हाथरस कांड में अस्पताल से गायब हुए गैंगरेप पीड़िता के सीसीटीवी फुटेज, CMO बोले हम सिर्फ 7 दिन का बैकअप रखते हैं

हाथरस गैंगरेप कांड इतना चर्चित होने के बावजूद जिला अस्पताल के सीएमओ का यह कहना कि अगर कहा जाता तो वह विशेष रूप से सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखते, अपने आप में हास्यास्पद है, यह भी कि अपराधियों को बचाया जा रहा है...

Update: 2020-10-15 17:14 GMT

हाथरस की दलित युवती के साथ इन चारों ने की थी दरिंदगी

हाथरस, जनज्वार। हाथरस दुष्कर्म और हत्या मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गयी है। सीबीआई इसकी जांच के लिए उस अस्पताल में पहुंची जहां गैंगरेप पीड़िता को भर्ती कराया गया था। सीबीआई टीम कहना कहना है कि जिस दिन पीड़िता को अस्पताल लाया गया था, उस दिन यानी 14 सितंबर की अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज गायब है। फुटेज कैसे गायब हुईं, इसके बारे में सीएमओ कहते हैं अगर उनसे विशेष तौर पर कहा गया होता तो फुटेज सुरक्षित रखी जातीं।

जिस अस्पताल में यानी हाथरस के जिला अस्पताल में पीड़िता को ले जाया गया था, वहां के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक इंद्र वीर सिंह ने इस मामले की सफाई में कहा है कि अगर पुलिस ने उनसे कहा होता तो वह अस्पताल फुटेज को सुरक्षित रख लेते। पुराने फुटेज को हर सात दिन में डिलीट कर दिया जाता है और नए फुटेज को इस पर रिकॉर्ड कर लिया जाता है। सीएमओ इंद्रवीर सिंह कहते हैं, जब तक विशेष रूप से कहा नहीं जाता है, हम बैक-अप नहीं रखते हैं।

गौरतलब है कि हाथरस गैंगरेप पीड़िता को घटना के बाद सबसे पहले इलाज के लिए हाथरस जिला अस्पताल ले जाया गया था और फुटेज में उसकी हालत के बारे में महत्वपूर्ण सबूत मिलने की संभावना जतायी जा रही थी। सीसीटीवी फुटेज से उस दिन की उसकी हालत के बारे में ठीक ठीक जानकारी मिल पाती। सीबीआई इसी की जांच करने अस्पताल पहुंची थी। वहां उसने डॉक्टरों के बयान दर्ज किये और सीसीटीवी फुटेज मांगे तो उसे बताया गया कि फुटेज डिलीट हो चुकी हैं।

हाथरस गैंगरेप पीड़िता को सबसे पहले लाया गया था जिला अस्पताल हाथरस, जहां से फिर किया गया अलीगढ़ के लिए रेफर (photo : social media)

सीबीआई सूत्रों का कहना है, जब पीड़िता को जिला अस्पताल लाया गया था तब फुटेज से उन्हें पीड़िता की स्थिति का पता लगाने में मदद मिलती कि उसे कब लाया गया था, उसे किसने देखा था और जब वह यहां थी तो उससे किसने बात की थी। उन्होंने कहा, एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि अस्पताल का अपराध से संबंधित जांच से कुछ लेना देना नहीं है।

जब तक अस्पताल में कोई अपराध नहीं होता है या लापरवाही की सूचना नहीं दी जाती है, इस पर आपराधिक जांच का कोई असर नहीं पड़ता है। ये अलग-अलग चीजें हैं। यही वजह है कि सीसीटीवी फुटेज को ध्यान में नहीं रखा गया।

गौरतलब है कि यह ऐसा पहला मामला नहीं है जब सीसीटीवी फुटेज ही गायब कर दी गयी हों। इससे पहले भी सीसीटीवी फुटेज गायब करने का मामला कई बार सामने आ चुका है। हाथरस गैंगरेप कांड इतना चर्चित होने के बावजूद जिला अस्पताल के सीएमओ का यह कहना कि अगर कहा जाता तो वह विशेष रूप से सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखते, अपने आप में हास्यास्पद है और कहीं न कहीं इस ओर भी इशारा करते हैं कि अपराधियों को बचाया जा रहा है।

हाथरस जिले के चंदपा इलाके के बुलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को 4 लोगों द्वारा 19 साल की दलित युवती से गैंगरेप का मामला सामने आया था। आरोपियों ने युवती की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी और उसकी जीभ भी काट दी थी। दिल्ली में इलाज के दौरान 29 सितंबर को पीड़ित की मौत हो गई। मामले में चारों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं, मगर पुलिस अभी भी कह रही है कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था, मगर दूसरी तरफ रात के सन्नाटे में बिना घरवालों की सहमति और उपस्थिति को उसका शव जरूर जला दिया गया था।

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