहां से भी हटने के लिए कह रहा है। लेकिन वे (बेदखल लोग) जाएंगे कहां? पिछली रात से बारिश हो रही है और तेज हवाएं चल रही हैं. .छोटे बच्चे, महिलाएं इन सबके बीच आपस में घिरी हुई हैं। कुछ को बेदखली का नोटिस एक रात पहले मिला, कुछ को अभियान के दिन और कुछ को नोटिस ही नहीं मिला।