न्याय मिलना तो दूर, योगी सरकार में दबंगई की शिकायत करना भी आफत को न्यौता देना : माले

जब पीड़ित किसान ने 31 दिसंबर को नामजद तहरीर दी, तो पुलिस जांच-पड़ताल के नाम पर पीड़ितों को ही थाने उठा लाई, यही नहीं,पहले उन पर मनमाफिक तहरीर लिखने का दबाव बनाया कि फसल जहरीले छिड़काव से नहीं, बल्कि मौसम की वजह से झुलसी है...

Update: 2021-01-05 12:33 GMT

लखनऊ। भाकपा (माले) की दो सदस्यीय टीम ने चंदौली जिले में नौगढ़ क्षेत्र के उस घटनास्थल का दौरा किया, जहां दबंगों ने जमीन पर कब्जा करने की नीयत से किसान परिवार की करीब पांच बीघे खेत में लगी गेहूं की फसल को जहरीली दवा छिड़ककर झुलसा दिया और पुलिस ने शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाय पीड़ितों को ही थाने में अवैध रूप से बैठा लिया था।

माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने मंगलवार 5 जनवरी को बताया कि माले टीम ने सोमवार 4 जनवरी को पीड़ित किसान परिवार से भेंट की और उस खेत पर भी गई, जिसमें लगी फसल को नष्ट किया गया था। उन्होंने कहा कि योगी राज में अपराधियों को मिल रहे संरक्षण से अराजक तत्वों का मनोबल बढ़ा हुआ है। न्याय मिलना तो दूर, दबंगई की शिकायत करना भी आफत को न्योता देना है। चंदौली में चकरघट्टा थानाक्षेत्र के भैंसोड़ा गांव में गत 30-31 दिसंबर की रात हुई उक्त घटना पुलिस और अपराधियों की मिलीभगत का नतीजा है।

टीम रिपोर्ट के आधार पर सुधाकर यादव ने कहा कि बांध के डूब क्षेत्र की जमीन पर किसान फिरोज और उसके भाइयों के परिवार लगभग तीन दशकों से खेती करते आए हैं। इस जमीन को दूसरे गांव के कुछ दबंग कब्जाना चाहते हैं। इसके लिए दबंगों ने पुलिस से साठगांठ कर पहले भी उन्हें परेशान किया था।


उक्त घटना में जब पीड़ित पक्ष की ओर से किसान फिरोज ने 31 दिसंबर को नामजद तहरीर दी, तो पुलिस जांच-पड़ताल के नाम पर पीड़ितों को ही थाने उठा लाई। यही नहीं, पुलिस ने पहले उन पर मनमाफिक तहरीर लिखने का दबाव बनाया कि फसल जहरीले छिड़काव से नहीं, बल्कि मौसम की वजह से झुलसी है। मना करने पर पुलिस ने पीड़ितों को अवैध रूप से थाने में बैठा लिया और काफी समय बाद जनदबाव पर जाने दिया।

घटना के छह दिन बाद भी पुलिस द्वारा रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने की कोई जानकारी नहीं दी गई है। दूसरी ओर, अभियुक्तों को छुआ तक नहीं गया है, न ही किसानों को हुए नुकसान की भरपाई की गई है।

माले टीम ने पीड़ित किसानों को समुचित मुआवजा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के साथ ही संबंधित थाने की भूमिका की जांच की मांग की है। दो सदस्यीय टीम का नेतृत्व माले नेता रामकृत कोल ने किया।

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