CM धामी के सफाई कर्मचारियों को रोजाना 500 रुपये की घोषणा का बिचैलियों को सर्वाधिक लाभ, आउटसोर्स एजेंसी के संचालकों पर गंभीर आरोप
सफाईकर्मियों को इस साल 12 अप्रैल को जारी शासनादेश के अनुरूप 500 रुपए प्रतिदिन की दर से मानदेय कार्मिकों को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है, जिस कारण इन कार्मिकों को अभी पुरानी 350 प्रतिदिन की दर से मानदेय दिया जा रहा है। दिए जा रहे इस मानदेय में से भी 13 प्रतिशत पीएफ और 3.25 प्रतिशत ईएसआई की कटौती की जा रही है...
Dehradun news : राज्य के विभिन्न निकायों में तैनात पर्यावरण मित्रों को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रतिदिन का मानदेय बढ़ाकर पांच सौ रुपए किए जाने की घोषणा का शासनादेश जारी होने के बाद भी इसका लाभ नगर निकायों के सभी पर्यावरण मित्रों (सफाई कर्मचारियों) को नहीं मिल रहा है। इतना जरूर है कि इससे आउटसोर्स एजेन्सियों के संचालकों का सर्विस जार्च बढ़ने तथा जीएसटी, ईएसआई तथा जीपीएफ कटौती की अधिक धनराशि मिलने से उन्हें सर्वाधिक लाभ हुआ है। इन आउटसोर्स एजेन्सियों के संचालकों पर कर्मचारी शोषण के गंभीर आरोप भी लगते रहते हैं।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड के सभी नगर निगमोें से मुख्यमंत्री की इस घोषणा पर जारी शासनादेश का पालन कर पांच सौ रुपए प्रतिदिन मानदेय का भुगतान करने सम्बन्धी सूचनायें मांगी थी। इसके जवाब में किसी भी नगर निगम ने पूरी सूचनायें उपलब्ध नहीं करायी थी। जबकि कई नगर निगम ने कोई सूचना ही नहीं उपलब्ध करायी गई, जिसके बाद इन सबकी प्रथम अपील की गयी है। इस अपील पर जो सूचनायें उपलब्ध करायी गयी है उसमें कई चौंकाने वाले तथ्य प्रकाश में आये हैं।
लोक सूचना अधिकारी/मुुुख्य नगर स्वास्थ अधिकारी नगर निगम देहरादून के पत्रांक 821 दिनांक 22-11-22 के साथ उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार आउटसोर्स के माध्यम से तैनात सफाई कर्मियों को इस साल 12 अप्रैल को जारी शासनादेश के अनुरूप 500 रुपए प्रतिदिन की दर से मानदेय कार्मिकों को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है, जिस कारण इन कार्मिकों को अभी पुरानी 350 प्रतिदिन की दर से मानदेय दिया जा रहा है। दिए जा रहे इस मानदेय में से भी 13 प्रतिशत पीएफ और 3.25 प्रतिशत ईएसआई की कटौती की जा रही है।
लोक सूचना अधिकारी/सहायक नगर आयुुक्त नगर निगम, कणनगरी, कोटद्वार ने सूचित किया है कि सभी पर्यावरण मित्रोें को 500 रू. प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय दिया जा रहा है। उनके द्वारा उपलब्ध आउटसोर्स एजेन्सी के बिल की प्रतिलिपियों से स्पष्ट है कि एजेन्सी के 500 रुपये प्रतिदिन मानदेय के अतिरिक्त 13 प्रतिशत ईपीएफ तथा 3.25 प्रतिशत ईएसआई की धनराशि का अलग से भुगतान किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त 1.6 प्रतिशत की दर से सर्विस चार्ज भी एजेंसी को मिल रहा है। जून तक 316 रुपये प्रतिदिन की दर से भुगतान के कारण सर्विस चार्ज की धनराशि कम थी, लेकिन दर बढ़ोत्तरी से इसमें भारी वृृद्धि हो गयी है।
नगर निगम ऋषिकेश के लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार आउटसोर्स एजेंसी के जुलाई 2022 से 500 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय का भुगतान किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त 13 प्रतिशत ईपीएफ 3.25 प्रतिशत ईएसआई तथा 20 प्रतिशत डिवीडेट के भी भुगतान किये जा रहे है जबकि इससे पूर्व 320 रुपए प्रतिदिन तथा इस धनराशि पर ईपीएफ, ईएसआई व डिवीडेट का भुगतान किया जा रहा है।
नदीम ने बताया कि पर्यावरण मित्रों की आउटसोर्स के माध्यम से व्यवस्था लागू होने से जहां प्राइवेट आउटसोर्स एजेंसी रूपी बिचैलियों को लाभ होता है, वहीं धरातल पर काम करने वाली इन कर्मचारियों का भारी शोषण होता है। आउटसोर्स एजेंसी के संचालकों के दवाब के चलते सफाई कार्य भी प्रभावित होता है। इसके अतिरिक्त उन्हें दिये जा रहे सर्विस चार्ज/डिवीडेट, जीएसटी के रूप में अतिरिक्त भार भी नगर निकायों पर पड़ता है। इन एजेंसियों पर पूरा मानदेय न देने, जीपीएफ तथा ईएसआई का पैसा जमा न करने तथा इसका भुुगतान कर्मचारी द्वारा प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न करने के आरोप लगते रहते हैं।
इतना ही नहीं इसके विरूद्ध कर्मचारी सेवा समाप्त किये जाने तथा उसके परिवार व रिश्तेदारों को सेवा से हटाने के डर से कोई कार्यवाही या शिकायत भी नहीं कर पाता। इसलिये जनहित, निगम हित तथा कर्मचारी हित में यह व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए।